मार्च 9, 2016: देश में दूषित पानी के सेवन से हुई मृत्यु की संख्या में
पिछले तीन साल में कमी दर्ज की गई है। दूषित पानी के सेवन से होनेवाले हैजा, तीव्र
अतिसारीय रोग, आंतज्वर (टाइफाइड), वायरल हेपेटाइटिस आदि जैसे रोग के कारण वर्ष
2013 में देश के कुल 2595 लोगों की मृत्यु हुई, जो घटकर 2014 में 2164 और 2015 में
सितम्बर तक 1465 हुई। झारखण्ड में दूषित पानी के सेवन के कारण 2013 में 66 लोगों की
मृत्यु हुई, जो संख्या घटकर 2014 में 55 और 2015 में 4 हुई। केन्द्रीय आरोग्य और परिवार
कल्याणराज्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डाने मार्च 8, 2016 को
राज्य सभा में सांसद परिमल नथवाणी के प्रश्न के उत्तर में यह बताया।
परिमल नथवाणी [ राज्य सभा, सांसद ] |
मंत्रीजी ने बताया कि 2013—14 में हैजा की वजह से 5 लोगों की मृत्यु हुई, जो
घटकर 2015 में 3 हुई। झारखण्ड राज्य में हैजा की वजह से पिछले तीन साल में एक भी व्यक्ति
की मृत्यु दर्ज नहीं हुई है। तीव्र अतिसारीय रोग के कारण 2013 में देश के विभिन्न राज्यों
में 1629 लोगों की जाने गई, जबकि 2014 में यह संख्या 1323 और 2015 में 889 हुई। झारखण्ड
में तीव्र अतिसारीय रोग के कारण 2013 में 4 लोगों की मृत्यु हुई, जो 2014 में 28 पहुंची
परंतु 2015 में शून्य हुई, ऐसा मंत्रीजी ने बताया।
उन्होने बताया कि 2013 में टाइफाइड की वजह से देश में 387 लोगों की मृत्यु हुई
है, जो संख्या 2014 में 429 तक पहुंची और 2015 में गिरकर 296 हुई। झारखण्ड राज्य में
टाइफाइड के वजह से 2013 और 2014 में कुल 7 लोगों की मृत्यु हुई, जो 2015 में 3 तक पहुंची।
मंत्रीजी ने बताया कि वायरल हेपेटाइटिस की वजह से देश में 2013 में कुल 574
लोगों की मृत्यु हुई, जो 2014 में कम होकर 407 तक और 2015 में 275 तक पहुंची। झारखण्ड
में वायरल हेपेटाइटस के कारण 2013 में 6 और 2014 में 7 लोगों की मृत्यु हुई। जबकि
2015 में एक भी व्यक्ति की मृत्यु वायरल हेपेटाइटस के कारण दर्ज नहीं हुई।
श्री नथवाणी दूषित पानी के सेवन के कारण देश में आरोग्य समस्याओं और मृत्यु की
संख्या एवं इनको रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बारे में जानना चाहते थे।
सदन में प्रस्तुत बयान के मुताबिक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (एन.सी.डी.सी),
दिल्ली एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत इस तरह के रोगों के फैलने की
जांच करने में जल जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण पर राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की
सरकारों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है। एन.सी.डी.सी. राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित
जनशक्ति के विकास के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण पाठ्य क्रमों के संचालन के अलावा
प्रकोप की जांच के लिए प्रयोगशाला सहायता का समन्वय भी करता है, ऐसा मंत्रीजी ने बताया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के तहत राज्य सरकारों को प्रदान की जा रही स्वास्थ्य
प्रणाली सुदृढ़ीकरण सहायता जल जनित रोगों का उपचार और प्रबंधन करने के लिए जिला स्तर
पर स्वास्थ्य संस्थानों की क्षमता बढ़ाती है, ऐसा मंत्रीजी ने बताया।
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