राची, झारखण्ड | अगस्त | 02, 2023 :: वैदिक इतिहास के पाठ्यक्रम में दुर्गा सप्तशती और गीता को नवीन शिक्षा नीति में शामिल करना चाहिए , क्योंकि इसमें आशीर्वाद की दुर्मति, देवताओं का संत्रास, राक्षसों का विस्तारवाद, स्त्री विमर्श के साथ दुर्गा के युद्ध कला कौशल,दानव का पाश्विक प्रेम प्रणय और देवी का क्षमा भी है , कैसे भयभीत देव समाज अबला युवती को अतिबला बनाकर योद्धा का सृजन करती है, यही अबला सबला बनकर राक्षसों से जीतकर देव और मानव को सुख शांति देती है ,यह कथा बेटियों के लिए प्रेरणादाई होगा, तीन सृष्टि तक महिषासुर देवी से हार गया पहली सृष्टि मे उग्रचण्डा, दुसरी में भद्रकाली और तीसरी मे दुर्गा का युद्ध महिषासुर से हुआ था ,तीनों हार के बाद महिषासुर ने दुर्गा के चरण में जगह मांग कर शरणागत रहने का वरदान प्राप्त कर लिया, गीता में जीवन दर्शन है , भक्ति, कर्म, ब्रह्मांड विज्ञान और जीवनशैली है , हताश निराश अर्जुन को विजेता बनाने की कला है, सतातन संघ हर गांव में दो घंटे का परिचर्चा रखें, सप्तशती और गीता को अनिवार्य रूप से पाठ्यक्रम में सरकार शामिल करें, आज विदेश के पच्चीस विश्वविद्यालय मे वैदिक शिक्षण , वेद पुराण की पढ़ाई हो रही है , उन पाठ्यक्रम को भारतीय विश्वविद्यालय में चलाना चाहिए, सनातनी हर रविवार गीता और दुर्गा सप्तशती को अपने बच्चों को जरूर पढाऐं, श्रीमद्देवीभागवत कथा के आठवें दिन पं रामदेव पाण्डेय ने कही, यह कथा आगामी बारह अगस्त तक चलेगी, हर साल की भांति सताइस अगस्त को भण्डारा होगा,
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