रांची, झारखण्ड | मई | 31, 2020 :: "ध्वनिलाइव" रांची के तत्वावधान में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में ध्वनि लाइव के प्रणेता डॉ शिशिर सोमवंशी, प्रयागराज ,उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता तथा सदानंद सिंह यादव के संयोजन एवं संचालन में झारखंड सहित कई राज्यों के कवियों ने शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरुआत स्नेहा राय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना "वर दे हे वीणा वादिनी, मां शारदे मां शारदे।
श्वेत हंस वाहिनी मां, श्वेतांबरी अज्ञानता से ज्ञान की दीप प्रज्वलित कर तू मां " से हुआ ।
लखनऊ उत्तर प्रदेश से चंद्रशेखर वर्मा ने - पूरे घर में एक हिस्से की सफाई ,रह गई बाबूजी और मां के कमरे की पुताई ।
डॉक्टर शिशिर सोमवंशी द्वारा प्रस्तुत बारहा उनसे मुलाकात के बाद ,लौट कर हम कभी कभी आए"।
नेहाल हुसैन सरैयावी ने कहा -वक़्त से लाचार कितना आज हर मज़दूर है,
रोज़ी रोटी के लिए जो अपने घर से दूर है।
पेट ख़ाली हाथ ख़ाली जिस्म
सूजा सूखे होठ,
पाओं में छाले हैं दिल मे
ज़ख्म भी भरपूर ।
स्नेहा रायने अपनी रचना में कहा कि -" उनसे अब बात भी नहीं होती, दिल पर अब घात भी नहीं होती।
रंजीत कुमार दुर्गापुर, बंगाल ने अपनी प्रस्तुति में -वीर शहीदों को समर्पित गीत -सरहद के ऐ वीर शहीदों तुझको नमन हमारा ।
सदानंद सिंह यादवने अपनी प्रस्तुति देते हुए- समझ नहीं आता क्या कहूं इसे मानव पर प्रकृति की मार या प्रकृति का मानव को उपहार ।
रेणु झा द्वारा प्रस्तुत -दौड़ बड़ा नाजुक है हमें संभलना होगा, अलग अलग रहकर महामारी से लड़ना होगा।
डाॅ • सुरिंदर कौर नीलम ने -मोबाइल को छोड़ो तब हो मिलने की गुंजाइश, जेबों में लम्हे भर लाना बस इतनी फरमाइश ।
जनाब कमर गयावी ने कहा -मोहब्बत का यह संगम ही मोहब्बत को नहीं तोड़ो, दिल को दिल में तुम जोड़ो ,मोहब्बत को नहीं तोड़ो। संध्या चौधरी उर्वशी ने कहा- हां बहुत हो तुम धनवान एक हद तक कर दिया है सब न्योछावर।
गुमला से प्रेम हरि ने कहा -कट ही जाएगा यह जो समय, है विकट सूर्य बादल में छुप कर रहेगा नहीं ।
रजनीश सिंह द्वारा प्रस्तुत -ए खुदा मुझको दे अपनी नजर ,ढूंढ सकूं मंजिल को रोशनी दे।
सुनील सिंह बादल ने- आशीर्वाद दुआओं से जो अपना सब कुछ लुटा दे ,खुदा के इस नेक बंदे को मां कहते हैं ।
उन्होंने दिन की दुपहरिया तथा गिरमिटिया से लेकर परदेस कमाने हर साल जाने वाले वह मजदूर मजबूर है पर भी कविता सुनाई। प्रयागराज उत्तर प्रदेश से अमन मिश्रा ने -तू मुझे क्या देगा ,इस जहां से ज्यादा, तू नहीं तो मैं जिंदगी गरीबी में बसर करता हूं ।
प्रयागराज उत्तर प्रदेश से नवीन सिन्हा ने - न मांझी न रहबर महक में हवाएं है, कश्ती भी जर्जर यह कैसा सफर है ,अलग ही मजा है फकीरी में, अपना ना पाने की चिंता ना खोने का डर है । मीनू मीना सिन्हा - हे बागेश्वरी, पथ प्रदर्शित करो, पथविहीन होती हूं मैं ,कलम में मेरी ऊर्जा भर दो ,सच की राह बलि जाऊ मैं। कई अन्य कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉक्टर शिशिर सोमवंशीने किया।
Sunday, 31 May 2020
संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में रक्त शिविर शिविर का आयोजन
रांची, झारखण्ड | मई | 31, 2020 :: संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में रक्त शिविर शिविर का आयोजन किया गया जहाँ
नामकुम ब्रांच ने. 25 unit
रातु ब्रांच ने 25 unit तथा
रांची ब्रांच ने 25 unit
सदर हॉस्पिटल के सहयोग से रक्त दान किया.
ज्ञात हो की संत निरंकारी मिशन ने देश में एक प्रमुख रक्तदान करने वाले स्वैच्छिक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
1986 से रक्तदान शिविर नियमित रूप से बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज को श्रद्धांजलि के रूप में अखिल भारतीय रूप में आयोजित किए जा रहे हैं।
2010 से ये शिविर संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे हैं।
पिछले ३५ वर्षो में संत निरंकारी चैरिटेबfoundation बे लगभग ६५०० रक्त दान शिविर आयोजन देश के विभिन ब्रांच में आयोजित किये है जिसमे ११ लाख से अधिक रक्त दान किये गए है.
नामकुम ब्रांच ने. 25 unit
रातु ब्रांच ने 25 unit तथा
रांची ब्रांच ने 25 unit
सदर हॉस्पिटल के सहयोग से रक्त दान किया.
ज्ञात हो की संत निरंकारी मिशन ने देश में एक प्रमुख रक्तदान करने वाले स्वैच्छिक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
1986 से रक्तदान शिविर नियमित रूप से बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज को श्रद्धांजलि के रूप में अखिल भारतीय रूप में आयोजित किए जा रहे हैं।
2010 से ये शिविर संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे हैं।
पिछले ३५ वर्षो में संत निरंकारी चैरिटेबfoundation बे लगभग ६५०० रक्त दान शिविर आयोजन देश के विभिन ब्रांच में आयोजित किये है जिसमे ११ लाख से अधिक रक्त दान किये गए है.
Baba Digital lab : Track to build photography
Ranchi, Jharkhand | May | 31, 2020 :: Baba digital Lab have wide range of all the Photography equipments that one need to build his/her Photography passion , no matter which brand you need ,at what price range , we have all under one roof .
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फ़िल्म निर्माता मनीष यादव के साथ निर्देशक साहिल सनी ने किया ऑडियो वीडियो स्टूडियो का शुभारम्भ
मुम्बई | मई | 31, 2020 :: भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री के जानें-मानें फ़िल्म निर्देशक साहिल सनी को ईद में निर्माता मनीष यादव की तरफ से एक तोहफा मिला।
आधे दर्जन से भी अधिक फिल्में कर चुके निर्देशक साहिल सनी ने निर्माता मनीष यादव के सहयोग से एस एम डिजिटल डॉल्बी रिकॉर्डिंग स्टूडियो का शुभारम्भ किया।
इस रिकॉर्डिंग स्टूडियो की शुरुआत इसी वर्ष ईद के दिन की गयी।
फ़िल्म निर्देशक साहिल सनी ने कहा कि निर्माता मनीष यादव का तोहफा मेरे लिए ईदी हैं।
चूँकि,ईद के दिन ऐसा सहयोग मिला।
तो इसे ईदी ही कहा जा सकता हैं।
उन्होंने बताया कि यह रिकॉर्डिंग स्टूडियो मुम्बई महाराष्ट्र के पालघर जिले के केलवे रोड ईस्ट में स्तिथ हैं।
जहाँ से पोस्ट प्रोडक्शन का पूर्ण सुविधा हैं।
साहिल सनी ने अब तक कई भोजपुरी और हिंदी फिल्में की हैं।
जिनमें साली बड़ी सतावेली,ई कईसन विदाई,निगाहें नागिन की,इलाहाबाद से इस्लामाबाद,दी रियल वाइफ,साहिल की प्रेम लीला व अन्य शामिल हैं।जबकि,आने वाली फिल्में 11 इडियट्स,मेरे महबूब मेरे वतन,हो जनम दोबारा तो भारत वतन मिलें,विध्वंश,निगाहें नागिन की 2 इत्यादि शमिल हैं।
फ़िल्म निर्माता मनीष यादव के साथ भी कई फिल्में आने वाली हैं।जिनमें रिवर्स माइग्रेशन,घनचक्कर,रहें सलामत मोरा सजना आदि हैं।
आधे दर्जन से भी अधिक फिल्में कर चुके निर्देशक साहिल सनी ने निर्माता मनीष यादव के सहयोग से एस एम डिजिटल डॉल्बी रिकॉर्डिंग स्टूडियो का शुभारम्भ किया।
इस रिकॉर्डिंग स्टूडियो की शुरुआत इसी वर्ष ईद के दिन की गयी।
फ़िल्म निर्देशक साहिल सनी ने कहा कि निर्माता मनीष यादव का तोहफा मेरे लिए ईदी हैं।
चूँकि,ईद के दिन ऐसा सहयोग मिला।
तो इसे ईदी ही कहा जा सकता हैं।
उन्होंने बताया कि यह रिकॉर्डिंग स्टूडियो मुम्बई महाराष्ट्र के पालघर जिले के केलवे रोड ईस्ट में स्तिथ हैं।
जहाँ से पोस्ट प्रोडक्शन का पूर्ण सुविधा हैं।
साहिल सनी ने अब तक कई भोजपुरी और हिंदी फिल्में की हैं।
जिनमें साली बड़ी सतावेली,ई कईसन विदाई,निगाहें नागिन की,इलाहाबाद से इस्लामाबाद,दी रियल वाइफ,साहिल की प्रेम लीला व अन्य शामिल हैं।जबकि,आने वाली फिल्में 11 इडियट्स,मेरे महबूब मेरे वतन,हो जनम दोबारा तो भारत वतन मिलें,विध्वंश,निगाहें नागिन की 2 इत्यादि शमिल हैं।
फ़िल्म निर्माता मनीष यादव के साथ भी कई फिल्में आने वाली हैं।जिनमें रिवर्स माइग्रेशन,घनचक्कर,रहें सलामत मोरा सजना आदि हैं।
लास्ट डे ऑफ़ लॉकडाउन 4 : 68 दिनों से सेवा निभा रहे थे, रांची के युवा
रांची, झारखण्ड | मई | 31, 2020 :: आज दिनांक 31 म को लास्ट डे ऑफ़ लॉकडाउन 4 था, जिसमे चिकन कैसा, वेज पुलाओ, गुलाब जामुन, कोल्डड्रिंक्स, निर्मल जल का वितरण किया गया.
मुख्य रूप से राजेश गुप्ता छोटू, राजा बग्गा, राजा सलूजा, विजय प्रकाश मिल की सेवा की.
आज टोटल 68 दिनों से अपने सेवा निभा रहे थे।
मुख्य रूप से राजेश गुप्ता छोटू, राजा बग्गा, राजा सलूजा, विजय प्रकाश मिल की सेवा की.
आज टोटल 68 दिनों से अपने सेवा निभा रहे थे।
फ़िल्म अभिनेता सुजीत कुमार सिंह क्षत्रिय महासभा सम्पूर्ण भारत ट्रस्ट के प्रदेश प्रभारी व सचिव मनोनीत
मुम्बई | मई | 31, 2020 :: लोकप्रिय व चर्चित फ़िल्म अभिनेता सुजीत कुमार सिंह को क्षत्रिय महासभा सम्पूर्ण भारत ट्रस्ट का प्रदेश प्रभारी झारखण्ड और प्रदेश सचिव महाराष्ट्र का मनोनीत किया गया।सुजीत एक लोकप्रिय व चर्चित फ़िल्म अभिनेता हैं,जिन्होंने अब तक कई फिल्में हैं।जिनमें दिल कर मेला,जनम जनम कर नाता,जुड़ गईल बंधन,सिंह भईयाँ आदि शामिल हैं।झारखण्ड के लाल सुजीत को ट्रस्ट के प्रदेश महामंत्री महाराष्ट्र सह मण्डल प्रभारी गोरखपुर ठाकुर धर्मेन्द्र कुमार सिंह के अनुशंसा से पद मनोनीत किया गया।धर्मेन्द्र सिंह भी एक लेखक व अभिनेता हैं।
सुजीत ने पद मनोनीत किये जानें पर ट्रस्ट के प्रमुख पदाधिकारी व ठाकुर धर्मेन्द्र सिंह को धन्यवाद दिया और कहा कि वे संगठन के संविधान के तहत देशहित व राष्ट्रहित में समाज के लिए कार्य करेंगे।
Saturday, 30 May 2020
बिना सुर्खियों में आए गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने में अकेले जुटे हैं कृष्ण कुमार
रांची, झारखण्ड | मई | 30, 2020 :: जुनून, दीवानगी पागलपन जैसे कुछ ऐसे शब्द हैं , जो अगर मन मस्तिक में छा जायें तो आदमी कुछ भी कर गुजरता है । उसे फिर किसी बात की चिंता नहीं सताती है । वह अपने काम में पूरी तरह से मगन हो जाता है , अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो जाता है । कुछ ऐसा ही कांके रोड निवासी कृष्ण कुमार के के साथ देखने को मिल रहा है । वे पिछले कई दिनों से लॉकडाउन में फंसे जरूरतमंद और गरीबों को भोजन कराने की जुगत में जुड़े हुए हैं। वे ना सिर्फ उन्हें भोजन ही करा रहे हैं , बल्कि उन्हें कच्चा अनाज भी मुहैया करा रहे हैं। गरीबों के प्रति उनके मन में जो दर्द छलक कर सामने आया है उनकी बानगी कुछ इस प्रकार है । अपने स्तर से पैसों की जुगाड़ कर अपने घर पर ही भोजन बनवा रहे हैं और अपने वाहन पर बनाए गए भोजन को लेकर रिंग रोड स्थित लॉ यूनिवर्सिटी के इर्द-गिर्द रहने वाले गरीब परिवारों के घरों में जाकर उन्हें भोजन उपलब्ध करा रहे हैं । वे बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार इन गरीबों को भोजन कराया तो बड़ा ही सकून मिला । अब तो इन गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना और भी जरूरी हो गया है , क्योंकि लॉकडॉन के दौरान इनके पास काम करने को कुछ भी नहीं बचा है जिससे वे कमाकर अपने तथा अपने परिवार का भरण पोषण कर सके । कृष्ण कुमार ने बताया कि वे भी अपने अस्तर से हर कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें भोजन उपलब्ध हो सके । इसके लिए अगर उन्हें कर्ज भी लेकर भोजन कराना पड़े तो वे पीछे नहीं हटेंगे , उनका अभियान जारी रहेगा ।
सुबोधकांत सहाय के भाजपा में शामिल होने की खबर बिल्कुल बेबुनियाद : राकेश सिन्हा
रांची, झारखण्ड | मई | 30, 2020 :: कुछ वाटस्एप ग्रुप पर शुक्रवार की रात से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के भाजपा में शामिल होने संबंधी खबर वायरल हो रही है। इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा है कि उक्त खबर बिल्कुल बेबुनियाद है। यह उनकी छवि खराब करने की साजिश है। उन्होंने कहा है कि इस संबंध में व्हाट्सएप ग्रुप पर वायरल हो रही खबर पूरी तरह फर्जी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की मुलाकात अमित शाह से इस संदर्भ में कभी नहीं हुई। श्री सहाय भाजपा जैसी सांप्रदायिक ताकतों के साथ कभी समझौता नहीं कर सकते हैं। उनके भाजपा में शामिल होने संबंधी झूठी खबर वायरल होते ही कांग्रेस के कई नेताओं ने भी इसका जबरदस्त खंडन किया है। इस कृत्य को एक सोची-समझी साजिश के तहत श्री सहाय की छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास बताया है। श्री सिन्हा ने कहा कि इस भ्रामक और तथ्यहीन खबर को प्रसारित करने वाले के विरुद्ध साइबर थाने में मामला दर्ज कराया जाएगा।
Friday, 29 May 2020
स्वदेशी की शुरुआत अपने आप से करें : गुड़िया झा
रांची, झारखण्ड | मई | 29, 2020 :: भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चौथे चरण की लॉक डाउन की घोषणा के बाद तथा प्रधानमंत्री जी की अपील के साथ हर किसी की जुबान पर " स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ के नारे गूंज रहे हैं"।
वास्तविकता भी यही है कि इस लंबी अवधि के लॉक डाउन में जो भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षति हुई है, उसकी भरपाई स्वदेशी अपनाने से ही पूरी की जा सकती है। जब हमारे देश में ही सभी साधन उपलब्ध हैं, हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर हर जरूरत की चीजें उपलब्ध हैं, तो फिर विदेशी सामानों की उपयोगिता की जरुरत ही क्या है।
1, खाद्य पदार्थ।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी ये कहना सही है कि खाने की थाली में पहले हमारे यहां रोजमर्रा की चीजों में ज्वार, बाजरा, सामा चावल आदि रहा करते थे। जो कि सभी प्रकार की पोषक तत्वों से भरपूर हुआ करते हैं। बदलते समय के साथ हमनें खाने पीने की चीजों में भी अमीरी गरीबी का टैग लगा दिया। मतलब की जो सही चीजें थीं उस पर हमनें गरीबी का मोहर लगाकर पोषक तत्वों से भरपूर थाली को ही छोड़ दिया। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जिनका अच्छी तरह से पैकेट कर अपने देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसका सप्लाई कर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
2, शिक्षा।
शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने देश में अपार संभावनाएं हैं। बस जरूरत है हमारे सही नजरिये की।आमतौर पर देखा जाता है कि हमारे आसपास कई ऐसे लोग हैं जो काफी पढ़े लिखे तो हैं ही,साथ ही उनमें दूसरों को भी शिक्षा के द्वारा आगे बढ़ाने की अद्भुत कला है। ऐसे कई लोग अभी भी बेरोजगार हैं। फिर भी हमारा ध्यान ऐसे लोगों की तरफ ना जाकर कुछ ऐसे संस्थाओं की ओर जाता है जहां शिक्षा की आड़ में अभिभावकों का शोषण होता है। अपने आसपास शिक्षा से परिपूर्ण बेरोजगारों और शिक्षा की गुणवत्ता दोनो को ध्यान में रखते हुए यदि हम सूझ बूझ से अपने कदम आगे बढ़ाएं, तो निश्चित ही हमारे बच्चों की उचित शिक्षा के साथ साथ उन बेरोजगारों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर हम अपने देश को आगे की तरफ ले जा सकेंगे।
3, वस्त्र।
हमारे देश में वस्त्र उद्योग भी अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए समर्पित रहते हैं। खादी ग्रामोद्योग, हैंडलूम, सूती कपड़े से निर्मित वस्त्र आदि ऐसे परिधान हैं जिनमें उचित मूल्य के अलावा शरीर को आराम देने की भी भरपूर क्षमता है। फिर भी ना जाने क्यों हम दिखावे के लिए विदेशी कपड़ों का इस्तेमाल कर अपने देश की वस्त्र उद्योग को नजरअंदाज करना चाहते हैं।
वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में भी हमारे यहां एक से एक कारीगर हैं जो अपने हाथों से कपड़ों पर विभिन्न प्रकार की डिजाइन तैयार कर कड़ी मेहनत से अपने द्वारा बनाये गये कपड़ों को बाजारों में उपलब्ध कराते हैं। क्यों ना हम इन कारीगरों द्वारा बनाये गए वस्त्रों को अपनाकर अपने देश की अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनायें। ये सब तभी संभव है जब हम खुद इसकी शुरुआत करेंगें।तो हमारी आने वाली नई पीढ़ी भी इसे आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।
4, अन्य उत्पाद।
अन्य उत्पादों में भी भारत हर कदम पर अग्रणी है।क्यों ना हम इन उत्पादों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाकर अपने देश के उत्पादों का सही उपयोग कर भारतीय अर्थव्यवस्था की नीव को और भी मजबूत बना कर अपने देश को आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
वास्तविकता भी यही है कि इस लंबी अवधि के लॉक डाउन में जो भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षति हुई है, उसकी भरपाई स्वदेशी अपनाने से ही पूरी की जा सकती है। जब हमारे देश में ही सभी साधन उपलब्ध हैं, हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर हर जरूरत की चीजें उपलब्ध हैं, तो फिर विदेशी सामानों की उपयोगिता की जरुरत ही क्या है।
1, खाद्य पदार्थ।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी ये कहना सही है कि खाने की थाली में पहले हमारे यहां रोजमर्रा की चीजों में ज्वार, बाजरा, सामा चावल आदि रहा करते थे। जो कि सभी प्रकार की पोषक तत्वों से भरपूर हुआ करते हैं। बदलते समय के साथ हमनें खाने पीने की चीजों में भी अमीरी गरीबी का टैग लगा दिया। मतलब की जो सही चीजें थीं उस पर हमनें गरीबी का मोहर लगाकर पोषक तत्वों से भरपूर थाली को ही छोड़ दिया। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जिनका अच्छी तरह से पैकेट कर अपने देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसका सप्लाई कर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
2, शिक्षा।
शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने देश में अपार संभावनाएं हैं। बस जरूरत है हमारे सही नजरिये की।आमतौर पर देखा जाता है कि हमारे आसपास कई ऐसे लोग हैं जो काफी पढ़े लिखे तो हैं ही,साथ ही उनमें दूसरों को भी शिक्षा के द्वारा आगे बढ़ाने की अद्भुत कला है। ऐसे कई लोग अभी भी बेरोजगार हैं। फिर भी हमारा ध्यान ऐसे लोगों की तरफ ना जाकर कुछ ऐसे संस्थाओं की ओर जाता है जहां शिक्षा की आड़ में अभिभावकों का शोषण होता है। अपने आसपास शिक्षा से परिपूर्ण बेरोजगारों और शिक्षा की गुणवत्ता दोनो को ध्यान में रखते हुए यदि हम सूझ बूझ से अपने कदम आगे बढ़ाएं, तो निश्चित ही हमारे बच्चों की उचित शिक्षा के साथ साथ उन बेरोजगारों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर हम अपने देश को आगे की तरफ ले जा सकेंगे।
3, वस्त्र।
हमारे देश में वस्त्र उद्योग भी अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए समर्पित रहते हैं। खादी ग्रामोद्योग, हैंडलूम, सूती कपड़े से निर्मित वस्त्र आदि ऐसे परिधान हैं जिनमें उचित मूल्य के अलावा शरीर को आराम देने की भी भरपूर क्षमता है। फिर भी ना जाने क्यों हम दिखावे के लिए विदेशी कपड़ों का इस्तेमाल कर अपने देश की वस्त्र उद्योग को नजरअंदाज करना चाहते हैं।
वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में भी हमारे यहां एक से एक कारीगर हैं जो अपने हाथों से कपड़ों पर विभिन्न प्रकार की डिजाइन तैयार कर कड़ी मेहनत से अपने द्वारा बनाये गये कपड़ों को बाजारों में उपलब्ध कराते हैं। क्यों ना हम इन कारीगरों द्वारा बनाये गए वस्त्रों को अपनाकर अपने देश की अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनायें। ये सब तभी संभव है जब हम खुद इसकी शुरुआत करेंगें।तो हमारी आने वाली नई पीढ़ी भी इसे आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।
4, अन्य उत्पाद।
अन्य उत्पादों में भी भारत हर कदम पर अग्रणी है।क्यों ना हम इन उत्पादों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाकर अपने देश के उत्पादों का सही उपयोग कर भारतीय अर्थव्यवस्था की नीव को और भी मजबूत बना कर अपने देश को आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
दिल्ली : अर्पित और सीमा ने पुलिसकर्मियों को दिया मास्क और सैनिटाइज़र
दिल्ली | मई | 29, 2020 :: द आर्ट ऑफ़ फोटोग्राफी संस्था के ट्रस्टी श्री अर्पित गुप्ता और सीमा गुप्ता ने इस कोविद हालत में अपनी ड्यूटी निभराहे पुलिस वालो को ठंडी पीने के लिए ड्रिंक्स और मास्क व सांइटिज़ेर दिया। शालीमार पार्क में शाहदरा में फर्श बाजार थाने के पुलिसकर्मी शालीमार पार्क मैन रोड में लगे पिकेट में पुलिस के साथ सी आई एस एफ के जवान इतनी तड़पती धुप और गर्मी के मौसम में अपनी ड्यूटी का फ़र्ज़ अच्छे से निभराहे हैं।
दिल्ली पुलिस अब दिल्ली की पुलिस हो चुकी है। इस कोविद हालात में बहुत सारे लोगो के दिल में जगह बना चुकी है यह दिल की पुलिस।
संस्था के दोनों ट्रस्टी पति पत्नी अर्पित गुप्ता और सीमा गुप्ता दोनों ट्रैफिक सेंटिनल भी हैं और दिल्ली पुलिस के साथ काम भी करते हैं। इन्हे पूर्व कमिश्नर ऑफ़ पुलिस श्री अमूल्य पटनायक से सम्मान भी मिल चूका है।
ऐसी इस्तिथि में काफी साड़ी सामाजिक संस्था सामने आकर पुलिस प्रसाशन और लोगो की मदद भी कर रही हैं।
दा आर्ट ऑफ़ फोटोग्राफी संस्था ऐसे कोरोना योद्धाओं जैसे की पुलिस, सरकारी, डॉक्टर, सफाई कर्मचारी, मीडिया, आदि जैसे लोगो को सम्मानित करेगी।
दिल्ली पुलिस अब दिल्ली की पुलिस हो चुकी है। इस कोविद हालात में बहुत सारे लोगो के दिल में जगह बना चुकी है यह दिल की पुलिस।
संस्था के दोनों ट्रस्टी पति पत्नी अर्पित गुप्ता और सीमा गुप्ता दोनों ट्रैफिक सेंटिनल भी हैं और दिल्ली पुलिस के साथ काम भी करते हैं। इन्हे पूर्व कमिश्नर ऑफ़ पुलिस श्री अमूल्य पटनायक से सम्मान भी मिल चूका है।
ऐसी इस्तिथि में काफी साड़ी सामाजिक संस्था सामने आकर पुलिस प्रसाशन और लोगो की मदद भी कर रही हैं।
दा आर्ट ऑफ़ फोटोग्राफी संस्था ऐसे कोरोना योद्धाओं जैसे की पुलिस, सरकारी, डॉक्टर, सफाई कर्मचारी, मीडिया, आदि जैसे लोगो को सम्मानित करेगी।
सन्त निरंकारी चैरिटेबल फ़ाउन्डेशन राँची के द्वारा रविवार 31 मई 2020 को रक्तदान शिविर का आयोजन अरगोडा में
रांची, झारखण्ड | मई | 29, 2020 :: सन्त निरंकारी चैरिटेबल फ़ाउन्डेशन राँची के द्वारा रविवार 31 मई 2020 को रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है जो भी सदस्य रक्तदान करने के इच्छुक हो वो सन्त निरंकारी सत्संग भवन बुद्ध विहार अरगोडा में सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक पहुँच कर भाग ले सकते हैं!
अधिक जानकारी के लिए निम्न से सम्पर्क करे!
1) ए.के.सूद जी
(जोनल इन्चार्ज राँची)
9835752213
2) राज कुमार किरार जी
9431534207
3) प्रभात रंजन जी
9334004956
4) विशाल कुमार
7004818038
नोट :- जो भी सदस्य रक्तदान करना चाहते हैं वो पहले अपना नाम बताने कि कृपा करे!
वो इस की जानकारी call, Whts up या text msg के रूप मे दे सकते हैं
अधिक जानकारी के लिए निम्न से सम्पर्क करे!
1) ए.के.सूद जी
(जोनल इन्चार्ज राँची)
9835752213
2) राज कुमार किरार जी
9431534207
3) प्रभात रंजन जी
9334004956
4) विशाल कुमार
7004818038
नोट :- जो भी सदस्य रक्तदान करना चाहते हैं वो पहले अपना नाम बताने कि कृपा करे!
वो इस की जानकारी call, Whts up या text msg के रूप मे दे सकते हैं
Thursday, 28 May 2020
“Chuppi Toro, Swasth Raho” is Jharkhand’s call for Menstrual Hygiene Awareness
Ranchi, Jharkhand | May | 28, 2020 :: The Government of Jharkhand announced a month-long digital awareness campaign on Thursday to break the silence around menstrual hygiene to promote better health for girls and women. The “Chuppi Toro, Swasth Raho” (Break the Silence, Stay Healthy) campaign will use digital media to ensure public awareness while adhering to COVID-19 social distancing norms.
28 May is marked as Menstrual Hygiene Day globally to bring together non-profits, government agencies, individuals, the private sector and the media to promote good menstrual hygiene management (MHM) for all women and girls. It aims to break the silence, build awareness and combat taboos and negative social norms around MHM by engaging decision makers, influencers and the community at large to
Initiated by the Drinking Water and Sanitation Department (DWSD) with the support of UNICEF, the campaign will use TV, online conferencing, the media and digital platforms such as WhatsApp to ensure the campaign reaches a wide audience between 28 May and 27 June, 2020.
Mithilesh Thakur, Jharkhand’s Minister for Drinking Water and Sanitation, said that the disruption caused by the pandemic should not prevent access to and usage of menstrual hygiene products.
“The objective of the campaign is to encourage women and girls to speak up about menstruation, discuss the risks of improper menstrual hygiene and the safe disposal of used sanitary product. While COVID-19 has affected our ability to organize meetings and campaigns, we can use digital media and mass media to ensure that the message for improved Menstrual Hygiene can reach the widest possible audience. The “Chuppi Toro, Swasth Raho” campaign will ensure that women and girls across Jharkhand speak up about menstrual hygiene and encourage healthier, safer practices. The DWSD is planning to provide free of cost sanitary napkins to school going girls and women in villages. When implemented, it would be great success in ensuring better menstrual hygiene among girls and women in the state.”
The month-long initiative will also be supported by the departments of Health, Education, Panchayati Raj, Women and Child Development as well as Rural Development. Prashant Kumar, Secretary, DWSD, said that a convergent, multi-pronged approach would be deployed to make the initiative a success.
“We all have to work together for the success of this campaign. Our plan is to work in phases to ensure better MH management across the state. Firstly, we will build awareness of through virtual trainings, from the districts down to the panchayats. Secondly, we will ensure the dissemination of information to the field workers and community using digital platforms. Thirdly, we will pursue innovations and sustainable mechanisms for the production, distribution and use of sanitary napkins at the grassroot level.”
Prasanta Dash, Chief, UNICEF Jharkhand, stressed on the very positive role played by online mediums in building awareness in an extended period of school and closures and social distancing.
“The inability to hold large trainings and classroom sessions has been a big blow dealt by the pandemic. However, thousands of health personnel and volunteers have been trained online on combating the pandemic. Digital classrooms and televised learning content have helped students and their families cope with school closures. I also believe that a coordinated effort by key departments will ensure greater success for the campaign. I urge departments across sectors, especially Health, Education Rural Development and DWSD to come together for the cause of better menstrual hygiene management.”
According to the National Family Health Survey (2015-16), four out of 10 females in Jharkhand aged between 15-49 years use a hygienic menstrual absorbent during their periods. Access to and use of better menstrual hygiene products and practices has a significant positive impact on health, educational status and the empowerment of women and girls.
28 May is marked as Menstrual Hygiene Day globally to bring together non-profits, government agencies, individuals, the private sector and the media to promote good menstrual hygiene management (MHM) for all women and girls. It aims to break the silence, build awareness and combat taboos and negative social norms around MHM by engaging decision makers, influencers and the community at large to
Initiated by the Drinking Water and Sanitation Department (DWSD) with the support of UNICEF, the campaign will use TV, online conferencing, the media and digital platforms such as WhatsApp to ensure the campaign reaches a wide audience between 28 May and 27 June, 2020.
Mithilesh Thakur, Jharkhand’s Minister for Drinking Water and Sanitation, said that the disruption caused by the pandemic should not prevent access to and usage of menstrual hygiene products.
“The objective of the campaign is to encourage women and girls to speak up about menstruation, discuss the risks of improper menstrual hygiene and the safe disposal of used sanitary product. While COVID-19 has affected our ability to organize meetings and campaigns, we can use digital media and mass media to ensure that the message for improved Menstrual Hygiene can reach the widest possible audience. The “Chuppi Toro, Swasth Raho” campaign will ensure that women and girls across Jharkhand speak up about menstrual hygiene and encourage healthier, safer practices. The DWSD is planning to provide free of cost sanitary napkins to school going girls and women in villages. When implemented, it would be great success in ensuring better menstrual hygiene among girls and women in the state.”
The month-long initiative will also be supported by the departments of Health, Education, Panchayati Raj, Women and Child Development as well as Rural Development. Prashant Kumar, Secretary, DWSD, said that a convergent, multi-pronged approach would be deployed to make the initiative a success.
“We all have to work together for the success of this campaign. Our plan is to work in phases to ensure better MH management across the state. Firstly, we will build awareness of through virtual trainings, from the districts down to the panchayats. Secondly, we will ensure the dissemination of information to the field workers and community using digital platforms. Thirdly, we will pursue innovations and sustainable mechanisms for the production, distribution and use of sanitary napkins at the grassroot level.”
Prasanta Dash, Chief, UNICEF Jharkhand, stressed on the very positive role played by online mediums in building awareness in an extended period of school and closures and social distancing.
“The inability to hold large trainings and classroom sessions has been a big blow dealt by the pandemic. However, thousands of health personnel and volunteers have been trained online on combating the pandemic. Digital classrooms and televised learning content have helped students and their families cope with school closures. I also believe that a coordinated effort by key departments will ensure greater success for the campaign. I urge departments across sectors, especially Health, Education Rural Development and DWSD to come together for the cause of better menstrual hygiene management.”
According to the National Family Health Survey (2015-16), four out of 10 females in Jharkhand aged between 15-49 years use a hygienic menstrual absorbent during their periods. Access to and use of better menstrual hygiene products and practices has a significant positive impact on health, educational status and the empowerment of women and girls.
झारखण्ड के कलाकार समुदाय पर आयें संकट निवारण हेतु जेसीएए की बैठक
रांची, झारखण्ड | मई | 28, 2020 :: बहु बाजार रांची स्थित जेसीएए अध्यक्ष के आवास पर एसोसिएशन की संरक्षक मंडली, मुख्य कार्यकारिणी समिति, उपकार्यकारिणी समिति, सलाहकार समिति एवं स्थापना समिति की संयुक्त बैठक में कोरोना महामारी के कारण हुई लॉकडाउन से प्रभावित कलाकार समुदाय पर आई संकट के निवारण हेतु एक विशेष बैठक की गई।
इस संदर्भ में एसोसिएशन के संरक्षक पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में झारखण्ड के गांव-गांव में लगने वाले मंडा-पूजा , शादी-विवाह एवं अन्य उत्सवों , मेला-जतरा पर रोक लग जाने से रोजगार के अवसर छीन जाने से पारंपरिक वाद्य बजाने वाले एवं पारंपरिक वाद्य यंत्र निर्माण करने वाले लोक कलाकारों पर सबसे बड़ी आपदा आई है।क्योंकि लोक कलाकारों के लिए तो यह सीजन साल भर के लिए पूरे परिवार के भरण-पोषण के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।हमारा कर्तव्य है , ऐसे लोक कलाकारों को बचाना , जिनसे झारखंड की लोक-कला का प्रचार -प्रसार हो रहा है । यह चिंता का विषय है कि ऐसे लोक कलाकार कहीं अपने परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी को देखते हुए कहीं वाद्य यंत्रों का निर्माण या वादन छोड़कर रोजगार के कोई दूसरे क्षेत्र में पलायन ना कर जाएँ । एसोसिएशन की जिम्मेवारी है , की सरकार को लोक कलाकारों के ऊपर आई इस विकट परिस्थिति से अवगत कराकर आर्थिक मदद की मांग करे ।
एसोसिएशन के संरक्षक पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने कहा कि झारखंड के कलाकार सामाजिक चेतना के सजग प्रहरी होते हुए भी झारखंड निर्माण आंदोलन के समय से ही उपेक्षित होते आ रहे हैं और आज इस महामारी में भी सरकारी प्रावधानों में उपेक्षित ही है । सरकार इस बात को सुनिश्चित नहीं कर पा रही है कि कलाकार और मजदूर-किसान में फर्क है । कलाकार अपने हर दुख को छिपाकर , मुस्कुरा कर समाज का सदैव हौसला बढ़ाता आया है , जो कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैला सकता है । सरकार को इस बात को समझाने के लिए जेसीएए की भूमिका महत्वपूर्ण एवं निर्णायक होगी ।
एसोसिएशन के वरीय सलाहकार माननीय महावीर नायक ने कहा की नेताओं, मंत्रियों के प्रचार-प्रसार के लिए कलाकार अपनी एड़ी चोटी एक कर देते हैं।कलाकारों को लगता है कि इस बार हमारा नेता कलाकारों के बारे में कुछ बढ़िया करेंगे,परंतु आगे चलकर हमेशा निराशा ही हाथ लगती है।हम तब तक ऐसे ही असहाय बने रहेंगे जब तक ऊंचे पदों पर कलाकार वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है।उन्होंने सुझाव दिया कि कला क्षेत्र से कम से कम एक व्यक्ति भी राज्यसभा तक जाकर कलाकार वर्ग का प्रतिनिधित्व करें।
अध्यक्ष राजकुमार नागवंशी ने कहा कि वर्तमान संकट के संदर्भ में कलाकारों के नाम पर दुकान चला रहे वैसी कुछ फर्जी संस्थाओं पर रोक लगाना एसोसिएशन की प्राथमिकता होगी ।उन्होंने आह्वान किया कि इस तरह की फर्जी संस्थाएँ कलाकारों को गुमराह करना छोड़ जेसीएए के साथ मिलकर कलाकारों के हित के लिए उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए एकजुट होकर काम करें और कलाकार समूह की एकता को बल प्रदान करें । लोक डाऊन की समाप्ति के बाद एसोसिएशन कलाकारों का एक महासम्मेलन बुलाएगी , जिसमें बहुमत के साथ प्रस्ताव पारित कर कलाकारों के समस्याओं के संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री , कला-संस्कृति विभाग से वार्ता करेगी ।
एसोसिएशन के सचिव डॉक्टर जयकांत इंदवार ने बैठक में आए तमाम पदाधिकारियों का स्वागत किया और उन्हें धन्यवाद दिया । साथ ही साथ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कलाकार का ना कोई धर्म होता है , ना जाति , ना समुदाय और ना किसी राजनीति दल का वह प्रतिनिधि होता है । कलाकार सिर्फ कलाकार होता है । उन्होंने कहा कि ऐसी मंशा के साथ कलाकारों के बीच में फूट डालने वालों के खिलाफ भी एसोसिएशन कड़ा कदम उठाएगा । कलाकारों के मान सम्मान के लिए और उनकी आजीविका के लिए जेसीएए संवैधानिक रूप से अपने कार्यों का संचालन करेगा । इस लोक डाउन के पीरियड में हमारे कलाकार सदस्यों को जो भी समस्या हो रही हो उनका निराकरण करना हमारी प्राथमिकता होगी ।
बैठक में सर्वसम्मति से क्या फैसला लिया गया कि झारखंड में झारखंड कल्चरल आर्टिस्ट एसोसिएशन कलाकारों की सबसे बड़ी संस्था के रूप में स्थापित है । पद्मश्री मुकुंद नायक एवं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख के संरक्षण में राज्य के सभी कलाकारों के बीच आवश्यक राहत कार्य सामूहिक रूप से चलाने का निर्णय लिया गया । एसोसिएशन बहुत जल्द लोक-विधाओं के कलाकारों , क्षेत्रीय भाषाओं के विशेषज्ञों , साहित्य के जानकारों को एक मंच में लेकर काम आगे बढ़ाएगा ।
यह जानकारी झारखंड कल्चरल आर्टिस्ट एसोसिएशन के सचिव डॉ जयकांत इंदवार ने दी । एसोसिएशन की इस अनिवार्य बैठक में संरक्षक पद्मश्री मुकुंद नायक एवँ पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख , वरीय सलाहकार श्री महावीर नायक , श्री मनपूरन नायक , श्री आनंद महली , अध्यक्ष श्री राजकुमार नागवंशी , सचिव डॉ.जयकांत इंदवार , उपकोषाध्यक्ष श्री राजू केरकेट्टा , कार्यकारी सदस्या श्रीमती पूनम सिंह , पूर्व अध्यक्ष श्री देवदास विश्वकर्मा , पूर्व कोषाध्यक्ष सुश्री सुनैना कच्छप , उपकार्यकारिणी समिति के श्री अरुण नायक , श्रीमती अनीता बाड़ा , श्रीमती सुमन गाड़ी , सक्रिय सदस्य श्री सुधीर महली , श्री कृष्णा नायक , श्री किशोर नायक , श्री परवीन बाड़ा एवं एसोसिएशन के संस्थापक श्री श्रीकांत इंदवार एवं अमित तिर्की उपस्थित थे ।
रांची, झारखण्ड | मई | 28, 2020 :: कलाकृति आर्ट फाउंडेशन एवं कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के अगले महीने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण जागरूकता फ़ैलाने एवं लॉक डाउन के समय में घर बैठे बच्चों को एक मंच प्रदान करने हेतु “दा ग्रीन हीरो” नामक राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है |
इस अवसर पर देश के हर हिस्से से विभिन्न वर्ग के प्रतिभागी घर बैठे अपनी चित्रकला के माध्यम से बदलते पर्यावरण से देश को जागरूक रहने का सन्देश दे रहे हैं |
अब तक इस प्रतियोगिता में देश के 24 राज्यों से सैंकड़ो प्रतिभागियों ने अपनी प्रविष्टी भेजी है जिसमे
पश्चिम बंगाल,
जम्मू कश्मीर,
त्रिपुरा,
असाम,
ओडिशा,
महाराष्ट्रा,
गुजरात,
तमिलनाडु,
कर्णाटक,
उत्तर प्रदेश,
हरयाणा, एवं
झारखण्ड
से सबसे अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं |
इस प्रतियोगिता ने देश के कराकारों को एक सूत्र में पिरो दिया है | अब तक पुरे देश भर से हजारों प्रतिभागियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलाकृति के वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त की है |
इस प्रतियोगिता में अलग अलग वर्गों में कोई भी स्कूल, कॉलेज के छात्र एवं पेशेवर चित्रकार भी भाग ले सकते हैं| ग्रुप ए एवं बी के प्रतिभागियों को पृथ्वी बचाएं, पर्यावरण बचाएं और ग्रुप सी एवं डी के लिए जैव विबिधता एवं संरक्षण विषय पर चित्रकारी करनी है |
प्रतिभागी किसी भी माध्यम (रंगों) एवं कोई भी साइज़ के कागज़/कैनवास का इस्तेमाल कर उपयुक्त विषय पर चित्रकारी कर सकते है |
पेंटिंग की तस्वीर खींच कर www.kalakritisoa.com/wed2020.html वेबसाइट पर अपने विवरण के साथ अपलोड कर सकते हैं |
इस प्रतियोगिता में सम्मलित होने की अंतिम तिथि 31 मई 2020 है |
15 जून 2020 को विजेताओं के नाम की घोषणा संस्था की वेबसाइट पे घोषित किया जायेगा |
विजेताओं को संस्था एवं प्रायोजकों के द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा एवं एक विजयी कृतियों की एक स्मारिका का भी विमोचन किया जायेगा |
साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को रास्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता प्रभागिता प्रमाणपत्र डिजिटल स्वरुप में प्रदान की जाएगी |
कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के फाउंडर एवं सचिव युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने कहा की उनकी संस्था ने लोगों को कोरोना महामारी के समय प्रकृति संरक्षण हेतु जागरूकता लेन और बच्चों में सृजनात्मकता के साथ ही घर पर रहकर अध्ययन और लॉकडाउन के स्ट्रेस दूर करने के उद्देश्य से छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है । इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के नाम से संस्था के द्वारा पेंड लगाया जायेगा |
इस अवसर पर देश के हर हिस्से से विभिन्न वर्ग के प्रतिभागी घर बैठे अपनी चित्रकला के माध्यम से बदलते पर्यावरण से देश को जागरूक रहने का सन्देश दे रहे हैं |
अब तक इस प्रतियोगिता में देश के 24 राज्यों से सैंकड़ो प्रतिभागियों ने अपनी प्रविष्टी भेजी है जिसमे
पश्चिम बंगाल,
जम्मू कश्मीर,
त्रिपुरा,
असाम,
ओडिशा,
महाराष्ट्रा,
गुजरात,
तमिलनाडु,
कर्णाटक,
उत्तर प्रदेश,
हरयाणा, एवं
झारखण्ड
से सबसे अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं |
इस प्रतियोगिता ने देश के कराकारों को एक सूत्र में पिरो दिया है | अब तक पुरे देश भर से हजारों प्रतिभागियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलाकृति के वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त की है |
इस प्रतियोगिता में अलग अलग वर्गों में कोई भी स्कूल, कॉलेज के छात्र एवं पेशेवर चित्रकार भी भाग ले सकते हैं| ग्रुप ए एवं बी के प्रतिभागियों को पृथ्वी बचाएं, पर्यावरण बचाएं और ग्रुप सी एवं डी के लिए जैव विबिधता एवं संरक्षण विषय पर चित्रकारी करनी है |
प्रतिभागी किसी भी माध्यम (रंगों) एवं कोई भी साइज़ के कागज़/कैनवास का इस्तेमाल कर उपयुक्त विषय पर चित्रकारी कर सकते है |
पेंटिंग की तस्वीर खींच कर www.kalakritisoa.com/wed2020.html वेबसाइट पर अपने विवरण के साथ अपलोड कर सकते हैं |
इस प्रतियोगिता में सम्मलित होने की अंतिम तिथि 31 मई 2020 है |
15 जून 2020 को विजेताओं के नाम की घोषणा संस्था की वेबसाइट पे घोषित किया जायेगा |
विजेताओं को संस्था एवं प्रायोजकों के द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा एवं एक विजयी कृतियों की एक स्मारिका का भी विमोचन किया जायेगा |
साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को रास्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता प्रभागिता प्रमाणपत्र डिजिटल स्वरुप में प्रदान की जाएगी |
कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के फाउंडर एवं सचिव युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने कहा की उनकी संस्था ने लोगों को कोरोना महामारी के समय प्रकृति संरक्षण हेतु जागरूकता लेन और बच्चों में सृजनात्मकता के साथ ही घर पर रहकर अध्ययन और लॉकडाउन के स्ट्रेस दूर करने के उद्देश्य से छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है । इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के नाम से संस्था के द्वारा पेंड लगाया जायेगा |
चांडिल के पत्रकार बसंत साहू के जमानत पर रिहा होने पर झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने प्रसन्नता व्यक्त की
रांची, झारखण्ड | मई | 28, 2020 :: झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने चांडिल के पत्रकार बसंत साहू के जमानत पर रिहा होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
यूनियन की तरफ से इस मामले में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर यूनियन की मदद करने वाले तमाम लोगों का भी आभार व्यक्त किया गया है।
इनलोगों को व्यक्तिगत संदेश के माध्यम से उन्हें शुक्रिया का संदेश प्रेषित किया गया है।
आज अदालत में जिला प्रशासन की पहल पर उनके खिलाफ लगी गैर जमानतीय धाराएं हटा लिये जाने की वजह से अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया।
इस मौके पर सिंहभूम प्रमंडल और सरायकेला-खरसांवा के पत्रकार वहां मौजूद थे।
इनलोगों ने जेल से बाहर निकलने के बाद श्री साहू का विधिवत माला पहनाकर अभिनंदन किया।
यूनियन की तरफ से इस मामले में हर स्तर पर संबंधित लोगों से कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।
यहां तक कि सिंहभूम के अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने भी पूरे घटनाक्रम की जानकार लेने के बाद मामले को समाप्त करने की पहल की थी।
यूनियन की तरफ से इस मामले में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर यूनियन की मदद करने वाले तमाम लोगों का भी आभार व्यक्त किया गया है।
इनलोगों को व्यक्तिगत संदेश के माध्यम से उन्हें शुक्रिया का संदेश प्रेषित किया गया है।
आज अदालत में जिला प्रशासन की पहल पर उनके खिलाफ लगी गैर जमानतीय धाराएं हटा लिये जाने की वजह से अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया।
इस मौके पर सिंहभूम प्रमंडल और सरायकेला-खरसांवा के पत्रकार वहां मौजूद थे।
इनलोगों ने जेल से बाहर निकलने के बाद श्री साहू का विधिवत माला पहनाकर अभिनंदन किया।
यूनियन की तरफ से इस मामले में हर स्तर पर संबंधित लोगों से कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।
यहां तक कि सिंहभूम के अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने भी पूरे घटनाक्रम की जानकार लेने के बाद मामले को समाप्त करने की पहल की थी।
Wednesday, 27 May 2020
Atul Bhatt, Chairman cum M D of MECON Limited, India will share his views on the future of the Indian Steel Industry in a Webinar on 30th of May.
Ranchi, Jharkhand | May | 28, 2020 :: Atul Bhatt, Chairman cum Managing Director of MECON Limited, India will be live on 30-May-2020 and will share his views on the future of the Indian Steel Industry.
This session will be moderated by C M Chugh, GM, CET, SAIL. Cm Chugh
The Webinar will be organized by TEDxKanke in its series, The rise of a new world.
One can Register in advance for this meeting:
https://zoom.us/meeting/register/tJEocOyhqjwqEtedSF8_Y-bMOr8SdYsJnqok
After registering, you will receive a confirmation email containing information about joining the meeting.
This session will be moderated by C M Chugh, GM, CET, SAIL. Cm Chugh
The Webinar will be organized by TEDxKanke in its series, The rise of a new world.
One can Register in advance for this meeting:
https://zoom.us/meeting/register/tJEocOyhqjwqEtedSF8_Y-bMOr8SdYsJnqok
After registering, you will receive a confirmation email containing information about joining the meeting.
Renewables are optically very cheap compared to coal-based power : Prashant Jain, Joint MD & CEO, JSW Energy Ltd.
Ranchi, Jharkhand | May | 27, 2020.:: TEDxKanke organized a TEDxKanke: Webinar, with the topic Power sector : A key driver of future development
The Speaker of the Webinar was Prashant Jain, Joint MD & CEO, JSW Energy Ltd..and moderated By Rajeev Gupta, Curator, TEDxKanke
On the future of Power sector and role of JSW Energy, Prashant said
• The consumption in India is close to 1300 billion units (BU). The power consumption per capita is around 1000 units which is significantly less to that in the developed world (~6000 units per capita). Thus, we have a long road ahead to catch up on the power consumption as seen in developed countries.
• We have a major technology shift in that the world is moving from thermal power to renewable power. Given a capacity factor of about 30% for renewables, India would require setting up 3 TW capacity in next 20-25 years to achieve 1 TW production from the renewables.
• Power demand has been growing at the same rate as GDP in the past 20 years. Though this has changed over time as power efficiency has improved and will continue to improve with technology advancements in appliances and utility systems.
• If our GDP grows by even 5%, we are expecting the power demand to grow by 3.5%-4% over a period of next 20 years. This requires installation of about 30 GW of new renewables for the next 20 years. With the current capital cost of INR 5,000 crores per GW, we are looking at a requirement of INR 150,000 crores ($200 Billion) per year in this sector.
• Power sector has been marred with problems and crises, both locally and globally. The sector requires powerful reforms such as new tariff policies, direct subsidies to consumers and digital interventions for investments to flow. Fortunately, we do have a framework in place to make this possible.
• The role of JSW becomes vital here as it is one of the only few companies with strong fundamentals and generate good cash flows. JSW targets to become a 10 GW company in next 5 years and 20 GW in next 10.
On future of renewable energy He said
• Renewables are optically very cheap compared to coal-based power. The transmission and distribution cost are absorbed by all-over India pooling basis and the inter-state transmission costs are free.
• Approx. thermal power is 3.6 INR. Transmission corridor is built for 24-hour construct. In renewables the capacity utilization factor is about 30% as it depends on weather conditions. Hence transmission costs will go up and the life to life costs will be similar as thermal power. However, with technological advance-ments it can be said that renewables are the only option going forward.
• Demand management will become important to handle the intermittent supply of power through renewables while existing coal capacity will function as the base load requirements. Eventually, the annual increment in power demand has to be fulfilled completely through renewable energy.
• Govt policies have moved from cost plus regime to enhancing competitive bidding processes. The regulations ensure a fixed unit price with no increment on PPA (power purchase agreement). Further, digital metering for power supply is being implemented which will help in better management and in reducing the cost of power to consumers.
Audience Questions:
What is the future of our coal resources? Govt. has come up with commercial mining policies for coal. What impact will this have on extraction of coal resources?
By Mr Sunil Barnwal, IAS, Govt. of Jharkhand
• The privatization of coal has come pretty late. The kind of resources we have does not resonate with the amount of coal we are mining at the moment. Only 750 Million tones mines in India as compared to 4.5 Billion tons of coal mined in China annually. India can consume coal for its industrial requirements.
• The coal is highly taxed sector – Carbon Tax, GST, Royalty, Premiums etc. This makes Indian coal less viable, which already has a high ash content.
• For private sector, land acquisition and evacuation are big challenges. The execution of commercial mining requires permit under Coal Bearing Act. Environmental and Forest Clearance has to be considered as well. Simultaneously, synergy from Railways for infrastructural support is also necessary.
• This is a huge opportunity for State Governments where coal mining will become a great cash cow.
The current crisis has broken down major supply-chain structures. What impact will this have on renewable energy projects and on decarbonization of our society?
By Mr Sushant Bharti, Facebook audience
• Current scenarios have definitely affected the ongoing projects with delays in development and stalling of major renewable project.
• The impact should be temporary, for a period of 6-12 months and thereafter the thigs should start to restore. Supply-chains should become normal in the next 3-9 months and most projects should be back on track.
Journey of Prashant Jain at JSW
“My journey has been pretty simple. An engineer by qualification, I started my career with DCM Shri Ram Industries in 1992. I worked in a sugar mill for three years close to my native place – Meerut, though this sector was not the right opportunity for me. I remember going through the Classified pages every Wednesday to find an opportunity that would be a better fit for me. This is how I started as an Assistant manager at JSW. Operating and managing the plant and growing through the managerial ladder, I was pursuing my dreams. In 2003, I was called up by Mr Jindal where he offered me a corporate role in Vijaynagar. Initially, I denied the opportunity doubting my role at in a corporate office. But later I took upon the challenge of doing something novel and started handing the commercial functions. My learning through these experiences have been that the best opportunities arise from the challenges that we are not willing to take.”
The Speaker of the Webinar was Prashant Jain, Joint MD & CEO, JSW Energy Ltd..and moderated By Rajeev Gupta, Curator, TEDxKanke
On the future of Power sector and role of JSW Energy, Prashant said
• The consumption in India is close to 1300 billion units (BU). The power consumption per capita is around 1000 units which is significantly less to that in the developed world (~6000 units per capita). Thus, we have a long road ahead to catch up on the power consumption as seen in developed countries.
• We have a major technology shift in that the world is moving from thermal power to renewable power. Given a capacity factor of about 30% for renewables, India would require setting up 3 TW capacity in next 20-25 years to achieve 1 TW production from the renewables.
• Power demand has been growing at the same rate as GDP in the past 20 years. Though this has changed over time as power efficiency has improved and will continue to improve with technology advancements in appliances and utility systems.
• If our GDP grows by even 5%, we are expecting the power demand to grow by 3.5%-4% over a period of next 20 years. This requires installation of about 30 GW of new renewables for the next 20 years. With the current capital cost of INR 5,000 crores per GW, we are looking at a requirement of INR 150,000 crores ($200 Billion) per year in this sector.
• Power sector has been marred with problems and crises, both locally and globally. The sector requires powerful reforms such as new tariff policies, direct subsidies to consumers and digital interventions for investments to flow. Fortunately, we do have a framework in place to make this possible.
• The role of JSW becomes vital here as it is one of the only few companies with strong fundamentals and generate good cash flows. JSW targets to become a 10 GW company in next 5 years and 20 GW in next 10.
On future of renewable energy He said
• Renewables are optically very cheap compared to coal-based power. The transmission and distribution cost are absorbed by all-over India pooling basis and the inter-state transmission costs are free.
• Approx. thermal power is 3.6 INR. Transmission corridor is built for 24-hour construct. In renewables the capacity utilization factor is about 30% as it depends on weather conditions. Hence transmission costs will go up and the life to life costs will be similar as thermal power. However, with technological advance-ments it can be said that renewables are the only option going forward.
• Demand management will become important to handle the intermittent supply of power through renewables while existing coal capacity will function as the base load requirements. Eventually, the annual increment in power demand has to be fulfilled completely through renewable energy.
• Govt policies have moved from cost plus regime to enhancing competitive bidding processes. The regulations ensure a fixed unit price with no increment on PPA (power purchase agreement). Further, digital metering for power supply is being implemented which will help in better management and in reducing the cost of power to consumers.
Audience Questions:
What is the future of our coal resources? Govt. has come up with commercial mining policies for coal. What impact will this have on extraction of coal resources?
By Mr Sunil Barnwal, IAS, Govt. of Jharkhand
• The privatization of coal has come pretty late. The kind of resources we have does not resonate with the amount of coal we are mining at the moment. Only 750 Million tones mines in India as compared to 4.5 Billion tons of coal mined in China annually. India can consume coal for its industrial requirements.
• The coal is highly taxed sector – Carbon Tax, GST, Royalty, Premiums etc. This makes Indian coal less viable, which already has a high ash content.
• For private sector, land acquisition and evacuation are big challenges. The execution of commercial mining requires permit under Coal Bearing Act. Environmental and Forest Clearance has to be considered as well. Simultaneously, synergy from Railways for infrastructural support is also necessary.
• This is a huge opportunity for State Governments where coal mining will become a great cash cow.
The current crisis has broken down major supply-chain structures. What impact will this have on renewable energy projects and on decarbonization of our society?
By Mr Sushant Bharti, Facebook audience
• Current scenarios have definitely affected the ongoing projects with delays in development and stalling of major renewable project.
• The impact should be temporary, for a period of 6-12 months and thereafter the thigs should start to restore. Supply-chains should become normal in the next 3-9 months and most projects should be back on track.
Journey of Prashant Jain at JSW
“My journey has been pretty simple. An engineer by qualification, I started my career with DCM Shri Ram Industries in 1992. I worked in a sugar mill for three years close to my native place – Meerut, though this sector was not the right opportunity for me. I remember going through the Classified pages every Wednesday to find an opportunity that would be a better fit for me. This is how I started as an Assistant manager at JSW. Operating and managing the plant and growing through the managerial ladder, I was pursuing my dreams. In 2003, I was called up by Mr Jindal where he offered me a corporate role in Vijaynagar. Initially, I denied the opportunity doubting my role at in a corporate office. But later I took upon the challenge of doing something novel and started handing the commercial functions. My learning through these experiences have been that the best opportunities arise from the challenges that we are not willing to take.”
ट्रेनिंग कैम्प के दौरान खिलाडि़यों को सैनिटाइजर, मास्क एवं ग्लोव्स दिए जाएंगे : आर के आनंद
रांची, झारखण्ड | मई | 27, 2020 :: कोरोना वायरस एवं लॉक डाउन के दौरान नेशनल गेम्स के 36 वे संस्करण गोवा में तय समय पर ही होंगे।
जिसके लिए विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने तौर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी है।
झारखंड में भी झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन ने विभिन्न स्तर पर नेशनल गेम्स के क्वालीफाई खेल संघों को अपनी प्रारंभिक तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए है।
झारखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन एवं लॉन बाउल्स एसोसिएशन ने अपने कैम्प प्रारंभ करने के निर्देश दे दिए है।
इसी सिलसिले में झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आर के आनंद ने इस बात के निर्देश दिए है कि नेशनल गेम्स की तैयारियों के लिए कैम्प में आने वाले प्रत्येक खिलाड़ी की कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर सैनिटाइजर, मास्क एवं ग्लोव्स दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इसके साथ साथ खिलाडि़यों के ट्रेनिंग प्लेस को भी सैनिटाइज करने की व्यवस्था की जाएगी।
इसके लिए उन्होने झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव मधुकांत पाठक एवं कोषाध्यक्ष शिवेंद्र दुबे को अधिकृत किया है कि वे इसकी व्यवस्था करने के लिए उचित कार्रवाई करें।
श्री आंनद ने कहा कि वर्तमान संक्रमण काल मे खिलाड़ी जो हमारे लिए बहुमूल्य है कि सुरक्षा सर्वोपरि है और झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन इसके लिए हर सम्भव प्रयास करेगी।
इसकी जानकारी देते हुए मधुकांत पाठक ने बताया की हमारा लक्ष्य नेशनल गेम्स में अधिक से अधिक पदक जितना है और यह तभी सम्भव है जब कि हमारे खिलाडी ट्रेनिंग के दौरान अपनी सुरक्षा के प्रति बिल्कुल निश्चिंत रहें।
उन्होंने कहा कि नेशनल गेम्स के ट्रेनिंग कैम्प के लिए युवा कार्य एवं खेल विभाग, झारखंड सरकार से बात चल रही है और शीघ्र ही इसकी पूर्ण रुप रेखा तैयार कर ली जाएगी।
जिसके लिए विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने तौर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी है।
झारखंड में भी झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन ने विभिन्न स्तर पर नेशनल गेम्स के क्वालीफाई खेल संघों को अपनी प्रारंभिक तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए है।
झारखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन एवं लॉन बाउल्स एसोसिएशन ने अपने कैम्प प्रारंभ करने के निर्देश दे दिए है।
इसी सिलसिले में झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आर के आनंद ने इस बात के निर्देश दिए है कि नेशनल गेम्स की तैयारियों के लिए कैम्प में आने वाले प्रत्येक खिलाड़ी की कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर सैनिटाइजर, मास्क एवं ग्लोव्स दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इसके साथ साथ खिलाडि़यों के ट्रेनिंग प्लेस को भी सैनिटाइज करने की व्यवस्था की जाएगी।
इसके लिए उन्होने झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव मधुकांत पाठक एवं कोषाध्यक्ष शिवेंद्र दुबे को अधिकृत किया है कि वे इसकी व्यवस्था करने के लिए उचित कार्रवाई करें।
श्री आंनद ने कहा कि वर्तमान संक्रमण काल मे खिलाड़ी जो हमारे लिए बहुमूल्य है कि सुरक्षा सर्वोपरि है और झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन इसके लिए हर सम्भव प्रयास करेगी।
इसकी जानकारी देते हुए मधुकांत पाठक ने बताया की हमारा लक्ष्य नेशनल गेम्स में अधिक से अधिक पदक जितना है और यह तभी सम्भव है जब कि हमारे खिलाडी ट्रेनिंग के दौरान अपनी सुरक्षा के प्रति बिल्कुल निश्चिंत रहें।
उन्होंने कहा कि नेशनल गेम्स के ट्रेनिंग कैम्प के लिए युवा कार्य एवं खेल विभाग, झारखंड सरकार से बात चल रही है और शीघ्र ही इसकी पूर्ण रुप रेखा तैयार कर ली जाएगी।
Tuesday, 26 May 2020
गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा मे मना श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज का शहीदी गुरुपर्व
रांची, झारखण्ड | मई | 26, 2020 :: गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा आज 26 मई,मंगलवार को पंचम पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज का शहीदी गुरुपर्व सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए मनाया गया.
शहीदों के सरताज एवं शांतिपुंज पंचम पातशाह धन धन श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज के शहीदी गुरुपर्व को मुख रखते हुए पिछले उनचालीस दिनों से श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने घरों में पढ़े जा रहे श्री सुखमनी साहिब जी के पाठों का समापन आज हुआ.दोपहर 03:30 वजे से ज़ूम एप्प के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं ने अपने अपने घरों में श्री सुखमनी साहिब जी का सस्वर पाठ किया.
पाठ की समाप्ती के पश्चात ज़ूम एप्प द्वारा ही गुरुद्वारा साहिब के सेवक मनीष मिढ़ा समूह सँगत की ओर से अरदास "जपिओ जिन अर्जन देव गुरु
फिर संकट जोन गरभ ना आयो..."
कर वाहेगुरु से समस्त संसार को कोरोना से मुक्त करने की फरियाद की गई.
रात 8:30 वजे अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास तथा हुक्मनामा के साथ गुरुपर्व की समाप्ति हुई.
गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा आज सुबह 10 वजे से दोपहर 12 बजे तक रातु रोड स्थित मेट्रो चौक में छबील लगाकर राहगीरों को शरबत प्रसाद का वितरण किया गया.
इस पावन अवसर पर सुबह 11वजे से शाम 4 बजे तक गुरुद्वारा साहिब परिसर स्थित गुरुनानक भवन में गुरुनानक सेवक जत्था द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया.शिविर में 12 महिलाओं समेत कुल 55 लोगों ने स्वैक्षिक रक्तदान किया जिसे सेवा सदन ब्लड बैंक को सौंपा गया.मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि सत्संग सभा द्वारा आयोजित शिविर का उद्देश्य लॉक डाउन में रक्त की कमी से जूझ रहे मरीजों को रक्त उपलब्ध कराना है साथ ही बताया कि इस बार प्रशाद वितरण को लेकर भी एहतियात बरता गया और सभी श्रद्धालुओं के घर घर जाकर कंटेनर में पैक बुंदिया का प्रसाद गुरुनानक सेवक जत्था के सदस्यों द्वारा पहुंचाया गया.
सत्संग सभा के अध्यक्ष हरविंदर सिंह बेदी ने बताया कि लॉक डाउन के कारण अभी गुरुद्वारा परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर सरकार द्वारा मनाही है इसलिए गाइड लाइन का पालन करते हुए सभी कार्यक्रम में सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है.
सभा की अपील का अनुपालन करते हुए सभी श्रद्धालुओं ने अपने घरों में भी पाठ के दौरान सोशल डिस्टेंस का विशेष ख्याल रखा है
गुरुपर्व के आयोजन में
अशोक गेरा,
चरणजीत
मुंजाल,
नरेश पपनेजा,
प्रेम सुखीजा,
अशोक मुंजाल,
जीवन मिढ़ा,
मोहन काठपाल,
महेंद्र अरोड़ा,
रमेश तेहरी,
आशु मिढ़ा,
नवीन मिढ़ा,
पवनजीत खत्री,
रौनक ग्रोवर,
सूरज झंडई,
जितेंद्र मुंजाल,
कमल अरोड़ा,
मनीष गिरधर,
ज्ञान मादनपोत्रा,
उमेश मुंजाल,
अश्विनी सुखीजा,
भूपिंदर सिंह,
अमन डाबरा,
कशिश नागपाल,
की सक्रिय भागीदारी रही.
शहीदों के सरताज एवं शांतिपुंज पंचम पातशाह धन धन श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज के शहीदी गुरुपर्व को मुख रखते हुए पिछले उनचालीस दिनों से श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने घरों में पढ़े जा रहे श्री सुखमनी साहिब जी के पाठों का समापन आज हुआ.दोपहर 03:30 वजे से ज़ूम एप्प के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं ने अपने अपने घरों में श्री सुखमनी साहिब जी का सस्वर पाठ किया.
पाठ की समाप्ती के पश्चात ज़ूम एप्प द्वारा ही गुरुद्वारा साहिब के सेवक मनीष मिढ़ा समूह सँगत की ओर से अरदास "जपिओ जिन अर्जन देव गुरु
फिर संकट जोन गरभ ना आयो..."
कर वाहेगुरु से समस्त संसार को कोरोना से मुक्त करने की फरियाद की गई.
रात 8:30 वजे अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास तथा हुक्मनामा के साथ गुरुपर्व की समाप्ति हुई.
गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा आज सुबह 10 वजे से दोपहर 12 बजे तक रातु रोड स्थित मेट्रो चौक में छबील लगाकर राहगीरों को शरबत प्रसाद का वितरण किया गया.
इस पावन अवसर पर सुबह 11वजे से शाम 4 बजे तक गुरुद्वारा साहिब परिसर स्थित गुरुनानक भवन में गुरुनानक सेवक जत्था द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया.शिविर में 12 महिलाओं समेत कुल 55 लोगों ने स्वैक्षिक रक्तदान किया जिसे सेवा सदन ब्लड बैंक को सौंपा गया.मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि सत्संग सभा द्वारा आयोजित शिविर का उद्देश्य लॉक डाउन में रक्त की कमी से जूझ रहे मरीजों को रक्त उपलब्ध कराना है साथ ही बताया कि इस बार प्रशाद वितरण को लेकर भी एहतियात बरता गया और सभी श्रद्धालुओं के घर घर जाकर कंटेनर में पैक बुंदिया का प्रसाद गुरुनानक सेवक जत्था के सदस्यों द्वारा पहुंचाया गया.
सत्संग सभा के अध्यक्ष हरविंदर सिंह बेदी ने बताया कि लॉक डाउन के कारण अभी गुरुद्वारा परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर सरकार द्वारा मनाही है इसलिए गाइड लाइन का पालन करते हुए सभी कार्यक्रम में सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है.
सभा की अपील का अनुपालन करते हुए सभी श्रद्धालुओं ने अपने घरों में भी पाठ के दौरान सोशल डिस्टेंस का विशेष ख्याल रखा है
गुरुपर्व के आयोजन में
अशोक गेरा,
चरणजीत
मुंजाल,
नरेश पपनेजा,
प्रेम सुखीजा,
अशोक मुंजाल,
जीवन मिढ़ा,
मोहन काठपाल,
महेंद्र अरोड़ा,
रमेश तेहरी,
आशु मिढ़ा,
नवीन मिढ़ा,
पवनजीत खत्री,
रौनक ग्रोवर,
सूरज झंडई,
जितेंद्र मुंजाल,
कमल अरोड़ा,
मनीष गिरधर,
ज्ञान मादनपोत्रा,
उमेश मुंजाल,
अश्विनी सुखीजा,
भूपिंदर सिंह,
अमन डाबरा,
कशिश नागपाल,
की सक्रिय भागीदारी रही.
“दा कोरोना वारियर्स” राष्ट्रीय ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता परिणाम घोषित
रांची, झारखण्ड | मई | 26, 2020 :: कलाकृति आर्ट फाउंडेशन एवं कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के द्वारा कोरोना महामारी के बारे में जागरूकता फ़ैलाने एवं लॉक डाउन के समय में घर बैठे बच्चों को एक मंच प्रदान करने हेतु “दा कोरोना वारियर्स” नामक राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था है |
इस अवसर पर देश के हर हिस्से से विभिन्न वर्ग के प्रतिभागियों ने घर बैठे अपनी चित्रकला के माध्यम से कोरोना से लड़ाई में देश को जागरूक रहने का सन्देश दिया |
एक महीने तक चले इस प्रतियोगिता में में देश के 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों से 1233 प्रतिभागियों ने अपनी प्रविस्तियाँ भेजी जिसमे जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, त्रिपुरा, असाम, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्णाटक, उत्तर प्रदेश, हरयाणा एवं झारखण्ड से सबसे अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं |
इस प्रतियोगिता ने देश के कलाकारों को एक सूत्र में पिरो दिया था |
इस प्रतियोगिता में अलग अलग वर्गों में स्कूल, कॉलेज के छात्र एवं पेशेवर चित्रकार चित्रकारों ने भाग लिया |
ग्रुप ए में अगरतला त्रिपुरा से दिगंता दास को बेस्ट इन नेशन पुरस्कार प्राप्त हुआ |
ग्रुप बी में कोल्लम केरला से भद्रा एस., ग्रुप सी से इचलकरंजी महाराष्ट्र से सुशांत विष्णु पोवार, प्रोफेशनल केटेगरी में सिलचर असाम से सुभोम एश ने अपने अपने ग्रुप में बेस्ट इन नेशन का पुरस्कार जीता |
इसके अलावा प्रतेक ग्रुप में 10 गोल्ड मेडल , 15 सिल्वर मेडल एवं 20 ब्रोंज़ मेडल प्रदान किये गये |
इसके अलावा सोशल मीडिया में सबसे अधिक लाइक्स पाने वाले 10 प्रतिभागीओं को भी पुरस्कृत किया जायेगा |
प्रतिभागी प्रतियोगिता की विस्तृत रिजल्ट संस्था के वेबसाइट www.kalakritisoa.com से प्राप्त कर सकते हैं |
लॉक डाउन के उपरांत सभी प्रतिभागीओं के प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार उनके गंतव्य स्थान तक डाक एवं कूरियर के माध्यम से भेज दिए जायेंगे |
साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को रास्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता प्रभागिता प्रमाणपत्र डिजिटल स्वरुप में प्रदान की जाएगी |
प्रतियोगिता के विषय पर कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एवं कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के फाउंडर एवं युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने कहा की उनकी संस्था ने लोगों को कोरोना महामारी हेतु जागरूकता लाने और बच्चों में सृजनात्मकता के साथ ही घर पर रहकर अध्यन और लॉकडाउन के स्ट्रेस दूर करने के उद्देश्य से छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है ।
कोरोना महामारी हेतु बच्चों को जागरूक करने के लिए इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था | इस प्रतियोगिता में विजयी चित्रों की ऑनलाइन प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी |
इस अवसर पर देश के हर हिस्से से विभिन्न वर्ग के प्रतिभागियों ने घर बैठे अपनी चित्रकला के माध्यम से कोरोना से लड़ाई में देश को जागरूक रहने का सन्देश दिया |
एक महीने तक चले इस प्रतियोगिता में में देश के 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों से 1233 प्रतिभागियों ने अपनी प्रविस्तियाँ भेजी जिसमे जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, त्रिपुरा, असाम, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्णाटक, उत्तर प्रदेश, हरयाणा एवं झारखण्ड से सबसे अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं |
इस प्रतियोगिता ने देश के कलाकारों को एक सूत्र में पिरो दिया था |
इस प्रतियोगिता में अलग अलग वर्गों में स्कूल, कॉलेज के छात्र एवं पेशेवर चित्रकार चित्रकारों ने भाग लिया |
ग्रुप ए में अगरतला त्रिपुरा से दिगंता दास को बेस्ट इन नेशन पुरस्कार प्राप्त हुआ |
ग्रुप बी में कोल्लम केरला से भद्रा एस., ग्रुप सी से इचलकरंजी महाराष्ट्र से सुशांत विष्णु पोवार, प्रोफेशनल केटेगरी में सिलचर असाम से सुभोम एश ने अपने अपने ग्रुप में बेस्ट इन नेशन का पुरस्कार जीता |
इसके अलावा प्रतेक ग्रुप में 10 गोल्ड मेडल , 15 सिल्वर मेडल एवं 20 ब्रोंज़ मेडल प्रदान किये गये |
इसके अलावा सोशल मीडिया में सबसे अधिक लाइक्स पाने वाले 10 प्रतिभागीओं को भी पुरस्कृत किया जायेगा |
प्रतिभागी प्रतियोगिता की विस्तृत रिजल्ट संस्था के वेबसाइट www.kalakritisoa.com से प्राप्त कर सकते हैं |
लॉक डाउन के उपरांत सभी प्रतिभागीओं के प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार उनके गंतव्य स्थान तक डाक एवं कूरियर के माध्यम से भेज दिए जायेंगे |
साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को रास्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता प्रभागिता प्रमाणपत्र डिजिटल स्वरुप में प्रदान की जाएगी |
प्रतियोगिता के विषय पर कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एवं कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के फाउंडर एवं युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने कहा की उनकी संस्था ने लोगों को कोरोना महामारी हेतु जागरूकता लाने और बच्चों में सृजनात्मकता के साथ ही घर पर रहकर अध्यन और लॉकडाउन के स्ट्रेस दूर करने के उद्देश्य से छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है ।
कोरोना महामारी हेतु बच्चों को जागरूक करने के लिए इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था | इस प्रतियोगिता में विजयी चित्रों की ऑनलाइन प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी |
Seekh programme of UNICEF ensures the continued learning of students, despite the school closure : Job Zachariah, Chief of UNICEF, Chhattisgarh
Chhattisgarh | May | 26, 2020 :: Job Zachariah, Chief of UNICEF in Chhattisgarh, in an interaction with our news editor, spoke about the innovative “Seekh” programme, designed and launched by UNICEF for ensuring learning of primary school children at home in a fun-filled way.
He says that disruption of learning due to school closure could affect the learning outcome of children and it could even lead to the drop-out of students, when school reopens. “Seekh programme of UNICEF ensures the continued learning of students, despite the school closure” he says.
Excerpts
1.Q: Why did UNICEF design and launch “Seekh” programme for students?
A: Most schools in the country were closed from 16 March 2020, due to COVID 19 and the lockdown.
This disrupted the learning of students. Global evidence shows that it is not easy to re-start learning of children, once it is dis-continued. Besides, learning outcome of students would dip, after school closure. UNICEF felt that the learning of children could continue at home in a joyful way, with the involvement of parents. Hence, we launched the “Seekh” programme.
2. Q: What does Seekh programme consist of?
A: Seekh consists of a set of class-specific and subject-specific activities prepared in short audios and videos, based on expected learning outcomes.
These audios and videos are in the subjects like Hindi language, maths and science.
The class-specific activities include fun-filled indoor games and riddles, telling stories, reading out a passage, writing simple paragraphs, counting, as well as some physical activity. So far, 60 videos and audios of activities have been prepared and posted.
After each audio and video lesson, students have to do certain follow-up activities, as suggested.
3. Q: What are the unique features of Seekh?
A: Seekh is different from the usual on-line portals on education in the country for distance learning of students. Seekh programme, has three distinct features.
First, learning of students is ensured through fun-filled games and interesting activities.
Children learn basic concepts, without even realizing that they are learning. Second, Seekh promotes learning of students along with parents and grandparents.
All the activities are to be done by students along with parents and grandparents.
Third, local schoolteacher and community volunteer provide support to children and parents on the lessons and activities, by phone or social media platforms.
4. Q: How does Seekh lessons reach parents and children
A: The videos and audios of Seekh programme, with class-specific activities, are placed in the YouTube page- ‘CG Seekh’.
These are then shared by teachers with the parents by digital platforms such as WhatsApp groups, anchored by the teacher at the school or community level.
Alternatively, parents and students can directly access the videos and audios of lessons in the YouTube page.
5. Most of the parents are illiterate or first-generation learners in rural India. Will they be able to support children?
A: Even if parents are not educated in the formal way, we believe that parents can support and facilitate learning of children at home.
We want to promote non-formal ways of learning at home and Seekh programme considers parents and grandparents as great resources that can contribute to children’s development.
We have very positive response from parents in all districts. Parental and community support for learning of children, is an idea whose time has come.
In Nigerian Igbo culture, there is a saying which goes like this: ‘It takes a village to raise a child.’ Ditto for education.
6. Q: How will the Seekh videos and audios reach poor households in rural areas, who do not have smart phones or internet connectivity?
A: In states like Chhattisgarh, Jharkhand, Uttar Pradesh and Bihar, poor households may not have internet connectivity or smart phones to access the digital content.
To overcome this digital divide, Seekh mobilizes community volunteers, often young persons, who spend 1-2 hours with the children in their neighborhood, supporting them to learn. In some places, children who do not have access to digital devices are invited by their friends to learn together, keeping all precautions like wearing masks, physical distancing and washing hands with soap.
7. Q: Tell us more about the concept of Seekh mitras or community volunteers
A: Seekh mitras are community volunteers who would support parents and children for learning at home.
More than 4,000 Seekh mitras have been identified in Dhamtari and Raigarh districts in Chhattisgarh.
These Seekh mitras will be trained by UNICEF and provided with ‘pitaara’ containing learning activities and reference material.
Through the Seekh mitras, UNICEF hope to reach the last mile, those children in the poor and vulnerable households.
8.Q: Is this programme meant only for students in Chhattisgarh?
A: The learning material of Seekh is useful for all primary school students in India.
In the first phase, UNICEF has launched the programme in four districts of Chhattisgarh - Sukma, Dhamtari, Raigarh and Jashpur- with the support of district administration.
He says that disruption of learning due to school closure could affect the learning outcome of children and it could even lead to the drop-out of students, when school reopens. “Seekh programme of UNICEF ensures the continued learning of students, despite the school closure” he says.
Excerpts
1.Q: Why did UNICEF design and launch “Seekh” programme for students?
A: Most schools in the country were closed from 16 March 2020, due to COVID 19 and the lockdown.
This disrupted the learning of students. Global evidence shows that it is not easy to re-start learning of children, once it is dis-continued. Besides, learning outcome of students would dip, after school closure. UNICEF felt that the learning of children could continue at home in a joyful way, with the involvement of parents. Hence, we launched the “Seekh” programme.
2. Q: What does Seekh programme consist of?
A: Seekh consists of a set of class-specific and subject-specific activities prepared in short audios and videos, based on expected learning outcomes.
These audios and videos are in the subjects like Hindi language, maths and science.
The class-specific activities include fun-filled indoor games and riddles, telling stories, reading out a passage, writing simple paragraphs, counting, as well as some physical activity. So far, 60 videos and audios of activities have been prepared and posted.
After each audio and video lesson, students have to do certain follow-up activities, as suggested.
3. Q: What are the unique features of Seekh?
A: Seekh is different from the usual on-line portals on education in the country for distance learning of students. Seekh programme, has three distinct features.
First, learning of students is ensured through fun-filled games and interesting activities.
Children learn basic concepts, without even realizing that they are learning. Second, Seekh promotes learning of students along with parents and grandparents.
All the activities are to be done by students along with parents and grandparents.
Third, local schoolteacher and community volunteer provide support to children and parents on the lessons and activities, by phone or social media platforms.
4. Q: How does Seekh lessons reach parents and children
A: The videos and audios of Seekh programme, with class-specific activities, are placed in the YouTube page- ‘CG Seekh’.
These are then shared by teachers with the parents by digital platforms such as WhatsApp groups, anchored by the teacher at the school or community level.
Alternatively, parents and students can directly access the videos and audios of lessons in the YouTube page.
5. Most of the parents are illiterate or first-generation learners in rural India. Will they be able to support children?
A: Even if parents are not educated in the formal way, we believe that parents can support and facilitate learning of children at home.
We want to promote non-formal ways of learning at home and Seekh programme considers parents and grandparents as great resources that can contribute to children’s development.
We have very positive response from parents in all districts. Parental and community support for learning of children, is an idea whose time has come.
In Nigerian Igbo culture, there is a saying which goes like this: ‘It takes a village to raise a child.’ Ditto for education.
6. Q: How will the Seekh videos and audios reach poor households in rural areas, who do not have smart phones or internet connectivity?
A: In states like Chhattisgarh, Jharkhand, Uttar Pradesh and Bihar, poor households may not have internet connectivity or smart phones to access the digital content.
To overcome this digital divide, Seekh mobilizes community volunteers, often young persons, who spend 1-2 hours with the children in their neighborhood, supporting them to learn. In some places, children who do not have access to digital devices are invited by their friends to learn together, keeping all precautions like wearing masks, physical distancing and washing hands with soap.
7. Q: Tell us more about the concept of Seekh mitras or community volunteers
A: Seekh mitras are community volunteers who would support parents and children for learning at home.
More than 4,000 Seekh mitras have been identified in Dhamtari and Raigarh districts in Chhattisgarh.
These Seekh mitras will be trained by UNICEF and provided with ‘pitaara’ containing learning activities and reference material.
Through the Seekh mitras, UNICEF hope to reach the last mile, those children in the poor and vulnerable households.
8.Q: Is this programme meant only for students in Chhattisgarh?
A: The learning material of Seekh is useful for all primary school students in India.
In the first phase, UNICEF has launched the programme in four districts of Chhattisgarh - Sukma, Dhamtari, Raigarh and Jashpur- with the support of district administration.
Monday, 25 May 2020
Prashant Jain, Joint MD & CEO of JSW Energy will share the future prospects of the power sector in India during webinar series on 26th of may 2020
Ranchi, Jharkhand | May | 26, 2020 :: Prashant Jain, Joint MD & CEO of JSW Energy will share the future prospects of the power sector in India during webinar series, The rise of the new world by TedX Kanke on 26th of may 2020
One can Register in advance for this meeting:
https://zoom.us/meeting/register/tJYoc-CtpzgpG9OB5BloGZwYEn5UoJmdm_Eb
After registering, one will receive a confirmation email containing information about joining the meeting.
For any queries, write to at info@tedxkanke.com
One can Register in advance for this meeting:
https://zoom.us/meeting/register/tJYoc-CtpzgpG9OB5BloGZwYEn5UoJmdm_Eb
After registering, one will receive a confirmation email containing information about joining the meeting.
For any queries, write to at info@tedxkanke.com
श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज का शहीदी गुरुपर्व, 26 मई को, लॉक डाउन के कारण सभी कार्यक्रम सोशल मीडिया के माध्यम से सम्पन्न होगे
रांची, झारखण्ड | मई | 25, 2020 :: गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा कल 26 मई,मंगलवार को पंचम पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज का शहीदी गुरुपर्व सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए मनाया जाएगा.
गुरुपर्व के उपलक्ष्य में सुबह 10 वजे से दोपहर 12 बजे तक रातु रोड स्थित मेट्रो चौक में ठण्डे जल एवं शरबत की छबील लगाकर सेवा की जाएगी.इस अवसर पर सुबह11वजे से गुरुद्वारा साहिब परिसर में गुरुनानक सेवक जत्था द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है.
पिछले उनचालीस दिनों से श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने घरों में पढ़े जा रहे श्री सुखमनी साहिब जी के पाठों का समापन कल होगा.दोपहर 03:30 वजे से ज़ूम एप्प के माध्यम से सभी श्रद्धालु अपने अपने घरों में श्री सुखमनी साहिब जी का सस्वर पाठ करेंगे.
पाठ की समाप्ती के पश्चात ज़ूम एप्प द्वारा ही गुरुद्वारा साहिब के सेवक मनीष मिढ़ा समूह सँगत की ओर से अरदास करंगे.
रात 8:30 वजे अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास तथा हुक्मनामा के साथ गुरुपर्व की समाप्ति होगी.
सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि चूंकि लॉक डाउन के कारण अभी गुरुद्वारा परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर सभा द्वारा मनाही है इसलिए गाइड लाइन का पालन करते हुए सभी कार्यक्रम सोशल मीडिया के माध्यम से सम्पन्न हो रहे हैं साथ ही श्रद्धालुओं से अपने घरों में भी पाठ के दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन करने की अपील की गई है.
गुरुपर्व के उपलक्ष्य में सुबह 10 वजे से दोपहर 12 बजे तक रातु रोड स्थित मेट्रो चौक में ठण्डे जल एवं शरबत की छबील लगाकर सेवा की जाएगी.इस अवसर पर सुबह11वजे से गुरुद्वारा साहिब परिसर में गुरुनानक सेवक जत्था द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है.
पिछले उनचालीस दिनों से श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने घरों में पढ़े जा रहे श्री सुखमनी साहिब जी के पाठों का समापन कल होगा.दोपहर 03:30 वजे से ज़ूम एप्प के माध्यम से सभी श्रद्धालु अपने अपने घरों में श्री सुखमनी साहिब जी का सस्वर पाठ करेंगे.
पाठ की समाप्ती के पश्चात ज़ूम एप्प द्वारा ही गुरुद्वारा साहिब के सेवक मनीष मिढ़ा समूह सँगत की ओर से अरदास करंगे.
रात 8:30 वजे अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास तथा हुक्मनामा के साथ गुरुपर्व की समाप्ति होगी.
सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि चूंकि लॉक डाउन के कारण अभी गुरुद्वारा परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर सभा द्वारा मनाही है इसलिए गाइड लाइन का पालन करते हुए सभी कार्यक्रम सोशल मीडिया के माध्यम से सम्पन्न हो रहे हैं साथ ही श्रद्धालुओं से अपने घरों में भी पाठ के दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन करने की अपील की गई है.
Dr. Parinita Singh : Lens Eye’s Associate From India.
Ranchi, Jharkhand | May | 25, 2020 :: Its a Honour to announce that “Dr. Parinita Singh ” is our Associate from India.
On whole she is third Associate after Seema Gupta [ New Delhi, India ] and Gul H Gulrajani [ Bangalore, India ],
She is working as a Yoga expert from last 25 years and had done Doctorate in Yogic Science from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur, Chhattisgarh.
She had done
MSc in Botany from Tilka Manjhi University, Bhagalpur.
MSc in Yogic Science from Bihar Yog Bharti, Munger.
She had been Yoga Faculty in Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur, Chhattisgarh from 2001 to 2010
She had worked as yoga therapist/yoga instructor in various organizations from the year 2001 to 2019.
She had written jointly "Yog ek dristi mein", a book on yoga .
Presently she is working as a guest Faculty to Yoga Department of Ranchi University, Ranchi.
She is a very active, motivating & Helpful Personality. She is very dedicated to her work.
She is associated with us, from a long time.
We are sure under her association & Support Lens Eye will achieve grand success in coming years.
Link [ http://www.lenseye.co/associates/ ]
On whole she is third Associate after Seema Gupta [ New Delhi, India ] and Gul H Gulrajani [ Bangalore, India ],
She is working as a Yoga expert from last 25 years and had done Doctorate in Yogic Science from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur, Chhattisgarh.
She had done
MSc in Botany from Tilka Manjhi University, Bhagalpur.
MSc in Yogic Science from Bihar Yog Bharti, Munger.
She had been Yoga Faculty in Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur, Chhattisgarh from 2001 to 2010
She had worked as yoga therapist/yoga instructor in various organizations from the year 2001 to 2019.
She had written jointly "Yog ek dristi mein", a book on yoga .
Presently she is working as a guest Faculty to Yoga Department of Ranchi University, Ranchi.
She is a very active, motivating & Helpful Personality. She is very dedicated to her work.
She is associated with us, from a long time.
We are sure under her association & Support Lens Eye will achieve grand success in coming years.
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Sunday, 24 May 2020
कर्मयोगी जननेता और मजदूरों के मसीहा राजेन्द्र सिंह हमेशा याद आएंगे : सुबोधकांत सहाय ( पूर्व केंद्रीय मंत्री )
रांची, झारखण्ड | मई | 25, 2020 :: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि कर्मयोगी जननेता राजेन्द्र सिंह का असमय दुनिया से विदा हो जाना देश व समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
स्व.सिंह काफी लंबे समय तक राजनीतिक हमसफर के रूप में साथ रहे।
संसदीय राजनीति और मजदूर आंदोलन के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान अविस्मरणीय रहेगा।
मजदूरों के मसीहा के रूप में उनकी पहचान हमेशा बनी रहेगी।
श्री सहाय ने कहा कि विशेष तौर पर झारखंड ने एक प्रखर राजनेता और मजदूरों का सच्चा साथी खो दिया है। इसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है।
उन्होंने स्व.सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों को संबल प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।
राजेन्द्र सिंह के निधन पर कांग्रेस नेता
दीपक लाल,
सुनील सहाय,
शशिभूषण राय,
दीपक प्रसाद,
शैलेन्द्र सिंह,
आदित्य विक्रम जायसवाल,
रणविजय सिंह,
अशोक सिन्हा (प्रेसिडेंट),
अमरजीत कुमार,
इंद्रजीत सिंह,
प्रकाश कुमार सिंह(चटनी)
ने भी शोक व्यक्त किया।
उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि कर्मयोगी जननेता राजेन्द्र सिंह का असमय दुनिया से विदा हो जाना देश व समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
स्व.सिंह काफी लंबे समय तक राजनीतिक हमसफर के रूप में साथ रहे।
संसदीय राजनीति और मजदूर आंदोलन के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान अविस्मरणीय रहेगा।
मजदूरों के मसीहा के रूप में उनकी पहचान हमेशा बनी रहेगी।
श्री सहाय ने कहा कि विशेष तौर पर झारखंड ने एक प्रखर राजनेता और मजदूरों का सच्चा साथी खो दिया है। इसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है।
उन्होंने स्व.सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों को संबल प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।
राजेन्द्र सिंह के निधन पर कांग्रेस नेता
दीपक लाल,
सुनील सहाय,
शशिभूषण राय,
दीपक प्रसाद,
शैलेन्द्र सिंह,
आदित्य विक्रम जायसवाल,
रणविजय सिंह,
अशोक सिन्हा (प्रेसिडेंट),
अमरजीत कुमार,
इंद्रजीत सिंह,
प्रकाश कुमार सिंह(चटनी)
ने भी शोक व्यक्त किया।
बाँसुरी वादक गोपीचन्द्र प्रमाणिक नहीं रहें
रांची, झारखण्ड | मई | 24, 2020 :: नया सराय राँची के निवासी बाँसुरी वादक गोपीचन्द्र प्रमाणिक का निधन आज सुबह रिम्स बरियातू में हो गया।
संध्या चार बजे तक उनका दाह संस्कार कार्यक्रम पुनदाग नदी के समीप किया गया।जिसमें कई कलाकार लोग शामिल हुए।
स्वर्गीय गोपीचंद्र प्रमाणिक का जन्म 6 मई 1976 को हुआ था।
24 सितंबर 2005 को पहली बार एक बांसुरी वादक के रूप में सुर सिंगार म्यूजिकल ग्रुप के साथ स्टेज के कार्यक्रम में शिरकत किये।
इससे पहले वे आजाद अंसारी के साथ बैंजो वादक के रूप में संगत करते थे।
उन्हें बांसुरी वादक के रूप में झारखंड संगीत-जगत में लाने का श्रेय सुर सिंगार म्यूजिकल ग्रुप के आनंद कुमार राम,शिव शंकर महली एवं मनपुरन नायक को जाता है।
उनके चार बेटी,एक बेटा हैं।
एक बेटी की शादी हो चुकी है,जबकि बेटा 13 वर्ष का है।
झारखंड कल्चरल आर्टिस्ट एसोसिएशन के तरफ से सचिव डॉ जयकांत इंदवार ने कहा कि विगत 2 सालों में हमने 3 बांसुरी वादक को खोया है।
जो हमारे वरिष्ठ कलाकार रह चुके हैं।
काली शंकर माली, लालू शंकर माली एवं सुजय बोस तीनों बांसुरी वादकों का नागपुरी के ऑडियो क्षेत्र एवं मंच क्षेत्र में काफी सराहनीय योगदान रहा है।
आज जितने भी नागपुरी गाना सुना जाता हैं।
उसमें इन तीनों का बांसुरी वादन मिलता है।
इसके बाद कमलेश कच्छप का निधन हुआ।
वह भी एक जाने-माने बांसुरी वादक थे।
इनका काल बहुत ही स्वर्णिम रहा क्योंकि इनका कार्य नागपुरी ऑडियो में सबसे ज्यादा रहा।
गोपीचंद्र प्रमाणिक का भी निधन हो गया है।
यह भी नागपुरी जगत के लिए काफी बड़ी क्षति है।
देखा जाए तो लगातार वरिष्ठ वादकों का निधन हुआ है और अभी गोपीचंद्र प्रमाणिक आ निधन नागपुरी जगत के लिए एक बड़ा आघात हैं।
संध्या चार बजे तक उनका दाह संस्कार कार्यक्रम पुनदाग नदी के समीप किया गया।जिसमें कई कलाकार लोग शामिल हुए।
स्वर्गीय गोपीचंद्र प्रमाणिक का जन्म 6 मई 1976 को हुआ था।
24 सितंबर 2005 को पहली बार एक बांसुरी वादक के रूप में सुर सिंगार म्यूजिकल ग्रुप के साथ स्टेज के कार्यक्रम में शिरकत किये।
इससे पहले वे आजाद अंसारी के साथ बैंजो वादक के रूप में संगत करते थे।
उन्हें बांसुरी वादक के रूप में झारखंड संगीत-जगत में लाने का श्रेय सुर सिंगार म्यूजिकल ग्रुप के आनंद कुमार राम,शिव शंकर महली एवं मनपुरन नायक को जाता है।
उनके चार बेटी,एक बेटा हैं।
एक बेटी की शादी हो चुकी है,जबकि बेटा 13 वर्ष का है।
झारखंड कल्चरल आर्टिस्ट एसोसिएशन के तरफ से सचिव डॉ जयकांत इंदवार ने कहा कि विगत 2 सालों में हमने 3 बांसुरी वादक को खोया है।
जो हमारे वरिष्ठ कलाकार रह चुके हैं।
काली शंकर माली, लालू शंकर माली एवं सुजय बोस तीनों बांसुरी वादकों का नागपुरी के ऑडियो क्षेत्र एवं मंच क्षेत्र में काफी सराहनीय योगदान रहा है।
आज जितने भी नागपुरी गाना सुना जाता हैं।
उसमें इन तीनों का बांसुरी वादन मिलता है।
इसके बाद कमलेश कच्छप का निधन हुआ।
वह भी एक जाने-माने बांसुरी वादक थे।
इनका काल बहुत ही स्वर्णिम रहा क्योंकि इनका कार्य नागपुरी ऑडियो में सबसे ज्यादा रहा।
गोपीचंद्र प्रमाणिक का भी निधन हो गया है।
यह भी नागपुरी जगत के लिए काफी बड़ी क्षति है।
देखा जाए तो लगातार वरिष्ठ वादकों का निधन हुआ है और अभी गोपीचंद्र प्रमाणिक आ निधन नागपुरी जगत के लिए एक बड़ा आघात हैं।
फ़िल्म अभिनेता सूरज सम्राट को लेकर अभिनेत्री मधु सिंह राजपूत के फेसबुक पोस्ट से फैली ग़लतफ़हमी
मुम्बई | मई | 24, 2020 :: फ़िल्म अभिनेत्री मधु सिंह राजपूत के फेसबुक पोस्ट से सोशल मीडिया में लोगों को ग़लतफ़हमी हो गयी।दरअसल बीतें 22 मई को फ़िल्म अभिनेता सूरज सम्राट की सालगिरह थी।
जिसकी बधाई देते हुए मधु सिंह राजपूत ने एक फ़ोटो फेसबुक पर शेयर की।
जिसमें सूरज सम्राट के साथ मधु सिंह राजपूत हैं।
मधु ने सूरज सम्राट को सालगिरह की बधाई दी थी।
पर लोगों को लगा कि मधु सिंह राजपूत और सूरज सम्राट की शादी की सालगिरह हैं।
लोगों की ग़लतफ़हमी को दूर करते-करते मधु काफी परेशान हो गयी।
जिसके बाद सूरज सम्राट ने भी इस ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए अपनी सफाई दी।
सूरज सम्राट को आप सभी जानतें ही होंगे और हो सकता हैं आप मधु सिंह राजपूत को भी जानते हो।
आपको बता दें कि मधु अब तक दर्जनों फिल्मों में छोटे-बड़े किरदार कर चुकी हैं।
जिनमें से हम किसी से कम नहीं,किसमें कितना हैं दम,उड़ल ओढ़नियां प्यार में,संगम रिश्तों का,पांचाली,शुद्र दी रक्षक,मजानुआ,परिवार के बाबू,वॉन्टेड, जंग,पिस्टल पाण्डेय आदि शामिल हैं।
सूरज सम्राट और मधु सिंह राजपूत को लेकर यह गलतफहमी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं।
जिसकी सफाई में और भी कई लोग पोस्ट कर रहे।
सूरज सम्राट भोजपुरी फ़िल्म अर्धांगिनी से काफी चर्चे में आ चुके हैं।
इससे पहले भी कई फिल्में की और आगे भी कई फ़िल्में रिलीज को तैयार हैं।साथ ही कई फिल्मों की शूटिंग भी रुकी हुई हैं।
भोजपुरी फ़िल्म सूरज दी रिवेंजर मैन सहित अन्य कई फिल्में जो बन कर तैयार हैं।
पर कोरोना वायरस महामारी के कारण रिलीज के लिए रुकी हुई हैं।
इसके अलावे सूरज सम्राट की भोजपुरी फ़िल्म हत्यारा व अन्य कई फिल्मों की शूटिंग भी कोरोना वायरस के कारण ही रुकी हुयी हैं।
सूरज ने कहा कोरोना वायरस से भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री को काफी नुकसान हो ही रहा हैं।पर किया भी क्या जा सकता हैं?लेकिन,भोजपुरी फ़िल्म कलाकारों को सरकार के साथ मिलकर कोई सख्त कदम जरूर उठाना चाहिए।क्योंकि,शूटिंग ज़्यादा दिन रुकने से काफी बड़ी समस्या होगी।नियम व शर्तों के साथ शूटिंग की अनुमति मिलना चाहिए।
जिसकी बधाई देते हुए मधु सिंह राजपूत ने एक फ़ोटो फेसबुक पर शेयर की।
जिसमें सूरज सम्राट के साथ मधु सिंह राजपूत हैं।
मधु ने सूरज सम्राट को सालगिरह की बधाई दी थी।
पर लोगों को लगा कि मधु सिंह राजपूत और सूरज सम्राट की शादी की सालगिरह हैं।
लोगों की ग़लतफ़हमी को दूर करते-करते मधु काफी परेशान हो गयी।
जिसके बाद सूरज सम्राट ने भी इस ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए अपनी सफाई दी।
सूरज सम्राट को आप सभी जानतें ही होंगे और हो सकता हैं आप मधु सिंह राजपूत को भी जानते हो।
आपको बता दें कि मधु अब तक दर्जनों फिल्मों में छोटे-बड़े किरदार कर चुकी हैं।
जिनमें से हम किसी से कम नहीं,किसमें कितना हैं दम,उड़ल ओढ़नियां प्यार में,संगम रिश्तों का,पांचाली,शुद्र दी रक्षक,मजानुआ,परिवार के बाबू,वॉन्टेड, जंग,पिस्टल पाण्डेय आदि शामिल हैं।
सूरज सम्राट और मधु सिंह राजपूत को लेकर यह गलतफहमी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं।
जिसकी सफाई में और भी कई लोग पोस्ट कर रहे।
सूरज सम्राट भोजपुरी फ़िल्म अर्धांगिनी से काफी चर्चे में आ चुके हैं।
इससे पहले भी कई फिल्में की और आगे भी कई फ़िल्में रिलीज को तैयार हैं।साथ ही कई फिल्मों की शूटिंग भी रुकी हुई हैं।
भोजपुरी फ़िल्म सूरज दी रिवेंजर मैन सहित अन्य कई फिल्में जो बन कर तैयार हैं।
पर कोरोना वायरस महामारी के कारण रिलीज के लिए रुकी हुई हैं।
इसके अलावे सूरज सम्राट की भोजपुरी फ़िल्म हत्यारा व अन्य कई फिल्मों की शूटिंग भी कोरोना वायरस के कारण ही रुकी हुयी हैं।
सूरज ने कहा कोरोना वायरस से भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री को काफी नुकसान हो ही रहा हैं।पर किया भी क्या जा सकता हैं?लेकिन,भोजपुरी फ़िल्म कलाकारों को सरकार के साथ मिलकर कोई सख्त कदम जरूर उठाना चाहिए।क्योंकि,शूटिंग ज़्यादा दिन रुकने से काफी बड़ी समस्या होगी।नियम व शर्तों के साथ शूटिंग की अनुमति मिलना चाहिए।
Sai Gurukul Online Yoga Competition 2020 :: Date of sending video : from 14th - 25th June 2020.
Jharkhand | May | 24, 2020 ::
Sai Gurukul Online Yoga Competition 2020 :: Date of sending video is from 14th - 25th JUNE , 2020.
Rules: 1. The competition is open to all individuals as well as any institutions.
2. Participants are requested to make a yoga video of their four(4) compulsory asanas and 1 choice asana according to their age groups.
3. Yoga asanas video time limit is 2 minutes
4. The video must be sent to the Whatsapp number or Email-ID given below.
5. Entry fees 100/-(Per Head)
6. The decision of the judges will be final and binding.
7. The title contest for the players of the championship is only for the 1st , 2nd and 3rd position holders of each group (boys and girls) will compete for the
“ GURUKUL YOGA SUNDAR 2020” and
“ GURUKUL YOGA SUNDARI 2020” and only first position holders of each group will compete for Champion of Champions round
“GURUKUL YOGA BHASKAR 2020”.
The video time limit for these rounds is 3 minutes.
8. For GURUKUL YOGA “SUNDAR” and “SUNDARI”- 2020 , 5 asanas ( own choice but 1 each should from the category of
Front bending,
Back bending,
Twisting,
Hand balancing and
Leg balancing asanas.
Preference to be given as per the grade of difficulty.
9. For “GURUKUL YOGA BHASKAR 2020”
5 asanas ( own choice preferably asanas in series.
Should maintain the continuity from the initial posture.
Preference to be given as per the grade of difficulty.)
10. 1st – 6th place holders will be given attractive prize money and certificate.
11. Date of sending your video is from
14th - 25th JUNE , 2020.
12. WHATSAPP NUMBER : 8825235150 13.
GMAIL ID : globetvyoga@gmail.com
14. IMPORTANT: Please don’t forget to mention your
name,
institution/school ,
age group ,
group name ,
contact number at the beginning of the video.
15. Aadhar card / Birth Certificate should be sent as attachment via E-mail.
NAME OF GROUP:
JUNIOR GROUP(7-14 YEARS)
BOYS and GIRLS: ( Any 4 and 1 choice) •
Brikshasana •
Ustrasana •
Chakrasana •
Akarna dhanurasana •
Sarvangasana •
Ekpada sikandasana
SENIOR GROUP(15-25 YEARS)
BOYS and GIRLS: ( Any 4 and 1 choice) •
Parswakoasana •
Ardhamatsendrasana •
Sarvangasana •
Purna dhanurasana •
Matsyasana •
Purna chakrasana(Dimba asana)
ABOVE 25 YEARS GROUP
(MEN AND WOMEN): ( Any 4 and 1 choice) •
Brikshasana •
Paschimottanasana •
Chakrasana •
Ushtrasana •
Ardhamatsendrasana •
Sarvangasana
Sai Gurukul Online Yoga Competition 2020 :: Date of sending video is from 14th - 25th JUNE , 2020.
Rules: 1. The competition is open to all individuals as well as any institutions.
2. Participants are requested to make a yoga video of their four(4) compulsory asanas and 1 choice asana according to their age groups.
3. Yoga asanas video time limit is 2 minutes
4. The video must be sent to the Whatsapp number or Email-ID given below.
5. Entry fees 100/-(Per Head)
6. The decision of the judges will be final and binding.
7. The title contest for the players of the championship is only for the 1st , 2nd and 3rd position holders of each group (boys and girls) will compete for the
“ GURUKUL YOGA SUNDAR 2020” and
“ GURUKUL YOGA SUNDARI 2020” and only first position holders of each group will compete for Champion of Champions round
“GURUKUL YOGA BHASKAR 2020”.
The video time limit for these rounds is 3 minutes.
8. For GURUKUL YOGA “SUNDAR” and “SUNDARI”- 2020 , 5 asanas ( own choice but 1 each should from the category of
Front bending,
Back bending,
Twisting,
Hand balancing and
Leg balancing asanas.
Preference to be given as per the grade of difficulty.
9. For “GURUKUL YOGA BHASKAR 2020”
5 asanas ( own choice preferably asanas in series.
Should maintain the continuity from the initial posture.
Preference to be given as per the grade of difficulty.)
10. 1st – 6th place holders will be given attractive prize money and certificate.
11. Date of sending your video is from
14th - 25th JUNE , 2020.
12. WHATSAPP NUMBER : 8825235150 13.
GMAIL ID : globetvyoga@gmail.com
14. IMPORTANT: Please don’t forget to mention your
name,
institution/school ,
age group ,
group name ,
contact number at the beginning of the video.
15. Aadhar card / Birth Certificate should be sent as attachment via E-mail.
NAME OF GROUP:
JUNIOR GROUP(7-14 YEARS)
BOYS and GIRLS: ( Any 4 and 1 choice) •
Brikshasana •
Ustrasana •
Chakrasana •
Akarna dhanurasana •
Sarvangasana •
Ekpada sikandasana
SENIOR GROUP(15-25 YEARS)
BOYS and GIRLS: ( Any 4 and 1 choice) •
Parswakoasana •
Ardhamatsendrasana •
Sarvangasana •
Purna dhanurasana •
Matsyasana •
Purna chakrasana(Dimba asana)
ABOVE 25 YEARS GROUP
(MEN AND WOMEN): ( Any 4 and 1 choice) •
Brikshasana •
Paschimottanasana •
Chakrasana •
Ushtrasana •
Ardhamatsendrasana •
Sarvangasana
Saturday, 23 May 2020
Live Holistic Webinar 2.0, Let's Fight Obesity with Yoga on 24th of may 2020
Ranchi, Jharkhand | May | 24, 2020 :: Live Holistic Webinar 2.0, Let's Fight Obesity with Yoga on 24th of may 2020
Worldwide obesity has nearly tripled since 1975. In 2016, more than 1.9 billion adults, 18 years and older, were overweight.In India, more than 135 million individuals are affected by obesity. India has more than 30 million obese people, and the number is increasing alarmingly.
The problem is more acute among women than men.
In urban India, more than 23% of women are either overweight or obese, which is higher than the prevalence among men (20%).
Yoga, on the other hand, can help to fight Obesity.
Experts who will guide through this webinar are
1. Dr. Poornima Mittal
(Corona Warrior at Smt. Sucheta Kriplani Hospital New Delhi)
2. Ms. Dilrajpreet Kaur - Yoga Ambassador
(International & Asian Yoga Champion & Yoga Brand Ambassador of Uttarakhand)
Date: 24th May 2020
TIme: 4PM
Register @
https://bit.ly/2JvG459
Info was given by Nilanchal Padmashanti of Live Holistic
Worldwide obesity has nearly tripled since 1975. In 2016, more than 1.9 billion adults, 18 years and older, were overweight.In India, more than 135 million individuals are affected by obesity. India has more than 30 million obese people, and the number is increasing alarmingly.
The problem is more acute among women than men.
In urban India, more than 23% of women are either overweight or obese, which is higher than the prevalence among men (20%).
Yoga, on the other hand, can help to fight Obesity.
Experts who will guide through this webinar are
1. Dr. Poornima Mittal
(Corona Warrior at Smt. Sucheta Kriplani Hospital New Delhi)
2. Ms. Dilrajpreet Kaur - Yoga Ambassador
(International & Asian Yoga Champion & Yoga Brand Ambassador of Uttarakhand)
Date: 24th May 2020
TIme: 4PM
Register @
https://bit.ly/2JvG459
Info was given by Nilanchal Padmashanti of Live Holistic
पत्रकारों पर दमन और शोषण बर्दाश्त नहीं : झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट
रांची, झारखण्ड | मई | 23, 2020 :: पत्रकारों पर दमन और शोषण बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, झारखंड के अधिकारी खुद को शासक समझने लगे हैं। यही कारण है कि चांडिल के वरिष्ठ पत्रकार बसन्त साहू को सरायकेला डीसी के इशारे पर जेल भेज दिया गया। ये बातें झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के प्रदेश महासचिव शिव कुमार अग्रवाल ने कही।
बसन्त साहू को जेल भेज जाना ये साबित करता है कि कोरोना आपदा के समय जान जोख़िम में डाल कर पत्रकारिता कर रहे लोगों के लिए इस निष्ठुर सिस्टम के हृदय में जरा भी दया नहीं।
सरायकेला के पत्रकार की बस इतनी गलती है कि उसने सच सामने लाने की कोशिश की जिसमें उसकी कोई गलत मंशा नहीं थी।
लेकिन अफ़सोस एक वरिष्ठ और नेक पत्रकार को प्रशासन ने अपना शिकार बनाया है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि किसी भी सूरत में प्रशासन के दमन का यह चेहरा पत्रकारों के हित में नहीं है, पूर्ववर्ती सरकार ने भी पत्रकारों को डराने धमकाने का काम किया था।
वर्तमान सरकार से लोगों की आशाएं जगी थी कि वह पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने का काम करेगी लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो पा रहा।
झारखंड सरकार के द्वारा किये जा रहे बेहतर कामों में सरायकेला के डीसी जैसे अधिकारी पलीता लगा रहे हैं।
झारखण्ड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट झारखंड सरकार से मांग करता है कि जल्द ही चांडिल के पत्रकार बसन्त साहू को रिहा करे वरना देश और झारखंड के पत्रकार आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगे।
जेयूजे के प्रदेश अध्यक्ष से वार्ता के बाद निर्णय लिया गया है कि इस दमन के खिलाफ बसन्त साहू जी के परिजनों के द्वारा इस मसले पर न्यायालय में केस दायर किया जाएगा।
बसन्त साहू को जेल भेज जाना ये साबित करता है कि कोरोना आपदा के समय जान जोख़िम में डाल कर पत्रकारिता कर रहे लोगों के लिए इस निष्ठुर सिस्टम के हृदय में जरा भी दया नहीं।
सरायकेला के पत्रकार की बस इतनी गलती है कि उसने सच सामने लाने की कोशिश की जिसमें उसकी कोई गलत मंशा नहीं थी।
लेकिन अफ़सोस एक वरिष्ठ और नेक पत्रकार को प्रशासन ने अपना शिकार बनाया है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि किसी भी सूरत में प्रशासन के दमन का यह चेहरा पत्रकारों के हित में नहीं है, पूर्ववर्ती सरकार ने भी पत्रकारों को डराने धमकाने का काम किया था।
वर्तमान सरकार से लोगों की आशाएं जगी थी कि वह पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने का काम करेगी लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो पा रहा।
झारखंड सरकार के द्वारा किये जा रहे बेहतर कामों में सरायकेला के डीसी जैसे अधिकारी पलीता लगा रहे हैं।
झारखण्ड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट झारखंड सरकार से मांग करता है कि जल्द ही चांडिल के पत्रकार बसन्त साहू को रिहा करे वरना देश और झारखंड के पत्रकार आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगे।
जेयूजे के प्रदेश अध्यक्ष से वार्ता के बाद निर्णय लिया गया है कि इस दमन के खिलाफ बसन्त साहू जी के परिजनों के द्वारा इस मसले पर न्यायालय में केस दायर किया जाएगा।
फोटोग्राफर एसोसिएशन ऑफ जमशेदपुर ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को ज्ञापन सौंपा : लॉक डाउन की परिस्थिति में फोटोग्राफरों के बीच हो रहे दिक्कत से अवगत कराया
रांची, झारखण्ड | मई | 23, 2020 :: फोटोग्राफर एसोसिएशन ऑफ जमशेदपुर की ओर से स्वास्थ्य मंत्री झारखंड सरकार बन्ना गुप्ता को फोटोग्राफर एसोसिएशन ऑफ जमशेदपुर की ओर से एक ज्ञापन दिया गया जिसमें लॉक डाउन की परिस्थिति में फोटोग्राफरों के बीच हो रहे दिक्कत से अवगत कराया गया साथ ही झारखंड सरकार से स्टूडियो और फोटोग्राफी के अनुमति के लिए कहां गया और झारखंड में हो रहे हैं बहुत से लाभकारी योजना की जानकारी दी गई जिसमें फोटोग्राफी बहुत ही अनिवार्य हैं जिसे सुनकर मंत्री ने कहा कि वह हमारे साथ हैं और हम फोटोग्राफरों को जितनी हो सके उन्होंने मदद करने का आश्वासन दिया उन्होंने झारखंड सरकार से इस विषय में बात करेंगे ।
फोटोग्राफर एसोसिएशन की ओर से
अध्यक्ष सुमंत शर्मा ,
महासचिव बाबूलाल प्रसाद,
कोषाध्यक्ष सोमेन सरकार ,
सह कोषाअध्यक्ष बलराम सरदार ,
एस्क्यूटी सदस्य
रवि ,
तूका,
तनु ,और बहुत सारे फोटोग्राफर सदस्य वहां मौजूद थे
फोटोग्राफर एसोसिएशन की ओर से
अध्यक्ष सुमंत शर्मा ,
महासचिव बाबूलाल प्रसाद,
कोषाध्यक्ष सोमेन सरकार ,
सह कोषाअध्यक्ष बलराम सरदार ,
एस्क्यूटी सदस्य
रवि ,
तूका,
तनु ,और बहुत सारे फोटोग्राफर सदस्य वहां मौजूद थे
For teachers, challenges will be similar with internet reaching out to villages : Manish Kumar, CEO & MD of NSDC, Former Secretary, GoI (Retd. IAS)
Ranchi, 22nd May 2020: TEDxKanke organized a TEDxKanke: Webinar Series
Title of the webinar was Future Skills for workforce in India
Speaker of the programme was Manish Kumar, CEO & MD of NSDC, Former Secretary, GoI (Retd. IAS) and it was Moderated By Santosh Sharma, Curator, TEDxKanke
On broad trend in which India finds itself right now
• India finds itself poise in a positive place. Alongside the demographic window of opportunity, this is a wealth creation moment for our people.
• Recent example of South Korea in 1950 where they entered the graphic window of opportunity, their per capita has multiplied exponentially. China entered such a window in 1950 and their growth is visible.
• India has entered in 2005 and our per capita income has grown by 4-5 times and will continue until 2050.
• India has also proven itself a giant powerhouse and knowledge hub of IT. Right now, we are experience the infancy stage of this technology and it is only going to get better. This adds to the multiplication factor that we will observe in our income levels in the coming years.
On roles of NSDC in shaping skill development in India
• NSDC is a developmental bank which lends money (and knowledge) for skill development opportunities
• Created sector-skill councils based on the industry requirements. Once we understand the competencies needed in a particular sector, we created job opportunities in that sector.
• Every job in a particular sector has 13-15 competencies. This is prepared based on a thorough data analysis and then skill development programs are created. A person getting a job after being certified on skills from NSDC get 15% better salary than the ones without skill certification.
• Automated cars in California, for instance, run on data analysis conducted by girls working in India who were trained by NSDC.
• Both short-term and foundational skills become critical. Apart from the domain skills like Ai and Machine Learning that are dominating the world, it is imperative to build foundational skills such as collaborating, team working and other skills that allow people to work together.
On bridging the glaring skill-gap between academia and industries
• We are following industry 2.0 while the world is running on industry 5.0 and too much importance is being given to degrees. Life has changed massively, and the evolution is fast paced. It does not require huge chunk of knowledge but important pieces of information that work on the go.
• The new education policy is changing gears and in future we will see courses better suited to match the skills required for the industry. We need to get over the British culture that gave weightage to clerks.
On farmers and teachers – who are facing the biggest challenges
• Big challenge for the bottom 25% of India – the lowest income quartile – that earns INR 26000 or less at this point. Nature of agriculture will change with the current scenario no matter how hard we try. Agriculture will contribute to low employment as mechanization will overtake. Lot of movement will occur from agriculture to construction and textile, as we have seen at some level. The bigger shift will occur in technology such as regenerative agriculture and increasing productivity of our existing system.
• We are trying to see if we can create a Google Map equivalent of skills with the help of a US tech company where people can find the nearest job based on their skills.
• For teachers, challenges will be similar with internet reaching out to villages. Teachers will have to upskill and reskill themselves, become more entrepreneurial and adapt to the local realities.
Audience Questions:
There is a huge disconnect in the location of skills and industries which is inducing migration. While the industry is not migrating where the skills are, experts are suggesting that future might see COVID-like migration conditions regularly. How can we address the issue that the industry is also pulled where the skills are, and great dislocation does not take place?
By Mr Sunil Burnwal, IAS, Govt. of Jharkhand
• In my view, India is sub-continent with 1.3 billion people – population of entire African continent. This has both advantages and disadvantages. When economic opportunities arise, people migrate towards these opportunities. The movement is across large distances but smooth under the normal times. India is about 100 economic clusters. If opportunities are created within the clusters and if people can get job closer to these clusters, then we can match demand and supply using data and find jobs which are geographically closer. A platform can be created which describes the income and expense levels for particular jobs and skills that can be compared for deciding on geographic migration.
• For boosting village economy, we require promoting of entrepreneurship in a bigger way. The actual amount needed in a village is 50-70k. Local youth can be supported with capital from social venture capitalists and philanthropists, building a culture where community supports local youth – rather than looking at the govt. for everything.
• We need to put our heart into the labor problem. Opening a state representative (like Tripura Bhavan in Chennai) in the states where local laborers are going. Food and accommodation are the biggest challenges. State govt can create logistic facilities such as building some properties to be give out on rent.
What was the reason of leaving services in 2011 for World Bank and how has the experience been?
By Mr Rohit Tripathy, Founder of Ranchi Mall
“I worked in the govt for 20 years and really enjoyed my work. A lot of my work involved negotiating with tribal insurgents in the jungles and bringing them back to normal life. But eventually with the places becoming peaceful, I felt bored with challenges becoming smaller. After moving to World Bank and later being associated with two complex problems – Swachcha Bharat and Skill India – I have continued to work closely with the government and have thoroughly enjoyed these new challenges.”
Title of the webinar was Future Skills for workforce in India
Speaker of the programme was Manish Kumar, CEO & MD of NSDC, Former Secretary, GoI (Retd. IAS) and it was Moderated By Santosh Sharma, Curator, TEDxKanke
On broad trend in which India finds itself right now
• India finds itself poise in a positive place. Alongside the demographic window of opportunity, this is a wealth creation moment for our people.
• Recent example of South Korea in 1950 where they entered the graphic window of opportunity, their per capita has multiplied exponentially. China entered such a window in 1950 and their growth is visible.
• India has entered in 2005 and our per capita income has grown by 4-5 times and will continue until 2050.
• India has also proven itself a giant powerhouse and knowledge hub of IT. Right now, we are experience the infancy stage of this technology and it is only going to get better. This adds to the multiplication factor that we will observe in our income levels in the coming years.
On roles of NSDC in shaping skill development in India
• NSDC is a developmental bank which lends money (and knowledge) for skill development opportunities
• Created sector-skill councils based on the industry requirements. Once we understand the competencies needed in a particular sector, we created job opportunities in that sector.
• Every job in a particular sector has 13-15 competencies. This is prepared based on a thorough data analysis and then skill development programs are created. A person getting a job after being certified on skills from NSDC get 15% better salary than the ones without skill certification.
• Automated cars in California, for instance, run on data analysis conducted by girls working in India who were trained by NSDC.
• Both short-term and foundational skills become critical. Apart from the domain skills like Ai and Machine Learning that are dominating the world, it is imperative to build foundational skills such as collaborating, team working and other skills that allow people to work together.
On bridging the glaring skill-gap between academia and industries
• We are following industry 2.0 while the world is running on industry 5.0 and too much importance is being given to degrees. Life has changed massively, and the evolution is fast paced. It does not require huge chunk of knowledge but important pieces of information that work on the go.
• The new education policy is changing gears and in future we will see courses better suited to match the skills required for the industry. We need to get over the British culture that gave weightage to clerks.
On farmers and teachers – who are facing the biggest challenges
• Big challenge for the bottom 25% of India – the lowest income quartile – that earns INR 26000 or less at this point. Nature of agriculture will change with the current scenario no matter how hard we try. Agriculture will contribute to low employment as mechanization will overtake. Lot of movement will occur from agriculture to construction and textile, as we have seen at some level. The bigger shift will occur in technology such as regenerative agriculture and increasing productivity of our existing system.
• We are trying to see if we can create a Google Map equivalent of skills with the help of a US tech company where people can find the nearest job based on their skills.
• For teachers, challenges will be similar with internet reaching out to villages. Teachers will have to upskill and reskill themselves, become more entrepreneurial and adapt to the local realities.
Audience Questions:
There is a huge disconnect in the location of skills and industries which is inducing migration. While the industry is not migrating where the skills are, experts are suggesting that future might see COVID-like migration conditions regularly. How can we address the issue that the industry is also pulled where the skills are, and great dislocation does not take place?
By Mr Sunil Burnwal, IAS, Govt. of Jharkhand
• In my view, India is sub-continent with 1.3 billion people – population of entire African continent. This has both advantages and disadvantages. When economic opportunities arise, people migrate towards these opportunities. The movement is across large distances but smooth under the normal times. India is about 100 economic clusters. If opportunities are created within the clusters and if people can get job closer to these clusters, then we can match demand and supply using data and find jobs which are geographically closer. A platform can be created which describes the income and expense levels for particular jobs and skills that can be compared for deciding on geographic migration.
• For boosting village economy, we require promoting of entrepreneurship in a bigger way. The actual amount needed in a village is 50-70k. Local youth can be supported with capital from social venture capitalists and philanthropists, building a culture where community supports local youth – rather than looking at the govt. for everything.
• We need to put our heart into the labor problem. Opening a state representative (like Tripura Bhavan in Chennai) in the states where local laborers are going. Food and accommodation are the biggest challenges. State govt can create logistic facilities such as building some properties to be give out on rent.
What was the reason of leaving services in 2011 for World Bank and how has the experience been?
By Mr Rohit Tripathy, Founder of Ranchi Mall
“I worked in the govt for 20 years and really enjoyed my work. A lot of my work involved negotiating with tribal insurgents in the jungles and bringing them back to normal life. But eventually with the places becoming peaceful, I felt bored with challenges becoming smaller. After moving to World Bank and later being associated with two complex problems – Swachcha Bharat and Skill India – I have continued to work closely with the government and have thoroughly enjoyed these new challenges.”
अणुव्रत समिति, दिल्ली की सुरम्य प्रस्तुति अणुव्रत काव्य धारा रविवार, 24 मई 2020 को
दिल्ली | मई | 23, 2020 :: अणुव्रत समिति, दिल्ली की सुरम्य प्रस्तुति अणुव्रत काव्य धारा रविवार, 24 मई 2020 को
प्रस्तुति : सुप्रसिद्ध कवियत्री डॉ. कीर्ति काले
रविवार, 24 मई 2020
सायं 7 बजे से 8 बजे तक
Facebook Live
https://www.facebook.com/AnuvratSamitiDelhi
प्रस्तुति : सुप्रसिद्ध कवियत्री डॉ. कीर्ति काले
रविवार, 24 मई 2020
सायं 7 बजे से 8 बजे तक
Facebook Live
https://www.facebook.com/AnuvratSamitiDelhi
झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स का पत्रकार कल्याण अभियान : तीन विधायकों ने कहा मांग पर मुख्यमंत्री से करेंगे बात
रांची, झारखण्ड | मई | 23, 2020 :: झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने अपने पत्रकार कल्याण अभियान के तहत कई अन्य विधायकों को अपना ज्ञापन सौंपा है।
इनमें से
बहरागोड़ विधायक श्री समीर मोहंती,
लातेहार विधायक श्री वैद्यनाथ राम को यूनियन के प्रतिनिधियों ने जाकर यूनियन का वह ज्ञापन सौंपा, जिसमें कोरोना के संकट काल में पत्रकारों को कोरोना वॉरियर घोषित करते हुए उनके लिए भी उचित सुरक्षा प्रबंध किये जाने की मांग की गयी है।
यूनियन ने इस क्रम में पत्रकारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की भी मांग की है।
दोनों विधायकों ने उनसे मिलने गये पत्रकारों को इस बात का आश्वासन दिया है कि वे इस विषय पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखने से साथ साथ रांची आकर मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से इस विषय पर सीधी चर्चा भी करेंगे।
लातेहार में यूनियन की तरफ से
जिलाध्यक्ष राजेश प्रसाद के नेतृत्व में
वीरेंद्र प्रसाद,
योगेश प्रसाद,
रुपेश कुमार,
रोशन कुमार,
राहुल कुमार,
विक्रम कुमार,
कमलेश प्रसाद
सहित कई पत्रकार श्री वैद्यनाथ राम से मिले थे।
बहरागोड़ा विधायक श्री मोहंती से यूनियन के प्रतिनिधि के तौर पर विशाल लोधा ने उन्हें ज्ञापन सौंपा है।
इसके अलावा
मांडर के विधायक श्री बंधु तिर्की,
तमाड़ के विधायक श्री विकास सिंह मुंडा,
पोड़ेयाहाट के विधायक श्री प्रदीप यादव और
राजमहल के विधायक श्री अनंत ओझा को भी ज्ञापन की प्रति ऑनलाइन भेजी गयी है और उनसे आग्रह किया गया है कि वे अपने अपने स्तर पर इस दिशा में उचित कार्रवाई करें।
“दा ग्रीन हीरो” राष्ट्रीय ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता शुरू : सम्मलित होने की अंतिम तिथि 31 मई 2020
रांची, झारखण्ड | मई | 23, 2020 :: कलाकृति आर्ट फाउंडेशन एवं कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के द्वारा दा ग्रीन हीरो नामक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गयी है |
अगले महीने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के नाम से संस्था के द्वारा पेंड लगाया जायेगा |
पर्यावरण के प्रति लगाव एवं इसके संरक्षण हेतु लॉक डाउन के समय में घर बैठे बच्चों को एक मंच प्रदान करने हेतु “दा ग्रीन हीरो ” नामक राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है |
आज कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के सचिव धनंजय कुमार एवं अन्य ने इस प्रतियोगिता का पोस्टर का विमोचन किया |
इस प्रतियोगिता में किसी भी कक्षा के प्रतिभागी भाग ले सकते हैं |
इस प्रतियोगिता में अलग अलग वर्गों में कोई भी स्कूल, कॉलेज के छात्र एवं पेशेवर चित्रकार भी भाग ले सकते हैं |
ग्रुप ए एवं बी के प्रतिभागियों को पृथ्वी बचाएं, पर्यावरण बचाएं और ग्रुप सी एवं डी के लिए जैव विबिधता एवं संरक्षण विषय पर चित्रकारी करनी है |
प्रतिभागी किसी भी माध्यम (रंगों) एवं कोई भी साइज़ के कागज़/कैनवास का इस्तेमाल कर उपयुक्त विषय पर चित्रकारी कर सकते है | पेंटिंग की तस्वीर खींच कर www.kalakritisoa.com वेबसाइट पर अपने विवरण के साथ अपलोड कर सकते हैं |
इस प्रतियोगिता में सम्मलित होने की अंतिम तिथि 31 मई 2020 है |
इस प्रतियोगिता में लगभग 200 प्रतिभागीओं को पुरस्कृत किया जायेगा |
प्रत्येक ग्रुप में विजेताओं को स्वर्ण, रजत, एवं कांस्य पदक प्रदान कर पुरस्कृत किया जायेगा साथ ही साथ अन्य उपहार भी भी जीतने का अवसर मिलेगा |
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रभागिता प्रमाणपत्र डिजिटल स्वरुप में प्रदान की जाएगी |
प्रतियोगिता के विस्तृत जानकारी एवं नियम वेबसाइट पर उपलब्ध है |
इस प्रतियोगिता में विजयी चित्रों की ऑनलाइन प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी |
आज कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के डोरंडा केंद्र में प्रतियोगिता के पोस्टर विमोचन के अवसर पर कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एवं कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के फाउंडर एवं युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने कहा की उनकी संस्था ने लोगों को कोरोना महामारी के समय प्रकृति संरक्षण हेतु जागरूकता लेन और बच्चों में सृजनात्मकता के साथ ही घर पर रहकर अध्ययन और लॉकडाउन के स्ट्रेस दूर करने के उद्देश्य से छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है । |
इस अवसर पर संस्था की सचिव रजनी कुमारी, शिक्षिका हर्ष, हर्षिता उपस्थित थें |
अगले महीने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के नाम से संस्था के द्वारा पेंड लगाया जायेगा |
पर्यावरण के प्रति लगाव एवं इसके संरक्षण हेतु लॉक डाउन के समय में घर बैठे बच्चों को एक मंच प्रदान करने हेतु “दा ग्रीन हीरो ” नामक राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है |
आज कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के सचिव धनंजय कुमार एवं अन्य ने इस प्रतियोगिता का पोस्टर का विमोचन किया |
इस प्रतियोगिता में किसी भी कक्षा के प्रतिभागी भाग ले सकते हैं |
इस प्रतियोगिता में अलग अलग वर्गों में कोई भी स्कूल, कॉलेज के छात्र एवं पेशेवर चित्रकार भी भाग ले सकते हैं |
ग्रुप ए एवं बी के प्रतिभागियों को पृथ्वी बचाएं, पर्यावरण बचाएं और ग्रुप सी एवं डी के लिए जैव विबिधता एवं संरक्षण विषय पर चित्रकारी करनी है |
प्रतिभागी किसी भी माध्यम (रंगों) एवं कोई भी साइज़ के कागज़/कैनवास का इस्तेमाल कर उपयुक्त विषय पर चित्रकारी कर सकते है | पेंटिंग की तस्वीर खींच कर www.kalakritisoa.com वेबसाइट पर अपने विवरण के साथ अपलोड कर सकते हैं |
इस प्रतियोगिता में सम्मलित होने की अंतिम तिथि 31 मई 2020 है |
इस प्रतियोगिता में लगभग 200 प्रतिभागीओं को पुरस्कृत किया जायेगा |
प्रत्येक ग्रुप में विजेताओं को स्वर्ण, रजत, एवं कांस्य पदक प्रदान कर पुरस्कृत किया जायेगा साथ ही साथ अन्य उपहार भी भी जीतने का अवसर मिलेगा |
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रभागिता प्रमाणपत्र डिजिटल स्वरुप में प्रदान की जाएगी |
प्रतियोगिता के विस्तृत जानकारी एवं नियम वेबसाइट पर उपलब्ध है |
इस प्रतियोगिता में विजयी चित्रों की ऑनलाइन प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी |
आज कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के डोरंडा केंद्र में प्रतियोगिता के पोस्टर विमोचन के अवसर पर कलाकृति स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एवं कलाकृति आर्ट फाउंडेशन के फाउंडर एवं युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने कहा की उनकी संस्था ने लोगों को कोरोना महामारी के समय प्रकृति संरक्षण हेतु जागरूकता लेन और बच्चों में सृजनात्मकता के साथ ही घर पर रहकर अध्ययन और लॉकडाउन के स्ट्रेस दूर करने के उद्देश्य से छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है । |
इस अवसर पर संस्था की सचिव रजनी कुमारी, शिक्षिका हर्ष, हर्षिता उपस्थित थें |
पैरों मे रक्त संचार बढ़ाता है हनुमानासन :: श्वेता ( योग प्रशिक्षक )
रांची, झारखण्ड | मई | 23, 2020 ::
हनुमानासन की विधि
बाएं घुटने के बल बैठ जाये और दाये पंजे को बाये घुटने के सामने लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें l
हथेलियों को जमीन पर दाएं पंजे के दोनों ओर रखेंl
धीरे-धीरे दाएं पंजे को आगे बढ़ाएं साथ ही शरीर के भार को हाथों के सहारे संभालेl
दाएं पंजे को अधिक से अधिक आगे की ओर तथा बाएं पंजे को अधिक से अधिक पीछे की ओर ले जाते हुए बिना जोर लगाये पैरों को सीधा करने का प्रयास करेंl
अंतिम स्थिति में नितंबों को नीचे लाएं जिससे कि श्रोणीय क्षेत्र और दोनों पैर एक सीध में जमीन पर आ जाते।
आंखें बंद कर ले, शरीर को शिथिल करें और हथेलियों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में वक्ष के सामने लाये।
और जांच कर ले कि पीछे वाला घुटना सीधा रहे। इस स्थिति में जितनी देर आराम से रह सके, रहे।
प्रारंभिक स्थिति में लौट आये।
दूसरे पैर को आगे कर आसन को दुहराये।
पूरे अभ्यास के दौरान सामान्य श्वसन करें।
लाभ
यह आसन पैरों और नितंबों को लचीला बनाता और उन में रक्त संचार बढ़ाता है यह उदर के अंगों की मालिश करता है, प्रजनन प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है
और मातृशरीर को शिशु जन्म के लिए तैयार करता है!
सावधानियां
slip disc साइटिका हर्निया होने और नितंब के जोड़ों के अपने स्थान से हट जाने पर यह आसन एकदम वर्जित है
श्वेता कुमारी
योग प्रशिक्षक
छात्रा, योग विभाग, रांची विश्व विद्यालय
हनुमानासन की विधि
बाएं घुटने के बल बैठ जाये और दाये पंजे को बाये घुटने के सामने लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें l
हथेलियों को जमीन पर दाएं पंजे के दोनों ओर रखेंl
धीरे-धीरे दाएं पंजे को आगे बढ़ाएं साथ ही शरीर के भार को हाथों के सहारे संभालेl
दाएं पंजे को अधिक से अधिक आगे की ओर तथा बाएं पंजे को अधिक से अधिक पीछे की ओर ले जाते हुए बिना जोर लगाये पैरों को सीधा करने का प्रयास करेंl
अंतिम स्थिति में नितंबों को नीचे लाएं जिससे कि श्रोणीय क्षेत्र और दोनों पैर एक सीध में जमीन पर आ जाते।
आंखें बंद कर ले, शरीर को शिथिल करें और हथेलियों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में वक्ष के सामने लाये।
और जांच कर ले कि पीछे वाला घुटना सीधा रहे। इस स्थिति में जितनी देर आराम से रह सके, रहे।
प्रारंभिक स्थिति में लौट आये।
दूसरे पैर को आगे कर आसन को दुहराये।
पूरे अभ्यास के दौरान सामान्य श्वसन करें।
लाभ
यह आसन पैरों और नितंबों को लचीला बनाता और उन में रक्त संचार बढ़ाता है यह उदर के अंगों की मालिश करता है, प्रजनन प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है
और मातृशरीर को शिशु जन्म के लिए तैयार करता है!
सावधानियां
slip disc साइटिका हर्निया होने और नितंब के जोड़ों के अपने स्थान से हट जाने पर यह आसन एकदम वर्जित है
श्वेता कुमारी
योग प्रशिक्षक
छात्रा, योग विभाग, रांची विश्व विद्यालय
Friday, 22 May 2020
IIM Ranchi Signed MoU with EDI Ahmedabad to Promote Entrepreneurship in Jharkhand
Ranchi, Jharkhand | May | 22, 2020 :: Indian Institute of Management Ranchi and Entrepreneurship Development Institute of India (EDII),
Ahmedabad have joined hands to orient more youths towards an entrepreneurial career.
To ensure this the Institutes will extend training and counselling in entrepreneurship and management to the students, alongside orientation to the faculty members so that the results and outcomes become sustainable.
In all, efforts will be directed towards creating a conducive entrepreneurial eco-system through setting up of incubation centre at Ranchi and offering several programmes for students and faculty of the two Institutes.
In order to achieve the objective of promoting entrepreneurial thinking among students and thus innovative start-ups, under a partnership agreement, EDII will provide technical support in setting up IIM-Ranchi incubation centre at its Ranchi, Jharkhand campus.
Both the institutes will also jointly develop certificate courses on entrepreneurship development and skill enhancement.
In addition, under student exchange and faculty development programmes, efforts will be made to build and strengthen an entrepreneurial ecosystem in Jharkhand and other neighbouring states.
The collaboration will foster knowledge sharing, teaching, research and institutional support for both the Institutes.
Explaining about the partnership benefits, Dr. Sunil Shukla, Director General, EDII said,
“The present and the coming times will nurture only businesses that are forward-looking and knowledge based and possess the ability to withstand crises and major catastrophes.
The COVID-19 crisis has shown us how businesses need to pre-empt and be prepared for crises beyond just the market upheavals and financial emergencies.
Businesses need to understand and be prepared for events that are not entirely in their control.
This collaboration will spur creative entrepreneurship and better prepare our youths in entrepreneurship and management so that they are able to effectively sail through any disruptions.”
According to Prof. Shailendra Singh, Director, IIM Ranchi, “At IIM Ranchi, we are committed to grooming leaders with value-based education.
This partnership will help us get necessary technical support to create world class infrastructure and a stimulating environment for innovation and entrepreneurship not only for the students, but also for the community at large.
The incubation centre will aim to create a pipeline and stage varying idea baskets by collaborating with key stakeholders.
The centre will provide necessary impetus and intellectual basis for the initiative through its experience and expertise in the areas of management, innovation, strategy and entrepreneurship.”
Dr. Milin Kamble, Governing Body Member, EDII and Founder Chairman, Dalit Indian Chamber of Commerce & Industry (DICCI) said, "I am happy that the two known institutions have come together to propagate entrepreneurship among students, who are the torch bearers of a happy tomorrow.
EDII, with its domain expertise, network and expanse, will be able to ensure an appreciable spur in the process of New Enterprise Creation. Even DICCI is very active in Jharkhand with regard to offering a helping hand towards sustainable livelihood options for the tribal community.
I am sure, while this will get a further boost, our youths will particularly get oriented towards higher-order achievements."
“Considering the contribution of entrepreneurship in the growth of the economy, it is important to institutionalise efforts towards broadcasting this discipline.
I am glad that the two institutions have joined hands to take up this cause. I look forward to seeing tangible outcomes.
Also, a lot can be envisioned for tribal youths who have the potential but need a direction. So all in all, entrepreneurship needs to be encouraged across sections and sectors, which I guess will ensue from here with coordinated efforts by both the institutions.
I look forward to policy advocacy in this direction too," said Praveen Shankar Pandya, Chairman, IIM-Ranchi.
Ahmedabad have joined hands to orient more youths towards an entrepreneurial career.
To ensure this the Institutes will extend training and counselling in entrepreneurship and management to the students, alongside orientation to the faculty members so that the results and outcomes become sustainable.
In all, efforts will be directed towards creating a conducive entrepreneurial eco-system through setting up of incubation centre at Ranchi and offering several programmes for students and faculty of the two Institutes.
In order to achieve the objective of promoting entrepreneurial thinking among students and thus innovative start-ups, under a partnership agreement, EDII will provide technical support in setting up IIM-Ranchi incubation centre at its Ranchi, Jharkhand campus.
Both the institutes will also jointly develop certificate courses on entrepreneurship development and skill enhancement.
In addition, under student exchange and faculty development programmes, efforts will be made to build and strengthen an entrepreneurial ecosystem in Jharkhand and other neighbouring states.
The collaboration will foster knowledge sharing, teaching, research and institutional support for both the Institutes.
Explaining about the partnership benefits, Dr. Sunil Shukla, Director General, EDII said,
“The present and the coming times will nurture only businesses that are forward-looking and knowledge based and possess the ability to withstand crises and major catastrophes.
The COVID-19 crisis has shown us how businesses need to pre-empt and be prepared for crises beyond just the market upheavals and financial emergencies.
Businesses need to understand and be prepared for events that are not entirely in their control.
This collaboration will spur creative entrepreneurship and better prepare our youths in entrepreneurship and management so that they are able to effectively sail through any disruptions.”
According to Prof. Shailendra Singh, Director, IIM Ranchi, “At IIM Ranchi, we are committed to grooming leaders with value-based education.
This partnership will help us get necessary technical support to create world class infrastructure and a stimulating environment for innovation and entrepreneurship not only for the students, but also for the community at large.
The incubation centre will aim to create a pipeline and stage varying idea baskets by collaborating with key stakeholders.
The centre will provide necessary impetus and intellectual basis for the initiative through its experience and expertise in the areas of management, innovation, strategy and entrepreneurship.”
Dr. Milin Kamble, Governing Body Member, EDII and Founder Chairman, Dalit Indian Chamber of Commerce & Industry (DICCI) said, "I am happy that the two known institutions have come together to propagate entrepreneurship among students, who are the torch bearers of a happy tomorrow.
EDII, with its domain expertise, network and expanse, will be able to ensure an appreciable spur in the process of New Enterprise Creation. Even DICCI is very active in Jharkhand with regard to offering a helping hand towards sustainable livelihood options for the tribal community.
I am sure, while this will get a further boost, our youths will particularly get oriented towards higher-order achievements."
“Considering the contribution of entrepreneurship in the growth of the economy, it is important to institutionalise efforts towards broadcasting this discipline.
I am glad that the two institutions have joined hands to take up this cause. I look forward to seeing tangible outcomes.
Also, a lot can be envisioned for tribal youths who have the potential but need a direction. So all in all, entrepreneurship needs to be encouraged across sections and sectors, which I guess will ensue from here with coordinated efforts by both the institutions.
I look forward to policy advocacy in this direction too," said Praveen Shankar Pandya, Chairman, IIM-Ranchi.
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