राची, झारखण्ड | जुलाई | 31, 2023 ::
सनातनी बेटियों को सरस्वती और दुर्गा बनाऐं - पं रामदेव
• सरस्वती विद्या बुद्धि तो दुर्गा युद्ध की देवी है ,
• बेटियों को दुर्गा सप्तशती और बेटों को गीता सप्ताह में एक दिन दो से बीस साल तक पढ़ाएं,
नारी को अबला समझकर महिषासुर ने भी नारी से मरने का वरदान ब्रह्मा जी से ले लिया और कैलाश पर नारी पार्वती को पाने चला, यही विडम्बना है आदि काल कि नारी को पग पग पर हिंसा,शोषण,दोहन और उत्पीड़िन का शिकार होना पड़ता है , गरुड़ पुराण ने कहा है नारी का शरीर दुःख का घड़ा है, महिषासुर और सहोदर भाई रक्तबीज सहित करोड़ों सेना का संहार हिमालय पर विराजमान दुर्गा जी ने अनेक रुपों में किया , दानवों को जीत पाना देवताओं के लिए मुश्किल था वहां भारत के बेटियों ने विजय प्राप्त कर, बताया कि मान सम्मान,स्मिता,धर्म और राष्ट्र के लिए रणचण्डी बन जाओ, देवी दुर्गा से लेकर लक्ष्मी बाई तक की कथा है , अत्याचार पर टुक पड़ो अबला बनकर अतिबला बनकर सबला हो जाओ, परशुराम शस्त्र और शास्त्र लेकर चलते हैं, वैसे हमारी बेटियों को सरस्वती के पुस्तक और बीना के साथ दुर्गा के खड्ग, धनुष बाण, जैसे आयुध और सर्प के जगह विष लेकर आत्मरक्षार्थ चलना होगा, यदि बेटियां स्वयं को रणचण्डी, दुर्गा,काली ,भवानी की आत्मभुता समझ लेगी तो महिला हिंसा समाप्त हो जाएगा, इसलिए भारत के बेटियों को दो साल से ही आत्मरक्षार्थ कलाओं को सीखना अतिआवश्यक है , यह सतानन का मुल संकेत है , इसलिए सनातन में तीन सौ साठ दिन में छत्तीस दिन नवरात्रि और दस दिन महाविद्या जयंती देकर नारी को देवी रुप कहा है , देवी सरनेम भी दिया जिसका अर्थ है , सृष्टि में सबसे उच्च ज्ञान विज्ञान समृद्धि ,यश विभुति और बल से परिपूर्ण मानवीय कृति है ,सरस्वती विद्या बुद्धि तो दुर्गा युद्ध की देवी है , बेटियों को दुर्गा सप्तशती और बेटों को बालगंगाधर तिलक का गीता सप्ताह में एक दिन दो से बीस साल जरुर पढाऐं , पं रामदेव पाण्डेय ने बरियातू हाउसिंग में छठे दिन के देवीभागवत कथा में कहीं है ,
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