राँची की धार्मिक एवं सामाजिक संस्था एम• आर• एस•श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट रांची एवं स्वामी सदानंद प्रणामी चेरीटेबल ट्रस्ट (रजि•) दिल्ली शाखा रांची के संयुक्त तत्वधान में परमहंस पूज्य संत शिरोमणि श्री श्री 1008 स्वामी श्री सदानंद जी महाराज के सानिध्य में 201 निर्धन एव जरुरतमंद बुजुर्ग ग्रामीण पुरूष एव महिलाओ के बीच पड ठंड से कुछ राहत हेतु गुरु महाराज ने आये हुए प्रत्येक अभावग्रस्त वृद्ध ग्रामीणों को 1पीस कम्बल 1पीस मफलर एव 1जोडी उनी मोजा का वितरण किया। यह सेवा कार्य पुंदाग T•O•P• के पीछे निर्माणाधीन श्री कृष्ण प्रणामी मंगल राधिका सदानंद सेवाधाम दिव्यांग आश्रम के प्रांगण में संपन्न किया।
निर्माणाधीन श्री कृष्ण प्रणामी सेवा आश्रम मंदिर के प्रांगण में आज सुबह से ही वृद्ध ग्रामीण महिला-पुरुष के आना शुरु हो गया था ग्रामीणों के जल्दी आने पर आये हुए जरूरतमंद प्रभु जी को खीर पुडी आलु टमाटर मिश्रित सब्जी एवम भेजिटेबल पुलाव का प्रसाद खिलाकर सभी आये हुए ग्रामीणों को गुरु जी महाराज के हाथो उन्हे गर्म वस्त्र दिलाये गये।
श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन श्रीमद् भागवत कथा के यजमान अमिता विशाल जालान एवं परिवार के सभी सदस्य आये हुए संस्था के सदस्यों ने बड़े ही प्रेम से श्राद्ध पूर्वक श्रीमद्भागवत का पूजन तथा स्वामी श्री सदानंद जी महाराज को माल्यार्पण चंदन वंदन कर उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्तों के साथ श्रीमद् भागवत की आरती की। कथा की अमृत कथा स्वामी श्री सदानंद जी महाराज के मुखारविंद से भक्तों ने श्रवण किया।
पुंदाग स्थित श्री कृष्ण प्रणामी मंगल राधिका सदानंद से सेवाधाम दिव्यांग आश्रम में श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समिति द्वारा श्रीमद् भागवत कथा व्यास पीठ पर आसीन संत सदानंद जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि दुख- सुख को समझने वाले जिस धैर्यवान पुरुष को एक इंद्रियों के विषयों के संजोग व्याकुल नहीं करते वह मोक्ष के योग्य नहीं है।
महाराज जी ने भगवान श्री कृष्ण के प्रति गोपियों के हृदय में प्रेम का वर्णन करते हुए कहा की के उद्घव से ज्ञानी को भी कहना पड़ा यह गोपियों तू धन्य हो तुम्हारा जीवन सफल है और तुम सारे संसार के लिए पूजनीय हो क्योंकि तुम लोगों ने इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण को अपना हृदय अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया है। नंद बाबा के ब्रज में रहने वाले गोपांगनाओ तुम्हारी चरण धूलि को मैं बार-बार प्रणाम करता हूं।
भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाओं सागर में द्वारकापुरी निर्माण कर वास किया। एक एक कर 8 विवाह किया और एक ही मुहूर्त में 16100 कन्या से विवाह किया इतने बड़े परिवार में बड़े आनंद पूर्वक रहते थे।
भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र एव अंतरंग सखा सुदामा जी थे जिनकी कथा जग प्रसिद्ध है श्री सुदामा जी के एक मुट्ठी चावल के बदले अपना जैसा वैभव प्रदान किया। भगवान संतो को महिमा गायन करते हुए कहा कि केवल जग में तीर्थ तीर्थ नहीं कहलाते हैं और केवल प्रतिमाएं ही देवता नहीं होती है संतोषी वास्तव में तीर छोड़ देता है क्योंकि उनका बहुत समय तक सेवन किया जाता पुण्य मिलता है प्रदूषण पुरुषों का तो दर्शन मात्र से कृतार्थ कर देते हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने उद्धव को ज्ञान उपदेश करते हुए कहा कि संसार मे जो भी मानव यह जगत क्या है इसमें क्या हो रहा है। इत्यादि बातों पर विचार करने में निपुण है वह चीत में भरी हुई अशुभ वासनाओ से अपने आपको स्वयं अपने विवेक शक्ति से प्राय बचा लेते हैं। समस्त प्राणियों मे विशेष कर मनुष्य अपने प्रत्यक्ष अनुभव और अनुमान के द्वारा अपने हित अहित का निर्णय करने में समर्थ है। यदि कोई दुष्टों की संगति में पढ़ कर अधर्म करने लग जाए। अपने इंद्रियों के बस में हो कर मनमानी करने लगे तो वह नरक में जाता है। भक्ति की प्राप्ति सत्संग से होती है जिसे भक्ति प्राप्त हो जाती है वही भगवान की उपासना करता है।
आज के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से संस्था के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल उपाध्यक्ष निर्मल जालान राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल सचिव मनोज चौधरी, ओम सरावगी, प्रमोद सारस्वत, नंद किशोर चौधरी, विजयअग्रवाल, पवन पौदार, निर्मल छावनिका, विष्णु सोनी, मनीष जालान, विशाल जालान, सुरेश चौधरी, सुरेश भगत,नरेश अग्रवाल शिवभगवान अग्रवाल, सज्जन पाडिया, सुनील पोद्दार, रमेन्द्र पांडे, धीरज गुप्ता,आलोक सिंह तथा महिला मंडल की श्रीमती विधा देवी अग्रवाल सुनीता अग्रवाल, सरिता अग्रवाल, मनीषा, अमिता, पुनम अग्रवाल, ललिता पोद्दार, चंदा देवी अग्रवाल और सुमन चौधरी एवं और भी से महिला-पुरुष सदस्य उपस्थित थे।
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