यज्ञ मित्र भी हैं और शत्रु भी - पं रामदेव
सती ने योगाग्नि में स्वयं को जला लिया शिवगण एक सौ करोड़ शिवगण ने दक्ष यज्ञ को विध्वंस किया, वीरभद्र ने सती पिता दक्ष का माथा काट कर जला दिया, शिव समाधी में थे , शिव सुचना पाकर सती के पास गये और दक्ष को बकरे का माथा लगा दिया ,शिव सर्जन है ससुर का, कभी शिव गणेश जी को हाथी का माथा प्रत्यारोपण कर दिया, जो आज भी सम्भव नहीं है , इसलिए सर्जन के आइकन शिव है , यह नृत्य मे नटराज है, सती के प्राण त्याग से विश्व को एक सौ आठ सिद्ध पीठ मिला है, अखण्ड भारत में कंधार से माम्यार तक और कन्याकुमारी से चीन तक है , चीन में नील सरस्वती तारा देवी है, यह बौद्ध के पुजनीय देवी है , यक्ष का यज्ञ तामस था शिव को नीचा दिखाने के लिए किया था, जो मन्दिरों, तीर्थ स्थलों की यात्रा तामस भाव से करतें हैं उन्हें भी परिणाम भुगतना पड़ता है क्योंकि यज्ञ के समान कोई न न मित्र हैं न शत्रु है, दशरथ,राम, द्रुपद के लिए यज्ञ मित्र हैं तो दक्ष, रावण के लिए शत्रु है ,सती ही पार्वती हुई,सनातन में न मनुष्य मरता न देवता और मानवीय विचार से मरता है तो एक सौ आठ तीर्थ स्थल बनाकर जाता है , शिव ने क्षमा दान भी दिया, ऐसी अद्भुत घटना दुनिया के किसी पंथ में नहीं देखेंगे, दुनियां के कथित धर्म में रक्तरंजित इतिहास दुखांत ही रहा है जिनमें बाल ,महिला और लाचार मजबूर की हिंसा हुई है ,कल्चरल पैथोलॉजिकल थ्योरी मे अमेरिका ,युरोप में दास और गुलाम प्रथा, श्वेत अश्वेत बुराईयां आई, गुलाम का बच्चे गुलाम होंगे, तो स्ट्रेटजिक थ्योरी अरब देशों मे मुगलों , मंगोल से जापान चीन की सेना मे आया युद्ध के बाद स्त्रियां के साथ हिंसात्मक रूख अपनाया , युद्ध में हारे देश की महिला शोषण का शिकार हुई,और धर्मान्तरण करने को मजबुर हुई ,यह है विदेशी धर्मों का सिद्धांत, पर सनातन ग्रंथों में देवता और राक्षसों की अनेकों युद्ध है , लेकिन स्त्री और बाल हिंसा राक्षसों ने भी नहीं किया, बली ने लक्ष्मी को बहन बनाया था तो कृष्ण ने बानासुर को समधी बना लिया था , इस तरह सनातन में शिव ने युद्ध के बाद भी प्रतिद्वंद्वी को मान सम्मान दिया चाहे वह दक्ष हो या रावण , पं रामदेव पाण्डेय ने राम जानकी मंदिर हाउसिंग कालानी बरियातू में ताइसंवे दिन की कथा में शिव चरित्र में कहा कथा शनिवार तक चलेगी,
No comments:
Post a Comment