हम इंसान अपने व्यवहार से उतना परेशान नहीं होते जितना कि दूसरों के व्यवहार पर जज बनते समय। क्या प्रतिक्रिया देकर हम दूसरों को आहत नहीं कर रहे होते हैं। दूसरों में बदलाव से पहले हमें थोड़ा खुद के ऊपर भी ध्यान देने की जरूरत है। जब हम स्वयं में बदलाव लायेंगे तो स्वाभाविक बात है कि सामने वाले पर भी इसका अनुकूल प्रभाव होगा।
1, गलत व्यवहार को छोड़ने की राह में पहला कदम।
अपने खराब व्यवहार के कारण प्राप्त परिणामों से नुकसान के बारे में सोचते हुए अंकुश लगा सकते हैं। अपनी कुछ गलत आदतें आगे सावधान रहने के लिए सीख दे जाती हैं। उससे सबक लेकर हम सावधान तो हो ही सकते हैं। कई बार हम यह सोच कर भी दूसरों के साथ गलत करते हैं कि बदले की भावना से हम कहीं न कहीं उन्हें तकलीफ देना चाहते हैं।
लेकिन हम भूल जाते हैं कि इससे हमारा ही नुकसान हो रहा होता है। बदले की भावना हमें सुकून से जीने नहीं देती है। अपनी गलत आदतों को छोड़ना मुश्किल जरूर होता है लेकिन नामुमकिन नहीं। छोड़ने से हमारे भीतर नयी ऊर्जा का संचार होता है। जिससे हम दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनते हैं।
2, अपनी क्षमताओं को पहचानें।
अक्सर हम यह सोच कर हार मान जाते हैं कि हमारे भीतर दूसरों के जैसी क्षमताएं नहीं हैं। किसी भी काम की शुरूआत करना बहुत ही बहादुरी का काम होता है। कुछ नया करने के लिए साहस की जरूरत होती है। चुनौती को आसान बनाने के लिए सीखने के सरल तरीके अपना सकते हैं। हम जो करना चाह रहे हैं उसमें यह कोई जरूरी नहीं कि हम सफल ही हों। हमारी जोखिम लेने की इच्छा हमारी क्षमताओं को बढ़ाता ही नहीं , बल्कि इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है।
3, प्राथमिकताओं और मूल्यों का महत्व।
तनाव से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपनी प्राथमिकताओं पर विशेष ध्यान देकर दिन की शुरूआत करें। इसे अपनी दिनचर्या में भी शामिल करें। इससे अपराधबोध नहीं होगा। लोग क्या कहेंगे, इसकी चिंता ना करें। क्योंकि अगर हम कुछ भी करेंगे, तब भी लोग कहेंगे । हमारा मूल्य हमसे ज्यादा कोई और नहीं समझ सकता है। अक्सर लोग थोड़ी सी विपरीत परिस्थितियों में अपनी कीमत कम आंकने लगते हैं। व्यक्ति की कीमत तभी कम होती है जब वह स्वयं को कम आंकना शुरू करता है। जब हमें ऊपर उठने का मौका मिलेगा, तब दुनिया के हाथ भी साथ देने के लिए आगे आएंगे। स्वयं का सम्मान करना भी हमें सीखना होगा।
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