नोएडा, 5 जनवरी : योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) और सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (एसआरएफ़) के संस्थापक और अत्यन्त लोकप्रिय आध्यात्मिक गौरव ग्रन्थ, योगी कथामृत, के लेखक, श्री श्री परमहंस योगानन्द का 131वाँ जन्मोत्सव, शुक्रवार, 5 जनवरी, 2024 को वाईएसएस के सेक्टर 62-स्थित नोएडा आश्रम में मनाया गया। इस अवसर पर हिन्दी में परमहंस योगानन्दजी की योगदा सत्संग आत्म-साक्षात्कार पाठमाला के नए संस्करण का विमोचन हुआ। इस आयोजन में योगदा के 800 से भी अधिक श्रद्धालु शामिल हुए जिसमें सामूहिक ध्यान, सत्संग और संन्यासियों के प्रवचन हुए। इसके पूर्व सुबह नारायण सेवा में 1200 से अधिक लोगों को गुरु लंगर में प्रसाद वितरित किया गया।
इस जन्मोत्सव समारोह का मुख्य आकर्षण रहा — सायंकालीन कार्यक्रम में हिन्दी में योगदा सत्संग आत्म-साक्षात्कार पाठमाला के नए संस्करण का विमोचन। योगानन्दजी द्वारा विश्व को प्रदत्त क्रियायोग शिक्षाओं का महत्त्व साझा करते हुए वाईएसएस के वरिष्ठ संन्यासी स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने कहा, “परमहंस योगानन्द प्रायः क्रियायोग मार्ग, जिसमें ध्यान की वैज्ञानिक प्रविधियाँ सम्मिलित हैं, को ‘ईश्वर तक ले जाने वाला राजमार्ग’ कहा करते थे। उनकी शिक्षाएँ मुद्रित योगदा सत्संग पाठमाला के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती हैं। इस पवित्र ज्ञान का संचार लोगों के जीवन के सभी पक्षों को उन्नत और रूपान्तरित करेगा। यह एक ऐसा पाठ्यक्रम है जिसका पठन, पाठन और अभ्यास अपने घर पर रह कर भी किया जा सकता है। इस पाठमाला के माध्यम से योगदा के गुरुजनों की परम्परा में — महावतार बाबाजी, लाहिड़ी महाशय, स्वामी श्रीयुक्तेश्वर, और परमहंस योगानन्द — द्वारा दी गई ध्यान-प्रविधियों और आध्यात्म के सार की शिक्षा प्रदान की जाती है। ये शिक्षाएँ अब सत्य की खोज में लगे उन सभी लोगों के लिए उपलब्ध हैं जो प्राचीन काल से हमारे शास्त्रों में प्रतिष्ठापित आध्यात्मिक सत्यों को गहनतापूर्वक समझने और उन्हें व्यक्तिगत रूप से अनुभव करने का प्रयास कर रहे हैं…।”
इस अवसर पर योगदा संन्यासी स्वामी आद्यानन्द ने वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द गिरी का संदेश पढ़ कर सुनाया : “‘गुरुजी ने कहा है, “मेरे जाने के पश्चात मेरी शिक्षाएँ ही गुरु होंगी,’ और आज वे कितने आनन्द का अनुभव कर रहे होंगे जब नई पाठमाला के हिंदी अनुवाद के माध्यम से आत्मा को मुक्ति प्रदान करने वाली उनकी शिक्षाएँ अब इस शक्तिशाली नई प्रस्तुति में सम्पूर्ण भारतवर्ष के भक्तों तक पहुंचेगी जिसकी योजना उन्होंने अनेक वर्षों पूर्व निर्धारित की थी।”
स्वामी ईश्वरानन्दजी ने क्रियायोग ध्यान के पवित्र विज्ञान को सीखने में रुचि रखने वाले नवागन्तुकों को योगदा सत्संग पाठमाला के लिए yssi.org/Lessons-Hindi पर पंजीकरण कराने के लिए आमन्त्रित किया। उन्होंने कहा, “जीवन में हमारी विभिन्न उपलब्धियों के होते हुए भी प्रायः खालीपन अथवा उद्देश्यहीनता की भावना बनी ही रहती है। ये क्रियायोग ध्यान की शिक्षाएँ उस शून्य को भरने — हमारे भीतर विद्यमान आत्मा की समस्त शान्ति एवं आनन्द को प्रकट करने — के लिए हमें आवश्यक साधन प्रदान करती हैं।” अब योगदा सत्संग पाठमाला के हिन्दी में उपलब्ध होने के कारण परमहंस योगानन्दजी की मुक्तिदायिनी क्रियायोग शिक्षाएँ हिन्दी भाषी लोगों के लिए सुलभ हैं।
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योगदा सत्संग पाठमाला के विषय में
“योगदा सत्संग पाठमाला के नए संस्करण का विमोचन परमहंस योगानन्द के आध्यात्मिक कार्यों के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। परमहंसजी के अनुसार योगदा सत्संग पाठमाला में उन शिक्षाओं का मूल निहित है जिन्हें, आगामी वैश्विक सभ्यता के लिए एक विशेष आध्यात्मिक विधान के रूप में, विश्व को देने का आदेश उन्हें मिला था।”
“योगदा सत्संग पाठमाला का नया संस्करण योगानन्दजी के गृह-अध्ययन कार्यक्रम का एक अत्यन्त परिष्कृत और विस्तारित स्वरूप है। मूल शृंखला में 18 विस्तृत पाठ हैं जो — दो सप्ताह में एक के हिसाब से नौ महीने की अवधि में — साधकों को डाक द्वारा प्रेषित किए जाते हैं। इस नए संस्करण में परमहंसजी के लेखों एवं कक्षाओं से योगदा ध्यान-प्रविधियों और साधना पर अब तक अप्रकाशित सामग्री निधि है — जो आन्तरिक और बाह्य सामंजस्यएवं सन्तुलन और आनन्दमय दिव्य चेतना की उच्चतम अवस्था की प्राप्ति तक पहुँचाती है।”
“पाठमाला के नए संस्करण को इस प्रकार से पुनर्गठित किया गया है कि नए साधक आठ महीने के अध्ययन के पश्चात् क्रियायोग के लिए आवेदन करने के योग्य हो सकेंगे।”
“पहले पाठ से ही, आपको निश्चित पद्धतियाँ प्राप्त होंगीं जिनके अभ्यास से आप शीघ्र ही ध्यान के लाभों का अनुभव कर सकेंगे। आप क्रियायोग के व्यापक आध्यात्मिक विज्ञान में आवश्यक पहले चरण के रूप में, परमहंस योगानन्द द्वारा सिखाई गई तीन शक्तिशाली प्रविधियों को सीख, गहन ध्यान के लिए एक ठोस आधार का निर्माण करते हैं।”
“नई पाठमाला शृंखला में नामांकन के पश्चात् आप एक डिजिटल एप्प — एसआरएफ़/वाईएसएस एप्प — के माध्यम से प्रत्येक पाठ को डिजिटल रूप से भी एक्सेस कर सकेंगे। प्रत्येक पाठ के साथ डिजिटल प्रारूप में अनुपूरक ऑडियो और वीडियो सामग्री भी उपलब्ध है।
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