आदिवासी आकृति नहीं प्रकृति के पूजक :: नीलम बिरूली
राष्ट्रीय जतरा महोत्सव 2024 का समापन
आदिवासी कला और संस्कृति का उत्सव राष्ट्रीय जतरा महोत्सव गुरुवार को मोराबादी मैदान में संपन्न हो गया
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि के तौर पर, कुमार राजा, समाजसेवी रमेश सिंह महेश महतो शामिल हुए। महोत्सव की अध्यक्षता अंतू तिर्की के द्वारा की गई। इस अवसर पर संस्थापक नीलम बिरूली ने कहा कि आदिवासी समुदाय हमेशा से शांति और एकता का प्रतीक रहा है और आदिवासी आकृति को नहीं प्रकृति पूजक है। इस अवसर पर महोत्सव के कोषाध्यक्ष सूरज टोप्पो उपाध्यक्ष अमित मुंडा,संस्थापक महासचिव नीलम बिरौली, कार्यकारी अध्यक्ष नरेश पहन अर्जुन मुंडा अभय भूत कुंवर संयोजक सोनू खलखो व मुंडा महावीर लकड़ा विक्की करमाली मिथिलेश कुमार भी उपस्थित थे । समापन कार्यक्रम के शुभारंभ में गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम स्थल में लगाए गए स्टालों का अवलोकन किया।
उक्त मौके पर महोत्सव के अध्यक्ष अंतू तिर्की ने कहा की व्यापक रूप से राष्ट्रीय जतरा महोत्सव को सफल बनाने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से आये खोड़हा दल, सहयोगी संस्थानों और व्यक्तियों को उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया।
महोत्सव के कोषाध्यक्ष सूरज टोप्पो ने विश्वास जताया कि वर्तमान समय मे झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद इस दो दिनी राष्ट्रीय यात्रा महोत्सव में प्रकृति प्रेमी की भारी उपस्थिति और अभूतपूर्व बिक्री दर्ज होने से निश्चित रूप से जनजातीय शिल्पियों और निवासियों को काफी हद तक मदद मिलेगी ।
इस 2 दिनी राष्ट्रीय जतरा महोत्सव के दौरान पूरे देश से विभिन्न आदिवासी समूह के द्वारा उत्पाद किए गए कपड़ा उपहार व्यंजन और सजावट की वस्तुएं जैविक उत्पाद कपड़ा और आभूषण धातु चित्र मिट्टी की बर्तन और आदिवासी व्यंजनों महोत्सव का सोभा था ।
महोत्सव की सफलता में कार्यकारी अध्यक्ष-अर्जुन मुंडा, रवि मुंडा, अभय भूत कुमार ,नरेश पाहन ,अजीत कछप, संयोजक- सोनू खलखो, उपाध्यक्ष-अमित मुंडा, मिथिलेश कुमार, राकेश मुंडा, महासचिव- नीलम बिरूली, राधा हेंब्रम, सचिव - बिरसा पहन, सुखदेव मुंडा निरंजन हेरेंज टोप्पो , महावीर लकड़ा, डब्लू मुंडा अरुण पाहन, कोषाध्यक्- सूरज टोप्पो, मोहन तिर्की, विकी करमाली, सलाहकार- राज उराँव इत्यादि उपस्थित रहे ।
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