रांची, झारखण्ड | मई | 23, 2020 ::
हनुमानासन की विधि
बाएं घुटने के बल बैठ जाये और दाये पंजे को बाये घुटने के सामने लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें l
हथेलियों को जमीन पर दाएं पंजे के दोनों ओर रखेंl
धीरे-धीरे दाएं पंजे को आगे बढ़ाएं साथ ही शरीर के भार को हाथों के सहारे संभालेl
दाएं पंजे को अधिक से अधिक आगे की ओर तथा बाएं पंजे को अधिक से अधिक पीछे की ओर ले जाते हुए बिना जोर लगाये पैरों को सीधा करने का प्रयास करेंl
अंतिम स्थिति में नितंबों को नीचे लाएं जिससे कि श्रोणीय क्षेत्र और दोनों पैर एक सीध में जमीन पर आ जाते।
आंखें बंद कर ले, शरीर को शिथिल करें और हथेलियों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में वक्ष के सामने लाये।
और जांच कर ले कि पीछे वाला घुटना सीधा रहे। इस स्थिति में जितनी देर आराम से रह सके, रहे।
प्रारंभिक स्थिति में लौट आये।
दूसरे पैर को आगे कर आसन को दुहराये।
पूरे अभ्यास के दौरान सामान्य श्वसन करें।
लाभ
यह आसन पैरों और नितंबों को लचीला बनाता और उन में रक्त संचार बढ़ाता है यह उदर के अंगों की मालिश करता है, प्रजनन प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है
और मातृशरीर को शिशु जन्म के लिए तैयार करता है!
सावधानियां
slip disc साइटिका हर्निया होने और नितंब के जोड़ों के अपने स्थान से हट जाने पर यह आसन एकदम वर्जित है
श्वेता कुमारी
योग प्रशिक्षक
छात्रा, योग विभाग, रांची विश्व विद्यालय
No comments:
Post a Comment