राची, झारखण्ड | अगस्त | 11, 2023 ::
विवाह केवल शरीर सुख के लिए नहीं है , विवाह जगत के कल्याण के लिए होता है , विवाह से आपके नीचे हजारों पिडियां चलती है, इसके साथ ही समाज का निर्माण होता है,
शिव विवाह जगत के कल्याण के लिए पार्वती से हुआ, ताकि समाज में ब्याप्त तारकासुर जैसे राक्षसी शक्तियां का वध हो ,
शिव स्वयं के विवाह में नान्दीमुख श्राद्ध और ग्रहों की शान्ति कर विवाह किया जबकि मंगल इनका पुत्र हैं ,
आज विश्व में विवाह का आधार छिन्न-भिन्न हो रहा है ,
आज लिभ रिलेशनशिप ने अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश में मुश्किल हो गया है , ये देश भारतीय विवाह परम्परा को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, क्योंकि इस रिलेशनशिप में बच्चों का लालन पालन, मेंटर और मानसिक स्थिति पर प्रभावी होता है, शिव राम भी बहुत विवाह के पोषक नहीं है , बहु-विवाह अंतर्जातीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विवाह से लोक संस्कृति को भी खतरा है , इसलिए अर्जुन ने वर्ण संकरता को नाश का कारक गीता में माना है , जिन सभ्यताओं में वर्ण संकरता और बहु विवाह का प्रचलन आया वे सभ्यता ही मिट गयी क्योंकि वहां की संस्कृति और विवाह संस्था टुट रही है , लिभ रिलेशनशिप राष्ट्र के लिए अभिशाप है, पं रामदेव पाण्डेय ने राम-जानकी मन्दिर बरियातू में शिव पुराण की कथा में कहा है ,
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