गुना
अभी दिन प्रतिदिन सर्दी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है यह देखते हुए हमारे शरीर के अंदर बहुत सारे परिवर्तन आते जा रहे हैं जिसमें हमारे शारीरिक तापमान और मौसम के तापमान में काफी अंतर आने की वजह से अत्यधिक सर्दी का प्रभाव देखने को मिल रहा है इससे बचाव के लिए सूर्य भेदी प्राणायाम हमारे लिए अत्यधिक लाभदायक है सूर्यभेदी प्राणायाम को राइट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग यानी दांयी नासिक छिद्र से सांस लेना भी कहते हैं ठंड के समय यह एक अद्भुत प्राणायाम है जो हमारे शरीर में ऊर्जा और गर्मी यानी बॉडी हीट बढ़ा देता है जिससे मौसम की सर्दी का असर हमारे शरीर पर कम पड़ने लगता है इतना ही नहीं यह सर्दी के मौसम में शरीर के तापमान में होने वाले परिवर्तन को भी संतुलित करता है सांस लेने के लिए मनुष्य के पास दो नासिकाएं होती हैं योग में उन्हें नाड़ी कहा जाता है जिसमें दाहिना नासिक को सूर्य नाड़ी और बाय नासिक को चंद्र नाड़ी के रूप में जाना जाता है दाहिनी नासिका को सूर्य नाड़ी से जोड़ा जाता है सूर्य भेदी प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है एक सूर्य और दूसरा भेदना जिसमें सूर्य का अर्थ है सूरज और भेदना यानी किसी चीज से भेदन करना या तोड़ना यानी सांस के द्वारा दांये स्वर को भेदते हुए हमारे शरीर के अंदर के रोगों को नस्ट करना ही सूर्य भेदी प्राणायाम है इस प्राणायाम का नाम शरीर पर इससे पढ़ने वाले प्रभाव से लिया गया है सूर्य भेदी प्राणायाम को करते हुए केवल एक नासिका का उपयोग किया जाता है इस क्रिया मै नाक के दाएं छिद्र से सांस ली जाती है जिसको हम सूर्य स्वर और पिंगला नाड़ी के नाम से भी जानते है सूर्य भेदी प्राणायाम करने के लिए कमर गर्दन सीधी रखकर सुखासन पद्मासन में बैठकर आंखें बंद करके प्राणायाम मुद्रा में बैठते हैं जिसमें तर्जनी और मध्यम उंगलियों को माथे पर रख ले और बाएं नासिका के छिद्र को बाकी दो उंगलियों से बंद कर दाएं नासिका के छिद्र से श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकाल दें फिर दाएं नासिका से धीरे-धीरे आवाज करते हुए लंबी सांस भीतर ले और उसके बाद थोड़ी देर के लिए श्वास अंदर रोक लें फिर बिना आवाज किए बाय नासिका से सांस बाहर निकाल दें यह एक चक्र सूर्य भेदी प्राणायाम कहलाता है इस प्रकार 15 से 20 बार इसका अभ्यास करें अंत में बाय नासिका से सांस बाहर निकाल कर हाथ नीचे लाए थोड़ी देर के लिए शांत भाव से बैठे रहे सूर्य भेदी प्राणायाम करते समय हमें कुछ जरूरी सावधानियां रखनी चाहिए जिसमें हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हृदय रोगी जिनको मिर्गी के दौरे आते हैं एवं पित्त प्रकृति वाले रोगी सूर्य भेदी प्राणायाम का अभ्यास न करें और साथ में ही गर्मी के दिनों में इस प्रणाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका करने से शरीर का तापमान यानी बॉडी हीट बढ़ जाती है सूर्य भेदी प्राणायाम को करने से कई फायदे होते हैं जिसमें अस्थमा वात रोग व कब से जुड़ी बीमारियां दूर हो जाती हैं यह प्रणाम खून को साफ करता है और खून से जुड़ी बीमारियों को भी दूर करता है झुर्रियां हटाता है किसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम को दूर करता है त्वचा के रंग को निखारता है पेट के कीड़े नष्ट करने में मदद करता है पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और पेट से जुड़ी बीमारियां ठीक करता है लो ब्लड प्रेशर की समस्या दूर होती है डिप्रेशन और एंजायटी को दूर करने में सहयोगी होता है यह बजन को कम करने में भी मदद करता है यह प्राणायाम प्राणिक ऊर्जा को सक्रिय करता है और शरीर को शक्ति प्रदान करता है यह मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा की उत्तेजना के लिए होता है यह मुंह में आए छालों को भी ठीक करता है हमें हमारे जीवन को संतुलित रखने के लिए एवं सुख में आनंद में पूर्वक जीवन जीने के लिए योग हमारे जीवन में अत्यधिक लाभदायक है इसको हमारे जीवन में हमें अपनाना चाहिए और विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव करना चाहिए
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