Thursday 29 February 2024

संघर्षों से भी सीख मिलती है : गुड़िया झा

संघर्षों से भी सीख मिलती है : गुड़िया झा

वक्त भी सिखाता है और शिक्षक भी। पर दोनों में अंतर सिर्फ इतना होता है कि शिक्षक सीखा कर इम्तिहान लेते हैं और वक्त इम्तिहान लेकर सिखाता है। दोनों ही स्थितियों में हम सीखते ही हैं। अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम कठिनाईयों को किस रूप में लेते हैं। 
जीवन चक्र बदलते मौसम की तरह है। कभी धूप-तो कभी सर्द और गर्म। डरना, घबराना स्वाभाविक बात है। लेकिन क्या सिर्फ डरने और घबराने से या फिर हाथ पर हाथ रखने या अपने भाग्य को कोसने से समस्या का समाधान सम्भव हो जाएगा। 
यही तो वह समय होता है जब हमारी सहनशीलता और काबिलियत की असली परीक्षा होती है। 

1. हिम्मत न हारें डटे रहें।
चुनौतियों के सामने आंसू बहाने से उन्हें दूर नहीं किया जा सकता है। परिस्थितियों को अपनाएं कि यह सही है कि अभी हमारा समय प्रतिकूल चल रहा है और यह समय भी बहुत जल्द ही गुजर जायेगा। तो इससे मन को बहुत ही शांति मिलती है। इसका एक मनोवैज्ञानिक कारण यह भी है कि अगर हम सिर्फ समस्याओं के बारे में ही सोचेंगे तो आसपास हमेशा वही दिखाई देगी। जबकि मन को हल्का कर समाधान के बारे में रास्ते निकालने की सोचेंगे तो हमारा काम आसान हो जाता है।
अनुभवी लोगों से बाते करें। इससे हमारा काम आसान हो जाता है। चुनौतियों के बारे में कहा जाता है है कि यह कभी भी सूचना देकर नहीं आती हैं लेकिन यह जाती धीरे धीरे और अपने निर्धारित समय पर ही हैं। इस दौरान हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बहुत ही प्रभावित होता है। 
लेकिन जब हम इन सबसे बाहर निकलते हैं, तो हमें यह एहसास होता है कि चुनौतियां हमारे लिए सिर्फ समस्याएं लेकर नहीं आती हैं बल्कि हमें यह भी सिखाती हैं कि हमारे भीतर क्षमताओं की कमी नहीं है, बल्कि हम खुद अपनी क्षमताओं को पहचान नहीं पाते हैं। 
2 आत्मविश्वास को बनाए रखें।
परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो, अपने आत्मविश्वास को हमेशा बनाए रखें। अपनी सकारात्मक सोच से यह विश्वास रखें कि जो हो रहा है उसमें हमारे लिए जरूर ही कुछ अच्छा होगा। कुछ भी हमारे मन के मुताबिक नहीं होता है बल्कि हमें ही परिस्थितियों के अनुसार ढलना पड़ता है।
3 ध्यान का सहारा। 
मन को शांति और सुकून देने के लिए कम से कम 30 मिनट का मेडिटेशन जरूर करें। ये हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रदान करने के लिए भी बहुत उपयोगी है। बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

Sunday 25 February 2024

काँके मैराथन दौड़ 10 मार्च को :: रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 2 मार्च 2024


काँके मैराथन दौड़ 10 मार्च को ::  रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 2 मार्च 2024


 10 मार्च/2024 दिन रविवार, समय प्रातः 6:30 बजे से 

दौड़ का स्थानः 

पुरुष (पिठोरिया, किसान विद्यालय से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय मैदान तक) 10 कि० मी० । 

महिला (पिठोरिया किसान विद्यालय से बाढू. तक) 3.5 कि0 मी0 ।



कुल पुरूस्कार राशि : 2.01 लाख रू से अधिक राशि जीतने का अवसर

1. रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 2 मार्च 2024

2. रजिस्ट्रेशन के लिए अपने गांव के आजसू पिलर मेम्बर से सर्पक करें

3. हेल्प लाईन नं0 
9835114732 (डा. अशोक कुमार नाग) 
9835913657 (अमन शहदेव, कांके प्रखण्ड) 
8340230983 (सत्यनारायण मुण्डा, बुड़मू पखण्ड) 
8083437576 (विकास कुमार, खलारी प्रखण्ड)

4. रजिस्ट्रेशन शुल्क (101 रूपये)

5. सिर्फ कांके विधान सभा के महिला/पुरूष अपने फोटो पहचान पत्र की कॉपी रजिस्ट्रेशन फार्म के साथ संलग्न कर भाग ले सकते है

6. महिला तथा पुरूष स्पर्धा अलग होगी महिला 3.5 कि.मी तथा पुरूष 10 कि.मी. मैराथन दौड़ों ।

(हर प्रतिभागी को चेस्ट नं०, टी शर्ट, ग्लूकोज, पानी मुफ्त दिया जाएगा)

Thursday 22 February 2024

एक मार्च को रिलीज होगी फिल्म संदेह - प्रदीप श्रीवास्तव

मुंबई : मित्तल एडवरटाइजिंग व डिस्ट्रीब्यूशन के द्वारा एक मार्च को हिंदी फिल्म संदेह सम्पूर्ण भारत के सिनेमाघरों में रिलीज की जायेगी।फिल्म का ट्रैलर और म्यूजिक यूट्यूब पर रिलीज किया गया हैं। निर्माता प्रदीप श्रीवास्तव हैं।वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर और अभिनेता भी हैं। प्रदीप श्रीवास्तव का जन्म उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे सीतापुर में एक कायस्थ परिवार में हुआ।संस्कारों और सुसंस्कृत वातावरण में पले-बढ़े वे एक आईटी पेशेवर बने और अपनी जीवन यात्रा शुरू की।लेकिन और अधिक की ख्वाहिश थी और बॉलीवुड ने उन्हें बहुत ज्यादा लुभाया।अन्य लोगों की तरह उनकी बॉलीवुड में प्रवेश की कहानी भी आसान नहीं थी और वह केवल कुछ बॉलीवुड फिल्मों और वेब सीरीज में ही भूमिकाएँ हासिल कर सकें।ऑनस्क्रीन अपना हुनर ​​दिखाने के अलावा वह ऑफस्क्रीन भी कुछ फिल्मों के लिए कार्यकारी निर्माता के रूप में काम करते रहें।इंपल्स सिने एंटरटेनमेंटस प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले निर्मित फिल्म 1 मार्च को पूरे भारत में रिलीज होने वाली हैं।उनके दोस्त और बिजनेस पार्टनर संजय राय ने उनके सपने को साकार करने में अपना साथ दिया।फिल्म का निर्देशन युवा निर्देशक अयाज़ खान ने किया हैं और श्वेता श्रीवास्तव फ़िल्म की लेखिका हैं। यह फिल्म कॉलेज के कुछ छात्रों की युवाओं पर आधारित फिल्म है।जो यात्रा पर जाते हैं और उनके साथ घटित कुछ घटनाओं की श्रृंखला उनके जीवन को पूरी तरह से बदल देती हैं।