शुक्रिया ऐ जिंदगी :: गुड़िया झा
समाज के बिना हमारा अस्तित्व अधूरा है। क्योंकि हमारे आसपास जितने भी लोग हैं वे सब हमारे सहायक होते हैं। जैसे- परिजन, डॉक्टर, दोस्त, शुभचिंतक, राशन, दूध, गैस,अखबार वाले, घर में काम करने वाले और वो चीजें जो हमारे पास मौजूद हैं। उनका हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। आज भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने में पीछे रह जाते हैं। इन सबके लिए एक छोटी सी पहल तो बनती है।
1 किसी अवसर पर बधाई अवश्य दें।
बधाई और धन्यवाद देना एक ऐसी प्रक्रिया है जो सामने वाले को यह एहसास कराती है कि वे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। अपने मददगारों को उनके जन्मदिन या किसी त्योहार में फोन के माध्यम से मैसेज भेज कर उनके सम्मान को बढ़ाया जा सकता है। किसी की भावनाओं को समझना और उन्हें प्यार देना सबसे बड़ा उपहार है। ऐसा करने से हम सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि अपना भी मान बढ़ा रहे होते हैं।
जब भी अवसर मिले अपनी तरफ से जहां तक संभव हो सके उनके लिए भी मदद का हाथ आगे बढ़ाएं। इससे हमारी टीम बड़ी होगी और लोगों में एक अच्छा संदेश भी जायेगा।
2 जो प्राप्त है उस पर गर्व करें।
"कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कभी जमीं तो कभी आसमां नहीं मिलता"।
हर किसी को सबकुछ प्राप्त होना संभव नहीं है। अतः बेहतर यही होगा कि जो हमें प्राप्त है उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दें और उसी पर आगे बढ़ें। इससे आत्मिक खुशी का अनुभव होगा।
जबकि जो चीजें हमारे पास नहीं हैं उसकी गिनती करेंगे तो खुशियां कोसों दूर हमसे चली जाएंगी। जब भी ऐसा महसूस हो तो उन लोगों की तरफ देखें जिनके पास वो सुविधाएं भी नहीं हैं जो हमारे पास हैं। भोजन के लिए भूख की आवश्यकता होती है और सोने के लिए अच्छी गहरी नींद की ना कि महंगे बिस्तर की।
इस अभ्यास में अपने अच्छे पलों को याद करना न केवल हमें रोमांच से भरपूर करेगा बल्कि आने वाले समय में जीवन के हर क्षेत्र में परिवर्तन लायेगा। अपनी इन आदतों से हम चीजों को वर्तमान में महत्व देना शुरू कर देंगे।
3 जो सीखा है उसको महत्व दें।
हर किसी के जीवन में उतार चढ़ाव स्वाभाविक है। परिस्तिथियां कभी एक जैसी नहीं होती हैं। सभी परिस्थितियों में हमारे सीखने के लिए नई संभावनाएं होती हैं। जरूरत है इस बात की हम उनसे सबक लेकर सीखते कैसे हैं? जीवन को सही तरीके से जीने का हुनर विकसित करना है। यह हमारे दृष्टिकोण को बदलने के लिए है जिससे हम अच्छाई पर फोकस करें।
4 मन की शांति का जवाब नहीं।
मन की शांति वह चीज है जिसे महंगे शॉपिंग मॉल में हम नहीं खरीद सकते हैं। यह हमारे भीतर ही मौजूद है। सबकुछ होते हुए भी अगर हम अशांत हैं तो फिर उन चीजों का हमारे जीवन में कोई महत्व नहीं है।
अपने दोस्तों से खुलकर बातें करें। छोटी- छोटी खुशियों के पलों को भरपूर जियें। अपनी पसंद के संगीत सुनें, झुमें। फिर देखें कैसे हम कहते हैं शुक्रिया ऐ जिंदगी।
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