Saturday, 6 January 2024

फांसी टूंगरी (रांची पहाड़ी) को आदिवासी समाज को सौंपा जाए : प्रभाकर नाग

राची, झारखण्ड  | जनवरी  | 06, 2024 :: 
बिरसा मुंडा के प्रधान सेनापति सरदार गया मुंडा को दी गई श्रद्धांजलि


रांची:  शनिवार को वीर बिरसा मुंडा के प्रधान सेनापति सरदार गया मुंडा के शहादत दिवस के अवसर पर फांसी टूंगरी वर्तमान में रांची पहाड़ी मैं उन्हें   श्रद्धांजलि दी गई। झारखंड आदिवासी विकास समिति के तत्वावधान में वीर बिरसा मुंडा के प्रधान सेनापति, जो 12 सेना नायकों के सेनापति थे एवं जिन्हें बिरसा सेना में सरदार की उपाधि प्राप्त थी सरदार गया मुंडा, उनके पुत्र साड़े मुंडा एवं उनके साथी सुखराम मुंडा सहित अनेक गुमनाम शहीदों को पारंपरिक रीति-विधि से पाहन द्वारा पूजा कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं माल्यार्पण कर आदिवासी समाज की ओर से कृतज्ञता अर्पित की गई। इस अवसर पर झारखंड आदिवासी विकास समिति के अध्यक्ष प्रभाकर नाग ने कहा कि वीर बिरसा मुंडा के प्रधान सेनापति सरदार गया मुंडा उनके पुत्र साड़े मुंडा एवं उनके साथी सुखराम मुंडा की शहादत स्थली फांसी टूंगरी वर्तमान में रांची पहाड़ी को उचित देखभाल और संरक्षण संवर्धन हेतु आदिवासी समाज को सौंप देना चाहिए। श्री नाग ने उनकी जीवनी बताते हुए कहा कि सरदार गया मुंडा का जन्म 1859 को हुआ था इनका पैतृक गांव खूंटी का ऐटकाडीह था। तजना नदी का किनारा एवं घनघोर वन आच्छादित इलाका होने की वजह से अक्सर इनका सामना बाघ-भालू जैसे हिंसक जानवरों से हो जाया करता था। जिसका निरंतर सामना करने की वजह से उनकी वीरता और ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। सन 1879 में इनका विवाह मकीरानी मुंडा से हुआ एवं 1880 81 के बीच इनका पुत्र साड़े मुंडा का जन्म हुआ। इन दिनों महाजनों और सूदखोरों के आतंक से खूंटी का सारा इलाका त्रस्त था। वीर बिरसा मुंडा के नेतृत्व में उलगुलान प्रारंभ हो गया 1893 ईशवी में वीर बिरसा मुंडा जी ने इनसे संपर्क किया एवं अपनी बिरसा सेना का प्रधान सेनापति नियुक्त किया एवं सरदार की उपाधि प्रदान की। सन 1895 में 5000 से ज्यादा मुंडाओं के साथ खूंटी थाना में आक्रमण किया एवं तत्कालीन थाना प्रभारी लाल जगरनाथ शाहदेव को तीर मारा एवं हाजत से अपने साथी मुंडा कैदियों को छुड़ा ले गए विरोध करने पर एक फिरंगी अंग्रेज सिपाही को काट डाला दमन क्रूरता अत्याचार के खिलाफ हुए इस उलगुलान ने ब्रिटिश सत्ता को हिला कर रख दिया खूंटी थाना पर सशस्त्र हमला करने थानेदार को तीर मारने एवं फिरंगी सिपाही को काट डालने के जुर्म में अपने ही लोगों की चुगली से सरदार गया मुंडा वीर बिरसा मुंडा डेमका मुंडा माझिया मुंडा को गिरफ्तार कर तत्कालीन डोरंडा जेल में रख दिया गया जब ब्रिटेन की महारानी को पता चला की एक 20 साल का युवा मुंडा जिसका नाम वीर बिरसा मुंडा है उनकी अगवाई में खूंटी थाना में ऐसा जबरदस्त हमला हुआ है तब उन्होंने और भी जानकारी मांगी तो अत्याचार करने वाले सूदखोर साहूकार एवं अंग्रेजों ने मिली भगत करके वीर बिरसा मुंडा सरदार गया मुंडा एवं उनके सभी साथियों को हजारीबाग जेल भेज दिया वीर बिरसा मुंडा एवं सरदार गया मुंडा के जेल जाने के पश्चात मकीरानी मुंडा आक्रोशित हो गई एवं मात्र 15 बरस की आयु में सरदार गया मुंडा के बेटे साड़े मुंडा को बिरसा सेना में शामिल होने की अनुमति प्रदान कर दी बिरसा सेना का नेतृत्व मकीरानी मुंडा के द्वारा की गई लेकिन हीरक जयंती के अवसर पर सभी को जेल से महारानी के आदेश से रिहा कर दिया गया वीर बिरसा मुंडा सहित सभी साथी एवं सरदार गया मुंडा जेल से वापस रिहा होकर देखे कि मुंडाओं की दशा पहले से भी और भी अत्यधिक दयनीय हो गई है तब फिर से गुप्त सभाओं का दौर शुरू हो गया 9 जनवरी 1899 को डोंबारी में मागेबूरू त्यौहार था इसमें वीर बिरसा मुंडा सरदार गया मुंडा एवं बिरसा सेना को विशेष आमंत्रण था ताकि त्यौहार के साथ-साथ विशेष बैठक किया जा सके कैप्टन रोजर को इसकी भनक लग गई थी एवं उन्होंने रांची के कमिश्नर स्ट्रीट फील्ड को बुलाया एवं घुड़सवार सैनिकों के साथ कैप्टन रोजर एवं कमिश्नर स्ट्रीट फील्ड ने हब्सी सैनिकों जाट सैनिकों पलटन के साथ डोंबारी पहुंचे एवं कमिश्नर स्ट्रीट फील्ड ने चोंगा पर चिल्ला कर कहा वीर बिरसा मुंडा को हमारे हवाले कर दो अन्यथा तुम सभी मारे जाओगे लेकिन मुंडाओं ने कमिश्नर स्ट्रीट फील्ड की चेतावनी को अनसुनी कर दिया फिरंगी सिपाहियों ने साइलरकब बूरू पर चढ़ने का प्रयास किया तो एक युवा मुंडा नरसिंह मुंडा ने फिरंगी सिपाही पर तीर चला दिया कमिश्नर ने गोली चलाने का आदेश दिया अंग्रेजी फोर्स बिगुल बजाया और अंधाधुंध गोली चलाना शुरु कर दिए थे डोंबारी बूरू और साइलरकब बुरु को फिरंगी सेना चारों तरफ से घर चुकी थी पहाड़ों के ऊपर से मुंडा लोग तीर बरसा रहे ढेलकूसी से पत्थर फेंक रहे थे लेकिन तीर पर बंदूक भारी पड़ गया 400 से ज्यादा लोग शहीद हो गए लेकिन महज 11 लोगों की मृत्यु की सूचना दी गई थी तब सोमा मुंडा वीर बिरसा मुंडा एवं उनके अगवा साथियों को वहां से भागने की सलाह दी ताकि उलगुलान जारी रहे उस रात वीर बिरसा मुंडा सरदार गया मुंडा एवं उनके अगवा साथी शेर की गुफा में रात बिताई एवं सुबह वीर बिरसा मुंडा कुंदरुगुटू चले गए एवं सरदार गया मुंडा मकीरानी मुंडा एवं साड़े मुंडा अपने गांव ऐटकेडीह चले गए लेकिन उलगुलान के वीरों के पीछे ब्रिटिश हुकूमत लग चुकी थी उन लोगों को पता चला कि सरदार गया मुंडा अपने परिवार के साथ ऐटकेडीह में है तो उन्होंने कुछ सैनिकों को भेजा सरदार गया मुंडा के पुत्र साड़े मुंडा ने उन्होंने तजना नदी में फिरंगी सैनिकों का सर कलम कर दिया। घुटने तक पानी होने की वजह से फिरंगी सैनिक बुरी तरह फंस गए, सरदार गया मुंडा के पुत्र साड़े मुंडा ने कई फिरंगी सिपाहियों को मार डाला और जो बाकी बचे रह गए वे जान बचाकर वापस भाग गए।पर वह चुप नहीं बैठने वाले थे। कैप्टन रोजर ने गुप्त सूचना के आधार पर सुबह 3:00 सरदार गया मुंडा के खपरा घर को दलबल के साथ घेर लिया। कैप्टन चेतावनी दे रहा था कि सरदार गया मुंडा को हमारे हवाले कर दो, पर गया मुंडा के पूरे परिवार ने अद्भुत वीरता का परिचय दिया। मकीरानी मुंडा ने फिरंगियों से जबरदस्त लोहा लिया। सरदार गया मुंडा  छलांग लगाकर सीधा आंगन में पहुंचा और कैप्टन रोजर को फरसा से काटकर मार डाला लेकिन पूरा परिवार पकड़ा गया एवं मकीरानी मुंडा को कई साथियों समेत तत्कालीन काला पानी अंडमान निकोबार जेल में डाल दिया गया। सरदार गया मुंडा को 1900 ईशवी में उनके पुत्र साड़े मुंडा एवं उनके साथी सुखराम मुंडा को फांसी टूंगरी आज के रांची पहाड़ी में फांसी की सजा दी गई एवं उनके शव को गायब कर दिया। इस प्रकार सरदार गया मुंडा एवं उनके पूरे परिवार ने जल जंगल जमीन के लिए आदिवासी अस्मिता पहचान के लिए खुशी-खुशी शहादत दे दी। लेकिन आज सरदार गया मुंडा का परिवार बेहद दयनीय अवस्था में है। उनके 40 जन का परिवार में आज महज आठ जन का परिवार बचा हुआ है। शिक्षा चिकित्सा रोजगार से अभी तक जोड़ा नहीं जा सका है एवं गांव का भी अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। झारखंड आदिवासी विकास समिति मांग करती है की सरदार गया मुंडा के परिवार की अविलंब सुध ली जाए।आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने की। मौके पर झारखंड आदिवासी विकास समिति के सांस्कृतिक महासचिव सुखराम पाहन  समिति के महानगर अध्यक्ष अमित मुंडा मधुकम ग्राम विकास समिति के संदीप तिर्की, राहुल तिर्की, स्मिथ तिर्की, रोहित तिर्की, नवीन तिर्की संतोष तिर्की अमन खलखो, रोहित तिर्की, सुरेश मिर्धा, सिकंदर मुंडा, विनय नायक, विक्की कुमार एवं अन्य शामिल थे। 

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