Monday, 11 May 2020

पोषणयुक्त आहार करेगा कोरोना पर वार : प्रसांता दास, चीफ, यूनिसेफ झारखंड

रांची, झारखण्ड | मई | 11, 2020 :: पिछले एक महीने से अधिक समय से हम अपने प्रियजनों तथा साथी नागरिकों के साथ मिलकर कोरोनावायरस से बचाव हेतु लाॅकडाउन का पालन कर रहे हैं। इसके कारण कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने में सहायता मिली है तथा स्वास्थ्यकर्मियों को भी कोरोना के बढ़ते पाॅजिटिव के मामले को काबू में रखने में मदद मिली है। स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि बचाव के उपायों को अपनाने के साथ-साथ हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाएं। हालांकि, हाथों की सफाई, आसपास की स्वच्छता तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन आवश्यक है, क्योंकि यह हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है, लेकिन इसके साथ ही शारीरिक पोषण का भी ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि यह एक मजबूत आधार स्तंभ है, जिसपर हम मजबूत प्रतिरोधी क्षमता की नींव रख सकते हैं। लाॅकडाउन के कारण यह अपेक्षित ही है कि भोजन की विविधता और इसकी मात्रा में गिरावट आयी है, जिसका असर हमारे पोषण पर पड़ सकता है। पोषण की कमी हमारे शरीर को बुरी तरह से पं्रभावित कर सकता है, खासकर जो पहले से ही कमजोर और किसी न किसी प्रकार की बीमारी से पीड़ित हैं। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) के अनुसार, झारखंड में 60 प्रतिशत से अधिक गर्भवती तथा धातृ माताएं एनीमिया ग्रस्त हैं, जबकि मां बनने योग्य एक-तिहाई महिलाओं में पोषण की कमी है।
हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार इस बात के अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि गर्भवती महिलाओं में कोरोनावायरस के संक्रमण का खतरा दूसरों से अधिक है, लेकिन उन्हें कुछ एहतियात बरतने चाहिए, जैसे कि नियमित तौर पर हाथों की सफाई करना, चेहरे को छूने से बचना तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन आदि। कोरोनावायरस के लक्षण (बुखार, खांसी या सांस लेने में कठिनाई आदि) दिखने पर तुरंत स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रिपोर्ट करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है कि पति एवं परिवार के सदस्य इस बात का ख्याल रखें कि गर्भवती महिलाओं को दिन में कम से कम तीन बार भोजन मिले, साथ ही गर्भावस्था के प्रथम तीन माह के दौरान एक समय पोषक अल्पाहार तथा चैथे एवं नवें माह के दौरान दो बार पोषक अल्पाहार दिए जाने चाहिए। उनके प्रत्येक भोजन में ऐसे पोषक तत्वों को शामिल किया जाना चाहिए, जिससे संपूर्ण पोषण की प्राप्ति हो। शारीरिक उर्जा की पूर्ति के लिए दालें, वसा तथा चीनी का उपयोग करना चाहिए। इसी प्रकार शरीर के विकास के लिए दालें व फलियां, मेवे, डेयरी, अंडे, मांस, मछली तथा पोल्ट्री उत्पाद लिए जा सकते हैं। प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए सब्जियों एवं फल का भरपूर सेवन किया जा सकता है। हालांकि, ताजे फल एवं सब्जियों का सेवन आदर्श है, लेकिन लाॅकडाउन को ध्यान में रखते हुए लंबे समय तक संरक्षित रखे जाने वाले खाद्य पदार्थों - बाज़्ारा, रागी, ज्वार, छोले, चना, मूंग, राजमा, सोयाबीन, बींस तथा स्थानीय तौर पर उपलब्ध फलियों का उपयोग भी किया जा सकता है। यदि ताजे भोजन उपलब्ध न हों तो स्वस्थ्य आहार के विकल्पों की तलाश करनी चाहिए तथा उच्च वसा वाले प्रोसेस्ड फूड तथा चीनी एवं नमक आदि सीमित मात्रा में ही लेनी चाहिए। इसके अलावा मीठे पेय पदार्थ जैसे कि कोल्ड ड्रिंक आदि के सेवन से बचा जाना चाहिए।
एक संतुलित आहार में आयरन एवं कैल्सियम टैबलेट की नियमित खुराक अवश्य शामिल होनी चाहिए। मांस एवं अंडों को यदि अच्छी तरह से पका कर खाया जाए तो वे भी सुरक्षित हैं। यह आवश्यक है कि बर्तनों को बाजार से खरीद कर लाने के बाद उसे अच्छी तरह से धोकर ही उपयोग किया जाए। पोषण की अच्छी आदतों में पानी की समुचित मात्रा (8-10 ग्लास प्रतिदिन) का भी समावेश होना चाहिए। महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच के दौरान उनके वजन बढ़ने तथा एनीमिया के खतरे की भी जांच करनी चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान कोरोनावायरस का डर एवं चिंता गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एक अच्छा पौष्टिक आहार उनकी चिंता, नींद, उर्जा और भूख को नियंत्रित करने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन 20-25 मिनट का हल्का शारीरिक व्यायाम करना भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा उन्हें 30-40 मिनट का सूर्य प्रकाश भी लेना चाहिए। पर्याप्त आराम भी जरूरी है। दिन में 2 घंटे का आराम और रात में 8 घंटे की नींद आदर्श है। कैफीन, शराब, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचाते हैं।

कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान बच्चों को स्तनपान कराने को लेकर भी लोगों के मन में कई प्रकार की शंकाएं हैं। हम इस बात पर बल देना चाहते हैं कि स्तनपान नवजात बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है तथा उन्हें बीमारियों से लड़ने हेतु एक प्रकार का कवच प्रदान करता है। खासकर संक्रमण वाले रोगों में यह काफी असरकारक है, क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। जिन माताओं में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता प्राप्त करना चाहिए तथा स्वास्थ्य प्रदाताओं द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए।

माता एवं शिशु की त्वचा एक दूसरे के संपर्क में रहना चाहिए, विशेष रूप से बच्चे के जन्म के बाद तथा स्तनपान कराते वक्त इसका ख्याल जरूर रखा जाना चाहिए। मां या बच्चे के कोरोना पाॅजिटिव होने या अन्य बीमारी से ग्रसित होने की हालत में भी बच्चे को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।
मैं इस बात को बल देकर कहना चाहता हूं कि बच्चों को स्तनपान कराने से कई प्रकार की बीमारियों से उनकी रक्षा होती है साथ ही यह उन्हें बचपन में होने वाले रोगों से भी बचाता है। खासकर संक्रमण के रोगों में यह काफी कारगर है, क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। जिन माताओं में कोरोना के लक्षण दिखते हैं, उन्हें तुरंत स्वास्थ्य सहायता लेनी चाहिए तथा डाॅक्टरों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। माताएं अपने बच्चों को कुछ सावधानियों के साथ स्तनपान कराना जारी रख सकती हैं। स्तनपान कराते वक्त उन्हें मास्क का उपयोग करना चाहिए। बच्चे के संपर्क में आने से पहले और बाद में कम से कम 20 सेकंड तक हाथों को साबुन और पानी से धोना चाहिए। वे माताएं जो बीमार होने के कारण बच्चे को स्तनपान नहीं करा सकती वह अपना दूध निकालकर भी बच्चे को दे सकती हैं। मां या पिता में से कोई भी कटोरी एवं चम्मच की सहायता से यह दूध बच्चे को पिला सकता है। हर समय हाथ की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। स्तनपान के विकल्प के रूप में फार्मूला मिल्क, फीडिंग बोतल तथा पैसिफायर का न तो इस्तेमाल करना चाहिए और न ही इन्हें प्रचारित-प्रसारित ही करना चाहिए।
अंत में मैं उन साथी नागरिकों की सराहना करना चाहता हूं, जिन्होंने लाॅकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को पोषण प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है तथा आदर्श नागरिक का उदाहरण प्रस्तुत किया हैं। नियमों तथा निर्देशों का समुचित रूप से पालन कर तथा अपने आसपास के लोगो की देखभाल एवं उनके प्रति संवेदना रख कर हम इस चुनौती से पार पाएंगे।


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