संघर्ष बिगाड़ता ही नहीं, निखारता भी है : गुड़िया झा
कमजोर वक्त होता है, व्यक्ति नहीं, माना कि आज तकलीफें बड़ी हैं, पर कल कामयाबी भी बड़ी होगी।
कई बार संघर्ष करते हुए हम सोचते हैं कि हमें क्यों इसका सामना करना पड़ा। उन परिस्थितियों में हम काफी परेशानी भी रहते हैं। इसलिए कभी हमें यह समझ में नहीं आता है कि कहीं न कहीं हम इस अवधि में निखर भी रहे होते हैं। कभी हमने यह सोचा है कि बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो हमसे ज्यादा संघर्ष कर रहे हैं। क्या वो मैदान छोड़कर भागे। परिस्थिति चाहे जैसी भी हो हमें उनका मुकाबला करना ही होगा। तभी उनपर विजय पाई जा सकती है।
अगर सबकुछ आसान हो जाये तो फिर जीवन का आनंद भी फीका ही लगता है। क्योंकि उस अवधि में हम सीखते नहीं हैं। हमेशा संघर्ष के पीछे परेशान होना अपनी वर्तमान खुशियों को भी खोना है। अपने बेहतर गुणों को बनाये रखना भी एक बहुत बड़ी कला है। क्योंकि अधिकांश परेशानी में कई बार हम विचलित हो जाते हैं और अपने अच्छे गुणों को पीछे छोड़ते जाते हैं।
1, परफेक्शन की अति से बचें।
हमेशा कुछ भी बहुत ही अच्छा नहीं होता है। ना ही हर इंसान में सभी गुण और ना ही हर चीज की सभी क्वालिटी। फिर उसके पीछे परेशान होने से क्या फायदा। इससे बचने के लिए हमें खुद ही निर्णय लेने होंगे जो हमारी प्राथमिकताओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। हमारे पास जो जानकारी मौजूद है उसके आधार पर हमारा सबसे अच्छा कदम आगे क्या हो सकता है। अपने कार्यों की गति पर ध्यान देकर हम अपनी मंजिल को पहचान भी सकते हैं।
2, अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें।
जब हम अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर ध्यान करते हैं, तो रास्ते में आने वाली बाधाएं भी छोटी नजर आती हैं। हमारे लक्ष्य वास्तविक क्षमता से मेल भी खाता हो, तभी रास्ते भी आसान होंगे। बाधाएं भी हमारे धैर्य की परीक्षा लेती हैं। कुछ चीजें जीवन में आसानी से नहीं मिलती हैं। इसे आसान बनाना पड़ता है। कुछ नजरअंदाज करके, कुछ बर्दाश्त करके तो कुछ खुद में बदलाव लाकर।
3,बहुत ज्यादा सोचना भी थकाता है।
अनावश्यक किसी विषय पर बहुत ज्यादा सोचना काफी थकाता भी है। इससे हम सार्थक रूप से भी किसी विषय पर निर्णय नहीं ले पाते हैं। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही माहौल हमारे आसपास बनता है और फिर उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है।
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