जीवन का हर दिन हो वेलेंटाइन डे : गुड़िया झा
ये आपसी प्यार और सम्मान यूं ही बना रहे इसके लिए जहां तक संभव हो सके पहल अपनी तरफ से कर इसे बनाये रखना उतना ही जरूरी है। सबसे पहले हमें इस बात को मानना पड़ेगा कि जिंदगी हमेशा फूलों की सेज नहीं होती है और ना ही हमारे हिसाब से कोई चीज बदलने वाली है।
1 स्वीकारने की कला।
हम अपने जीवनसाथी को अपने रंग में ढालने की कोशिश करते हैं जो कि गलत है। हर किसी की अपनी जिंदगी है, उन्हें भी खुली हवा में सांस लेने का अधिकार है। जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर हम खुद के साथ सामने वाले को भी शांति प्रदान कर सकते हैं। जहां शांति रहेगी वहां मतभेद नहीं होगा और जहां मतभेद नहीं होगा वहां जीवन की गाड़ी अच्छे से चलेगी। यही बात परिजनों के साथ भी लागू होती है। उन्हें भी उसी रूप में स्वीकार करें। इससे हम खुद को उनके बीच भी सहज महसूस करते हैं।
अपनी तरफ से हुई गलतियों पर माफी मांगने से पीछे नहीं हटें और दूसरों की गलतियों पर भी खुले दिल से उन्हें माफ कर आगे बढ़ें।
2 शिकायतों से बचें।
अगर सामने वाले की कोई बात या आदत पसंद नहीं आ रही है तो इसकी शिकायत दूसरों से ना करें। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि खुद ही समय और मौका देखकर बात करें और बतायें कि इससे उन्हें नुकसान भी हो सकता है। जब भी यह महसूस हो कि सामने वाला क्रोधित है तो थोड़ी देर खुद ही शांत होकर वहां से हट जायें। इससे अनावश्यक बहस से बचेंगे और शांति बनी रहेगी।
ध्यान रहे कि जब भी बातचीत का सिलसिला जारी हो तो समाधान के बारे में बात करें ना कि पिछली गलतियों को बार-बार याद दिलाएं।
सामने वाला जब भी अपनी बात कहना चाहे तो उनकी बातों को ध्यान से सुनें कि आखिर वो कहना क्या चाहते हैं। हर समस्या का समाधान है लेकिन आपसी सामंजस्य से।
3 तुलना से बचें।
अक्सर किसी के भी आत्मसम्मान को तब आहत पहुंचती है जब उसकी तुलना हम दूसरों से करते हैं। हर कोई सम्पूर्ण नहीं होता है। सबकी अपनी खूबियां और कमियां हैं। लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम सिर्फ कमियों पर ध्यान दें। जब हम सामने वाले के गुणों पर ध्यान देंगे तो उन्हें प्रोत्साहन मिलता है और वे धीरे-धीरे अपनी कमियों को भी दूर करने की कोशिश करते हैं।
4 भावनाओं की कद्र भी जरूरी।
सबकी अपनी भावनाएं होती हैं। ये भावनाएं सामने वाले की कोई भी पुरानी चीजों, रिश्तों या अन्य किसी भी विषय से सम्बंधित हो सकती हैं।
जहां भावनाओं की कद्र होगी वहां किसी को भी कुछ कहने या सुनने की जरूरत नहीं है। वहां रिश्ते खुद ही मजबूत होते हैं। जब भी गलतफहमी हो वहां किसी दूसरे को माध्यम न बनाकर खुद ही बात करें और अपनी गलतफहमी को दूर करें।
जीवनसाथी पर अनावश्यक शक करना, उनके फोन पर नजर रखना, अनावश्यक बातों को खींचना खुद के साथ दूसरों का भी समय और ऊर्जा को बर्बाद करना है। कभी-कभी हमारी खुद की नासमझी भी रिश्तों में दरारें पैदा करती है।
5 छोटी-छोटी खुशियों में शामिल हों।
एक-दूसरे की छोटी-छोटी खुशियों में शामिल हों। आज समय का अभाव सभी के पास है। जब हम रिश्तों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं तो समय हमारे बीच से रिश्ते निकाल देता है। ये सोचना कि फिर कई मौके हैं तब देखा जायेगा, इस सोच से बचें। वर्तमान की खुशियों का आनंद लें। सभी अपने आप में स्पेशल हैं। किसी के बहकावे में भी आने से बचें। आमतौर पर देखा गया है कि लोग पूछते हैं कि पति ने क्या गिफ्ट दिया है। सिर्फ महंगे गिफ्ट ही प्यार का संकेत नहीं हैं। सम्मान, त्याग और समर्पण का कोई मोल नहीं है।
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