राची, झारखण्ड | नवम्बर | 15, 2023 ::
झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हर्षोल्लास के साथ जनजातीय गौरव दिवस अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ तथा प्रदर्शन कला विभाग के संयुक्त तत्वाधान में मनाया गया I इस अवसर पर प्रभारी कुलपति प्रो. कुंज बिहारी पांडा ने कहा की बिरसा हमारे भगवान हैं I उनके द्वारा बचपन में ही रामायण और महाभारत का पठन-पाठन कर लिया गया था I अल्पायु में ही भगवान बिरसा मुंडा ने परमात्मा का साक्षात्कार किया था I उन्होंने न केवल सबका मन जीता बल्कि उन्होंने सबका विश्वास भी जीता I धर्मान्तरण का उन्होंने कड़ा विरोध किया I इसाईयत का पर्दाफाश किया I अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले सवतंत्रता सेनानी थे I बिरसायत की परम्परा की शुरुआत किया I जनेऊ तथा तुलसी के पौधे को अपने जीवन में उतरा I
इस अवसर पर राँची के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व सहायक आयकर आयुक्त देव व्रत पाहन ने कहा की भारत वीर सपूतो वीरांगनाओ की जननी है I उलीहातू नामक गाँव में सुगना मुंडा एवं करमी मुंडा के घर में बिरसा मुंडा का जन्म हुआ I मुंडा रिवाज के अनुसार बृहस्पतिवार के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम बिरसा रखा गया I जन्म से ही वह विलक्षण बुद्धि के बालक थे I जंगलो में गाय चराते समय बाँसुरी बजाते थे I बाँसुरी की आवाज सुन पशु पक्षी भी तल्लीन होकर उनकी बाँसुरी की तान सुनते थे I
किसान के शोषण के विरुद्ध लगान माफ़ी के लिए बिरसा ने बड़ा आन्दोलन किया I 1899 में बिरसा को गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग जेल भेज दिया गया I स्वायत्ता और संस्कृति बचाने के इस आन्दोलन को उलगुलान का नाम दिया गया I
25 वर्ष की छोटी सी अवधि में जनजातियो और देश की हित में बिरसा ने इतने अच्छे-अच्छे कार्य किये की लोग उन्हें धरती आबा के नाम से याद करते हैं I उन्होंने अपने जीवनकाल में जनजातियो के गौरवशाली इतिहास के संरक्षण और संवर्धन के लिए अहर्निश काम किया अतः उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया गया I
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव के के राव ने कहा की भगवान बिरसा का आज अवतरण दिवस है कम उम्र में जीवन की आहुति देने वाले भगवान बिरसा से हम विद्यार्थियो को यह शिक्षा लेनी चाहिए की कैसे धर्म एवं संस्कृति की रक्षा की जा सकती है I आज पूरा भारत वर्ष जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है वर्ष 2021 में भारत सरकार द्वारा इसकी विधिवत शुरुआत की गयी I
इस अवसर पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ तथा प्रदर्शन कला विभाग के संयुक्त तत्वाधान में “धरती आबा – बिरसा मुंडा” पर नाटक तथा पारम्परिक संगीत की भी प्रस्तुति की गई I प्रदर्शन कला विभाग के समन्वयक डॉ. वेंकट नरेश बुरला, सहायक प्राध्यापक डॉ. शाकिर तसनीम द्वारा निर्देशित नाटक का मंचन किया गया I इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी डीन वरिष्ठ प्राध्यापक एवं सैकड़ो की संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे I पारम्परिक गायन में सुनीता, रुदाली, अपर्णा, निशा प्रिया, कविता, किरण और प्रीतम मौजूद थे नाटक में अमित कुमार, आनंद केशरी गुप्ता, रिशु रौशन, अभीत कुमार, कावेरी राय, आलोक कुमार शुक्ल, आदर्श केपी, आनंद कुमार शुक्ला, नितिल कुमार उपस्थित थे मंच संचालन अनु.जा. एवं अनु. जन. जा. प्रकोष्ठ के सहायक कुलसचिव डॉ. शिवेंद्र प्रसाद ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रदर्शन कला विभाग की सहायक प्रधायापिका डॉ. जया साही ने किया I
No comments:
Post a Comment