Sunday, 7 January 2024

खादी हमारी सभ्यता, संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी होने का परिचायक :: हेमन्त सोरेन

राची, झारखण्ड  | जनवरी  | 07, 2024 :: 

◆ मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने मोरहाबादी मैदान ,रांची में  "राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव 2023-24" का किया शुभारम्भ, स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर दिया जोर।
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◆ मुख्यमंत्री ने कहा- आज की भौतिकवादी और मशीनी युग में भी ग्रामीण तथा स्वदेशी व्यवस्था की अहमियत बरकरार
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◆ मुख्यमंत्री बोले -खादी एवं सरस महोत्सव अपनी पारंपरिक और पूर्वजों की व्यवस्था को संजोये रखने का एक बेहतरीन माध्यम है
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◆ मुख्यमंत्री ने खादी और अन्य स्वदेशी उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए हर किसी को आगे को कहा
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● खादी हमारी सभ्यता, संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी होने का परिचायक है

● गांव-देहात की स्वदेशी व्यवस्थाओं को हर हाल में आगे ले जाना है

● पलाश ब्रांड के माध्यम से सखी मंडलों द्वारा निर्मित देसी उत्पादों को उपलब्ध करा रहे हैं बाजार

● रोटी , कपड़ा और मकान की जरूरत हमारे पूर्वजों को भी थी । हमें भी है और आने वाली पीढ़ी को भी रहेगी

 *  हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड 
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खादी सिर्फ एक पहनावा मात्र नहीं है। यह हमारी सभ्यता, संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी होने का परिचायक है । मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन ने आज राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में "राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव 2023-24" का उद्घाटन करते हुए ये बातें कही। उन्होंने कहा कि हम सभी इस बात से भली-भांति वाकिफ हैं कि खादी के साथ महान शख्सियत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम जुड़ा है, जिन्होंने देश-दुनिया में खादी को अलग पहचान दी। ऐसे में हम सभी को खादी से जुड़ने की जरूरत है , ताकि हम अपनी पारंपरिक ग्रामीण और स्वदेशी व्यवस्था को और मजबूत करते हुए आगे ले जा सकें।

 * आज की भौतिकवादी व्यवस्था में भी हम अपनी परंपरा और संस्कृति को साथ लेकर चल रहे हैं

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भौतिकवादी युग और तकनीक का जमाना है। मशीनों के साथ हम जी रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी अपनी परंपरा, संस्कृति और सभ्यता को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं। खादी एवं सरस महोत्सव का आयोजन इसी कड़ी का एक हिस्सा है, जिसके जरिए हम अपनी ग्रामीण-देसी पारंपरिक और पूर्वजों की व्यवस्था को संजोये हुए हैं और आज की पीढ़ी को उससे अवगत करा रहे हैं ।

 * अपनी पारंपरिक और स्वदेशी व्यवस्था को मजबूत करने की है जरूरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि जमाना चाहे जितना आगे बढ़ जाए,  लेकिन हमारे देश और राज्य में आज भी ग्रामीण तथा स्वदेशी व्यवस्था की अहमियत बरकरार है। खादी जैसा ग्राम उद्योग इसी का एक उदाहरण है। गांव-देहात की ऐसी व्यवस्थाओं को हमें हर हाल में आगे ले जाना है और इसके लिए  इससे जुड़ी चुनौतियों निपटना होगा। यह सिर्फ सरकार के स्तर पर संभव नहीं है, इसके लिए हर व्यक्ति को पहल करनी होगी।

 * पलाश ब्रांड के जरिए सखी मंडलों की दीदियों द्वारा निर्मित उत्पादों को उपलब्ध करा रहे हैं बाजार

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ग्रामीण और देसी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हमारे राज्य में सखी मंडलों से जुड़कर लाखों  दीदियां तरह-तरह के उत्पाद बना रही हैं। इन उत्पादों में किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। ये स्वदेशी उत्पाद हैं। सरकार इन दीदियों के उत्पादों को पलाश ब्रांड के माध्यम से बाजार उपलब्ध करा रही है, ताकि उनकी आजीविका के साधनों को और मजबूत कर सके। इसके लिए लोगों को भी इनकी द्वारा निर्मित उत्पादों से जुड़ना होगा। 

 * रोटी , कपड़ा और मकान की हर किसी को जरूरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत हमारे पूर्वजों को भी थी। हमें भी है और आने वाली पीढ़ी को भी रहेगी। इसके बिना हमारी जिंदगी आगे नहीं बढ़ सकती है। ऐसे में हर व्यक्ति तक इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार काम कर रही है।

* इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री  आलमगीर आलम, सांसद  संजय सेठ, राज्यसभा सांसद श्रीमती महुआ माजी, विधायक  सी पी सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  विनय कुमार चौबे , उद्योग विभाग के सचिव  जितेंद्र कुमार सिंह और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव  चंद्रशेखर समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे।

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