Friday, 29 May 2020

स्वदेशी की शुरुआत अपने आप से करें : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड | मई | 29, 2020 :: भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चौथे चरण की लॉक डाउन की घोषणा के बाद तथा प्रधानमंत्री जी की अपील के साथ हर किसी की जुबान पर " स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ के नारे गूंज रहे हैं"।
वास्तविकता भी यही है कि इस लंबी अवधि के लॉक डाउन में जो भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षति हुई है, उसकी भरपाई स्वदेशी अपनाने से ही पूरी की जा सकती है। जब हमारे देश में ही सभी साधन उपलब्ध हैं, हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर हर जरूरत की चीजें उपलब्ध हैं, तो फिर विदेशी सामानों की उपयोगिता की जरुरत ही क्या है।
1, खाद्य पदार्थ।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी ये कहना सही है कि खाने की थाली में पहले हमारे यहां रोजमर्रा की चीजों में ज्वार, बाजरा, सामा चावल आदि रहा करते थे। जो कि सभी प्रकार की पोषक तत्वों से भरपूर हुआ करते हैं। बदलते समय के साथ हमनें खाने पीने की चीजों में भी अमीरी गरीबी का टैग लगा दिया। मतलब की जो सही चीजें थीं उस पर हमनें गरीबी का मोहर लगाकर पोषक तत्वों से भरपूर थाली को ही छोड़ दिया। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जिनका अच्छी तरह से पैकेट कर अपने देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसका सप्लाई कर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
2, शिक्षा।
शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने देश में अपार संभावनाएं हैं। बस जरूरत है हमारे सही नजरिये की।आमतौर पर देखा जाता है कि हमारे आसपास कई ऐसे लोग हैं जो काफी पढ़े लिखे तो हैं ही,साथ ही उनमें दूसरों को भी शिक्षा के द्वारा आगे बढ़ाने की अद्भुत कला है। ऐसे कई लोग अभी भी बेरोजगार हैं। फिर भी हमारा ध्यान ऐसे लोगों की तरफ ना जाकर कुछ ऐसे संस्थाओं की ओर जाता है जहां शिक्षा की आड़ में अभिभावकों का शोषण होता है। अपने आसपास शिक्षा से परिपूर्ण बेरोजगारों और शिक्षा की गुणवत्ता दोनो को ध्यान में रखते हुए यदि हम सूझ बूझ से अपने कदम आगे बढ़ाएं, तो निश्चित ही हमारे बच्चों की उचित शिक्षा के साथ साथ उन बेरोजगारों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर हम अपने देश को आगे की तरफ ले जा सकेंगे।
3, वस्त्र।
हमारे देश में वस्त्र उद्योग भी अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए समर्पित रहते हैं। खादी ग्रामोद्योग, हैंडलूम, सूती कपड़े से निर्मित वस्त्र आदि ऐसे परिधान हैं जिनमें उचित मूल्य के अलावा शरीर को आराम देने की भी भरपूर क्षमता है। फिर भी ना जाने क्यों हम दिखावे के लिए विदेशी कपड़ों का इस्तेमाल कर अपने देश की वस्त्र उद्योग को नजरअंदाज करना चाहते हैं।
वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में भी हमारे यहां एक से एक कारीगर हैं जो अपने हाथों से कपड़ों पर विभिन्न प्रकार की डिजाइन तैयार कर कड़ी मेहनत से अपने द्वारा बनाये गये कपड़ों को बाजारों में उपलब्ध कराते हैं। क्यों ना हम इन कारीगरों द्वारा बनाये गए वस्त्रों को अपनाकर अपने देश की अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनायें। ये सब तभी संभव है जब हम खुद इसकी शुरुआत करेंगें।तो हमारी आने वाली नई पीढ़ी भी इसे आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।
4, अन्य उत्पाद।
अन्य उत्पादों में भी भारत हर कदम पर अग्रणी है।क्यों ना हम इन उत्पादों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाकर अपने देश के उत्पादों का सही उपयोग कर भारतीय अर्थव्यवस्था की नीव को और भी मजबूत बना कर अपने देश को आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।

No comments:

Post a Comment