रिश्तों पर भारी न पड़े स्मार्टफोन का नशा : गुड़िया झा
आज स्मार्टफोन हमारे दैनिक जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
हर छोटे-बड़े कार्यों के लिए हम मोबाइल पर निर्भर हो गये हैं।
यह हमारे लिए आसान भी है और जरूरी भी।
लेकिन कई बार इसे अनावश्यक रूप से इस्तेमाल करने से हमारे रिश्तों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बड़ों के साथ बच्चे भी इसमें उलझ कर रिश्तों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में असफल हो रहे हैं।
सबसे पहले हमें खुद ही अपनी इन आदतों पर अंकुश लगा कर चलना होगा। तभी बच्चों में भी इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि मोबाइल के साथ क्वालिटी टाइम बिताने की यह आदत अपने प्रियजनों के साथ बिताए जाने वाले समय को ही कम नहीं किया है, बल्कि इसने जोड़ों के बीच टकराव को भी जन्म दिया है।
1. अपनों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी को आसान बनाने के लिए होती है,
लेकिन मोबाइल को ही क्वालिटी टाइम बिताने का साधन बनाना रिश्तों में दूरियां बढ़ाता है।
कई बार हम मान लेते हैं कि बिना कार्य के भी फोन पर बिताया गया अधिकांश समय हमारे आराम करने या मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन है।
स्मार्टफोन जोड़ों के बीच भी निजी बातचीत को समाप्त कर रहा है।
यही कारण है कि आज रिश्तों में आपसी दूरियां बढ़ती जा रही हैं।
जब भी समय मिले घर के सदस्यों के साथ थोड़ी-थोड़ी देर पर बातचीत करने से रिश्तों में सामंजस्य स्थापित होता है। हम सामने वाले कि मनोदशा को समझ पाते हैं और समय रहते उसका निदान भी कर सकते हैं।
अधिक देर तक स्मार्टफोन पर लगे रहने से हम उसी को अपनी दुनिया मान लेते हैं। यही कारण है कि जब परिवार का कोई भी सदस्य कुछ बातें करने की कोशिश भी करता है, तो उन्हें हमारे गुस्से का शिकार होना पड़ता है। बच्चे भी आउटडोर गेम खेलने की जगह ऑनलाइन गेम को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।
2. फोन की उपयोगिता को समझे।
जब भी मोबाइल से संबंधित जरूरी कार्य समाप्त हो जाए, तो उसे अपने से थोड़ा अलग रख दें। अपने जीवनसाथी या किसी से भी बातें करते समय बार-बार मोबाइल को चेक न करें। इससे सामने वाले को लगता है कि हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।
भोजन करते समय या दूसरे को खिलाते समय भी मोबाइल के संपर्क से दूर रहें।
रात को सोते समय और सुबह उठने के साथ ही बिना जरूरत इसका उपयोग न करें। गाड़ी चलाते समय या सड़क पार करते समय भी सावधान रहें।
कहने को तो ये बहुत छोटी बातें हैं। लेकिन इन्हीं बातों को अमल में लाकर हम अपने रिश्ते की बगिया को और भी महका सकते हैं।
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