Sunday, 31 May 2020

ध्वनिलाइव रांची के तत्वावधान में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन

रांची, झारखण्ड | मई | 31, 2020 :: "ध्वनिलाइव" रांची के तत्वावधान में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में ध्वनि लाइव के प्रणेता डॉ शिशिर सोमवंशी, प्रयागराज ,उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता तथा सदानंद सिंह यादव के संयोजन एवं संचालन में झारखंड सहित कई राज्यों के कवियों ने शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरुआत स्नेहा राय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना "वर दे हे वीणा वादिनी, मां शारदे मां शारदे।
श्वेत हंस वाहिनी मां, श्वेतांबरी अज्ञानता से ज्ञान की दीप प्रज्वलित कर तू मां " से हुआ ।
लखनऊ उत्तर प्रदेश से चंद्रशेखर वर्मा ने - पूरे घर में एक हिस्से की सफाई ,रह गई बाबूजी और मां के कमरे की पुताई ।
डॉक्टर शिशिर सोमवंशी द्वारा प्रस्तुत बारहा उनसे मुलाकात के बाद ,लौट कर हम कभी कभी आए"।
नेहाल हुसैन सरैयावी ने कहा -वक़्त से लाचार कितना आज हर मज़दूर है,
रोज़ी रोटी के लिए जो अपने घर से दूर है।
पेट ख़ाली हाथ ख़ाली जिस्म
सूजा सूखे होठ,
पाओं में छाले हैं दिल मे
ज़ख्म भी भरपूर ।
स्नेहा रायने अपनी रचना में कहा कि -" उनसे अब बात भी नहीं होती, दिल पर अब घात भी नहीं होती।
रंजीत कुमार दुर्गापुर, बंगाल ने अपनी प्रस्तुति में -वीर शहीदों को समर्पित गीत -सरहद के ऐ वीर शहीदों तुझको नमन हमारा ।
सदानंद सिंह यादवने अपनी प्रस्तुति देते हुए- समझ नहीं आता क्या कहूं इसे मानव पर प्रकृति की मार या प्रकृति का मानव को उपहार ।
रेणु झा द्वारा प्रस्तुत -दौड़ बड़ा नाजुक है हमें संभलना होगा, अलग अलग रहकर महामारी से लड़ना होगा।
डाॅ • सुरिंदर कौर नीलम ने -मोबाइल को छोड़ो तब हो मिलने की गुंजाइश, जेबों में लम्हे भर लाना बस इतनी फरमाइश ।
जनाब कमर गयावी ने कहा -मोहब्बत का यह संगम ही मोहब्बत को नहीं तोड़ो, दिल को दिल में तुम जोड़ो ,मोहब्बत को नहीं तोड़ो। संध्या चौधरी उर्वशी ने कहा- हां बहुत हो तुम धनवान एक हद तक कर दिया है सब न्योछावर।
गुमला से प्रेम हरि ने कहा -कट ही जाएगा यह जो समय, है विकट सूर्य बादल में छुप कर रहेगा नहीं ।
रजनीश सिंह द्वारा प्रस्तुत -ए खुदा मुझको दे अपनी नजर ,ढूंढ सकूं मंजिल को रोशनी दे।
सुनील सिंह बादल ने- आशीर्वाद दुआओं से जो अपना सब कुछ लुटा दे ,खुदा के इस नेक बंदे को मां कहते हैं ।
उन्होंने दिन की दुपहरिया तथा गिरमिटिया से लेकर परदेस कमाने हर साल जाने वाले वह मजदूर मजबूर है पर भी कविता सुनाई। प्रयागराज उत्तर प्रदेश से अमन मिश्रा ने -तू मुझे क्या देगा ,इस जहां से ज्यादा, तू नहीं तो मैं जिंदगी गरीबी में बसर करता हूं ।
प्रयागराज उत्तर प्रदेश से नवीन सिन्हा ने - न मांझी न रहबर महक में हवाएं है, कश्ती भी जर्जर यह कैसा सफर है ,अलग ही मजा है फकीरी में, अपना ना पाने की चिंता ना खोने का डर है । मीनू मीना सिन्हा - हे बागेश्वरी, पथ प्रदर्शित करो, पथविहीन होती हूं मैं ,कलम में मेरी ऊर्जा भर दो ,सच की राह बलि जाऊ मैं। कई अन्य कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉक्टर शिशिर सोमवंशीने किया।

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