Thursday, 31 August 2023

संस्कृति :: जो सिखाती है रिश्तों की अहमियत : गुड़िया झा


संस्कृति :: जो सिखाती है रिश्तों की 
अहमियत : गुड़िया झा
हमारा देश भारत अपनी संस्कृति की विविधता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। तभी तो इनके माध्यम से ही रिश्ते आज भी एक-दूसरे से बंधे हुए हैं। आज तकनीक ने चाहे जितनी भी तरक्की कर ली हो, लेकिन आज भी लोग अपनी संस्कृति का पालन पूरी ईमानदारी से करते हैं। तभी तो दूर रहते हुए भी रिश्तों को जोड़ने का कार्य संस्कृति ही करती है। रक्षाबंधन  भी उन्हीं में से एक है।
आज भागदौड़ और व्यस्त जीवनशैली के बीच एक-दूसरे के लिए समय निकालना बहुत ही कठिन है। फिर भी समय-समय पर ये संस्कृति ही है जो हमें एहसास कराती है कि इनके सबके ऊपर भी बहुत कुछ है और वो हैं हमारे रिश्ते। यह हमें सिखाती है कि दूरियां रास्तों की भले ही सही लेकिन दिलों में दूरियां नहीं होनी चाहिए। हमारी तरफ से की गई एक छोटी सी पहल इसे और भी ज्यादा मजबूती प्रदान कर सकती है।
1, सम्पर्क बनाये रखें।
हालांकि आज समय का अभाव सभी के पास है। फिर भी जब कभी भी समय मिले भले ही दो मिनट ही सही फोन के माध्यम से संपर्क बनाये रखें।
 रिश्तों को संजोकर रखना, उन्हें प्यार, समर्पण और स्नेह की भावना से बांधना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। रिश्ते होते ही इतने अनमोल हैं कि इन रिश्तों की कोई कीमत नहीं होती । बढ़ती हुई आधुनिकता और भौतिक सुख-सुविधाओं ने लोगों को हमेशा आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित किया है। हर रिश्ते अपने आप में बहुत कुछ संजोए रहते हैं। रिश्तों के प्रति भी हमारा कुछ कर्तव्य है। हम अपनो के प्रति कर्तव्य और स्नेह को साथ लेकर चलें।
2, रिश्तों में शिकायतों को जगह ना दें।
अक्सर देखा जाता है कि छोटी-छोटी बातों को लेकर हम रिश्तों में बड़ी दूरी बना लेते हैं। जबकि किसी की परिस्थितियों के बारे में गहराई से समझने की कोशिश भी नहीं करते हैं। 
इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम अपनी पुरानी शिकायतों को छोड़कर नये तरीके से बातचीत का सिलसिला शुरू करें, तो मतभेद भी अपने आप ही दूर हो जायेंगे।संवाद कायम रखने से एक-दूसरे की परेशानियों को समझने और उसके समाधान के रास्ते भी मिलते हैं। जहां इगो होगा वहां रिश्ते नहीं जुड़ेंगे। कहा जाता है कि रिश्ते और पौधे एक जैसे होते हैं। इन्हें जितना ज्यादा सींचा जाए इनकी जड़ें उतनी हीं ज्यादा मजबूत होती है। 
 जहां हम देश को जोड़ने की बातें करते हैं, वहां परिवार सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। जब परिवार जुड़ेंगे तभी समाज और देश के जुड़ने की संभावना बनी रहेगी।

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