महिला समानता दिवस पर विशेष :: गुड़िया झा
महिलाओं को कानूनी तौर पर पुरूषों के समान ही अधिकार मिले हैं, लेकिन समाज में उनकी स्थिति को लेकर असमानता है। लोगों के मन में पुरूषों की तुलना में महिलाओं के लिए दोहरी मानसिकता होती है। समाज मे आज भी महिलाओं को पुरूषों के बराबर अधिकार नहीं मिलते हैं। हालांकि दुनियाभर में महिलाओं को समान अधिकार और स्थान दिलाए जाने के लिए प्रयास किये जा रहे है। महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने और समाज मे उनकी स्थिति मजबूत बनाने के उद्देश्य से हर साल महिला समानता दिवस मनाया जाता है इस दिन को मनाने की शुरूआत तब हुई जब अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का अधिकार तक नहीं था। इसके अलावा विवाहित महिलाओं ने संपत्ति के अधिकार की मांग भी शुरू कर दी थी। अधिकारों की मांग को लेकर चले आंदोलन का अंत 26 अगस्त 1920 के दिन वोटिंग का अधिकार मिलने के साथ हुआ।
इस साल महिला समानता दिवस का उद्देश्य समानता को अपनाओ है। देश के विकास में महिलाओं का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए भारत में शहरों के विकास के साथ ग्रामीण इलाकों में भी महिलाओं के प्रति समानता
के अधिकार को जागरूक करने की आवश्यकता है
1, शिक्षा का अधिकार।
महिलाओं को सबसे पहले शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में अभी भी बेटियों की शिक्षा के प्रति जागरूकता का अभाव है । आमतौर पर लोगों की धारणा होती है कि बेटियां तो पराया धन होती हैं। इसलिए इनके पीछे धन खर्च करना व्यर्थ है। जबकि प्रतिभा में बेटियां किसी से भी कम नहीं होती हैं।
एक शिक्षित महिला पूरे परिवार को शिक्षित करती है। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करना ठीक नहीं। जब महिलाएं शिक्षित होंगी, तभी अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक होंगी।
2, समानता और सुरक्षा का अधिकार।
यह वो अधिकार है जिससे लगभग अधिकांश महिलाएं वंचित रह जाती हैं। यूं तो अपने कार्यस्थल पर महिलाओं को भी काफी मेहनत करनी पड़ती है। बावजूद इसके उन्हें पुरूषों के बराबर अधिकार नहीं मिल पाते हैं।
इतना ही नहीं, कई जगहों पर तो वो खुद को सुरक्षित भी महसूस नहीं करती हैं। अपने कार्यस्थल पर भी उन्हें प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है।
अधिकांश जगहों पर शाम को अंधेरा होने के बाद घर से निकलने में आज भी महिलाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
आये दिन हमारी सरकारें सुरक्षा का दावा तो बहुत करती हैं लेकिन दुर्भाग्यवश जब कोई घटना होती है, तो शायद ही कभी पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है।
कानून व्यवस्था को सुनिश्चित कर इस पर लगाम लगाया जा सकता है। जिससे प्रत्येक महिला अपना जीवन यापन कर सके।
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