Tuesday, 5 December 2023

आठ से 12 दिसंबर तक झारखंड में होगी नफरत के खिलाफ ढाई आखर प्रेम पदयात्रा.


राची, झारखण्ड  | दिसम्बर  | 05, 2023 :: 

समाज में फैल रही नफरत को मिटाने के लिये एक सांस्कृतिक पैदल यात्रा समता, बंधुता और एकता के नाम निकाली जा रही है, जिसका नाम 'ढाई आखर प्रेम' है. यह पदयात्रा राजस्थान से भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर, 2023 से शुरू हो चुकी है. यह यात्रा गांधी के शहादत की तारीख 30 जनवरी को दिल्ली में खत्म होगी, राजस्थान, बिहार, पंजाब, उत्तराखंड, ओडिशा, जम्मू, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक से होते हुए यह यात्रा 8 दिसंबर से 12 दिसंबर तक झारखंड में होगी. यह यात्रा विभूतिभूषण बंद‌द्योपाध्याय की कर्मभूमि घाटशिला से इस्पात नगरी जमशेदपुर तक होगी.

'ढाई आखर प्रेम' कबीर का संदेश है, भगत सिंह, बिरसा मुंडा, सिदो-कानू मुर्मू और गांधी का संदेश है, रैदास का संदेश है. ढाई आखर प्रेम संदेश है भाईचारा का, एकता का, बंधुत्व का, गंगा जमुनी तहजीब का. नफरत और सांप्रदायिकता का जवाब है 'ढाई आखर प्रेम' यह सांस्कृतिक यात्रा उत्सव है लोक परंपरा का, जिसके लिए झारखंड प्रसिद्ध है. बुधु भगत, बिरसा मुंडा, सिदो-कानू, शेख भिखारी, पंडित रघुनाथ मुर्मू जैसे वीरों- समाज सुधारकों की विरासत को आगे बढ़ाने का उत्सव है. आदिकाल से बहने वाली प्रेम की यह अविरल धारा मीरा, नानक, रैदास, खुसरो, रहीमन, रसखान से गुजरते हुए कबीर के दोहे "ढाई आखर प्रेम का पढ़े से पंडित होय" में मुखरित हो उठती है. हिंसा, घृणा और युद्ध से भरी इस दुनिया में प्रेम ही हमारी एकमात्र आशा है.

इस सांस्कृतिक जत्था में गीत, नृत्य और नाटक की प्रस्तुति होगी. स्थानीय लोककला से जुड़े कलाकारों के साथ संवाद होगा. हथकरघा से बनी चीजें लोगों के बीच ले जायी जायेंगी.

इस यात्रा को इप्टा, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच और अन्य सांस्कृतिक संगठनों का समर्थन हासिल है.

आठ से 12 दिसंबर तक घाटशिला से जमशेदपुर के बीच के इस राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था का स्वागत किया जाएगा।

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