राची, झारखण्ड | जुलाई | 30, 2023 ::
नारी श्रद्धा और संहार की प्रतिमूर्ति - पं रामदेव
• सनातन में नारी देवी है और दुसरे पंथो में खेत कहीं गयी है,
• बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और धर्म, संस्कृति विद्या बुद्धि से निपुण बनाओं
श्रीमद्देवीभागवत कथा पांचवें दिन पं रामदेव पाण्डेय जी कहा नारी का शोषण,दमन , उत्पीड़न सृष्टि के विकास के साथ ही होता आया है , जो शोषित,दमित और उत्पीड़ित होता है वह अपना रक्षण स्वयं करें, यह दुर्गा, चामुण्डा, भद्रकाली आदि देवियों से सीखिए, नारी को पाने की इच्छा देवता, दानव और मनुष्य तीनों करते हैं, इसकी आवश्यकता भी है , यही नारी शक्ति है जिसकी उपासना शिव, विष्णु और ब्रह्मा भी करते हैं, वह त्रिगुणात्मक आदि शक्ति मणिद्वीप वासिनी है, जब सृष्टि सृजन के मुल नारी है तो मां कहीं जाती है लक्ष्मी, सरस्वती जैसी, और जब यह प्रतिकार करती है या तमस से आच्छादित होती है तो काली, चामुण्डा की तरह , सतातन ग्रंथों में नारी की बड़ी महिमा है श्रद्धा, देवी है, जबकि भारत के पश्चिम देशों के ग्रंथो में नारी को खेत और फील्ड बताया है , हिन्दूत्व में नारी क्षमा की प्रतिमूर्ति हैं तो दुसरे पंथो में नारी को पत्थर मारने और कोड़े बरसाने का आदेश सृष्टि कर्ता से है,
हिन्दूत्व में दस दिशाओं के देवी को दस महाविद्या और नौ ग्रहों की देवी को नव देवी और नवरात्रि से विभूषित किया है, श्रीमद्देवीभागवत, मार्कण्डेय पुराण और दुर्गा सप्तशती कथानुसार सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्ति दुर्गा जी को दिया और नारी शक्ति को सबल बनाकर स्वयं ही अपने संरक्षण करने का रास्ता दिखाया है, हर बेटी को आप अपने कला कौशल बुद्धि, ज्ञान, शस्त्र और शास्त्र बेटियों को दे, देवता बनिए, इसलिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और धर्म, संस्कृति, विद्या, बुद्धि से निपुण बनाओं, नारी श्रद्धा और संहार की प्रतिमूर्ति हैं,
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