Wednesday 9 October 2024

नौ गुणों से सम्पूर्ण दुर्गा आप भी : गुड़िया झा

नौ गुणों से सम्पूर्ण दुर्गा आप भी : गुड़िया झा 

माता के आगमन से चारो तरफ श्रद्धा और उल्लास का माहौल है।  हर कोई अपनी तरफ से कुछ भी कमी नहीं छोड़ना चाहता मां के स्वागत में। क्योंकि जगतजननी अपने साथ बहुत सी खुशियां तो लाती ही हैं साथ ही ढ़ेरो आशीर्वाद अपने भक्तों को देकर जाती हैं। 
लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि प्रत्येक नारी मां दुर्गा का ही दूसरा रूप है। मां ने जितनी क्षमताओं से हमें बनाया है,उसका आकलन शायद हम ठीक से कर भी नहीं पाते हैं। इस नवरात्रि मां दुर्गा द्वारा दी गई अपने भीतर छिपी हुई शक्तियों पर एक नजर।
1 शक्ति
नारी होना आसान नहीं है। जरा सोचें कि एक साथ कई रिश्तों को निभाते हैं हम। सबकी कसौटियों पर खड़ा उतरते हुए हमेशा कर्मशील बने रहना, यही तो है वह अंदरूनी शक्ति जो हर समय हमें अपने कर्तव्य का बोध कराती है। अपनी शक्ति पर गर्व करें कि आप बहुत खास हैं। अपनी शक्ति को बनाये रखने के लिए प्रयासरत रहें।
2 अनुशासन
पूरे घर में अनुशासन सभी के कारण होती है। लेकिन इसका अधिकांश श्रेय नारी को ही जाता है। वो खुद भी अनुशासित रहती है और आसपास के माहौल को भी व्यवस्थित कर उनमें एक नई जान डालती है। 
चाहे वह कितनी भी थकी हुई और तनाव में क्यों न हो, अपने चेहरे पर फिर भी सुकून रख कर हर एक चीज पर बहुत ही पैनी नजर रखती है।
3 सकारात्मकता
सकारात्मकता से परिपूर्ण नारी जब किसी भी कार्य को अपने हाथ में लेती है, तो उसे पूरा करके ही दम लेती है। परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल हर परिवेश में खुद को ढ़ालना और चुनौतियों में भी संभावनाएं उत्पन्न करना नारी को सर्वश्रेष्ठ बनाता है।
4 सफलता
सफलता खुद की हो या परिवार की इसका श्रेय भी नारी को ही जाता है। सभी की जिम्मेदारी को अपने ऊपर लेकर निभाना और सबको यह बोलकर निश्चिंत कर देना कि "मैं हूं ना"। तो हम कह सकते हैं कि नारी एक सड़क की तरह कार्य करती है, जो कि परिवार के सदस्यों को अपने मंजिल तक पहुंचाती है।
5 विश्वास
जहां पर अधिकांश लोगों का विश्वास जवाब देता है, वहां से नारी का विश्वास शुरू होता है। विश्वास होता है अपने अच्छे कर्मों, काबिलियत, दूसरों में गुणों को पहचानने की। विश्वास होता है अंधकार में भी रौशनी तलाशने की, विश्वास होता है अपनी दुआओं पर, विश्वास होता है एक साथ सबको जोड़कर रखने की, विश्वास होता है अपने आशियाने पर।
6 एकाग्रता
छोटी से छोटी बातों और कार्यों पर एकाग्रता बनाकर उसे अपने जीवन में लागू कर आगे बढ़ना नारी की महत्ता को दर्शाता है। एक साथ कई कार्यों को अपने हाथ में लेने के बाद भी एकाग्रता बनाते हुए कर्मपथ पर चलना नारी की विशेषता है।
7 दृढ़संकल्प
असंभव को भी संभव बनाना नारी को आता है। कौन सा ऐसा कार्य है जो नारी नहीं कर सकती है। जब वो किसी नये जीवन को नौ माह गर्भ में रख कर खुद की जान जोखिम में डाल कर उसे इस दुनिया में ला सकती है, तो नारी कुछ भी कर सकती है।
8 भक्ति
नारी की भक्ति का जवाब नहीं। दूसरे की बलाओं को अपने ऊपर लेना, सबकी सुख, समृद्धि की कामना करना, साल में होने वाले अधिकांश त्योहारों में व्रत रख कर सबकी देखभाल करना नारी की भक्ति ही तो है जिससे परिवार की खुशियां बनी रहती हैं।
9 निरंतरता
समय और अवसर को देखते हुए लागातार हर उस बात में निरंतरता बनाये रखना, जिसमें जनकल्याण की भावना समाहित हो, नारी का यह विशेष गुण है। 
जिम्मेदारियों का निर्वाहन खुशी-खुशी करना, सामने आने वाली बाधाओं को भी आत्मविश्वास से पार करना, यही तो नारी की पहचान है। वास्तव में नारी तू महान है।

Friday 20 September 2024

चाय : एक एहसास : डॉ विक्रम सिंह

चाय : एक एहसास : डॉ विक्रम सिंह

इक चाह, 
एक चाय की, 
एक कड़क चाय की, 
जिंदगी साथ तेरे 
हमेशा रही है बाकी, 

वो बारिश, बाढ़ का हो समां, वो तूफ़ान हो, 
वो बर्ड के साथ जंगल में कहीं,
वो समां, काश वही ठहर जाता। 

इक मुकम्मल जीवन था वो अपने आप में ,
जी लेता हूँ फिर से पल वो,
इक एहसास के साथ,
कि हाथ में जब भी आती है इक प्याली चाय 
और याद तेरी। 
तन्हाई में रही है साथ मेरे ये इक प्याला चाय,
जैसी तेरी याद रही है संग मेरे हर पल तन्हाई में। 

इक चुस्की के साथ, बहुत कुछ निगल लेता हूँ  
कि निगल लेता हूँ,
कुछ गम, कुछ अनकही बातें, 
कुछ लम्हे जो रह गए सिर्फ यादों में। 
इस तरह कुछ समेत लेती है ये भीतर अपने,
मेरे उन एहसासो को, जो जीवंत ना हुए कभी संग तेरे। 

मिठास कम है जिंदगी में तुम बिन,
फीकी सी चाय ये अब एहसास दिलाती है,
कुछ दूध गायब है हुआ अब चाय से मेरी,
मिठास जिंदगी के साथ अब,
चाय में भी हुई है कम,
तेरी याद में चाय भी अब काली ही सुहाती है। 

संग तेरे इक चाय की चाहत,
साथ मेरे, तेरी याद के साथ कही बाकी है खवाबों में अभी,
कि हर एक दिन मेरा, साल बराबर गुजरा है बिन तेरे। 
जो कभी साल भी पलक झपकते गुजर जाते थे संग तेरे। 

मैंने अकेले कभी चाय पी ही नहीं। 
कि एक ही कप में, इक सिप 
तेरे नाम का साथ में पीया है हमेशा। 
तेरा संग होने का एहसास यूँ,
हर घूंट ने मुझे दिलाया है बार-बार। 

कि कभी देखा ही नहीं मैंने अच्छा और ख़राब मौसम,
बस चाहा है तुम्हे हमेशा अपने चाय से इश्क की तरह।।

डॉ विक्रम सिंह
न्यू दिल्ली

Monday 16 September 2024

विश्वकर्मा पूजा पर विशेष : थोड़ी देखभाल इनके लिए भी जरूरी : गुड़िया झा

विश्वकर्मा पूजा पर विशेष : थोड़ी देखभाल इनके लिए भी जरूरी :  गुड़िया झा

हम इंसानों को किसी भी वस्तु मशीन हो या वाहन को खरीदने का शौक बहुत होता है। खरीदने के कुछ दिनों तक हम उसकी देखभाल भी अच्छे से करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है हम उसकी देखभाल में थोड़े लापरवाह भी हो जाते हैं। विशेष रूप से इनके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाता है।
क्या हमने कभी सोचा है कि जो चीजें समय पर हमारी जरूरतें पूरा करती हैं उसकी विशेष रूप से देखभाल करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। तो क्यों न हम जैसे अपनी देखभाल करते हैं, ठीक उसी प्रकार से अपने दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाले वस्तुओं को भी उतनी ही सुरक्षा प्रदान करें।

1, क्षमता के अनुसार कार्य लें।
किसी भी चीज की अपनी एक क्षमता होती है। जब हम उसका उपयोग क्षमता से अधिक करते हैं, तो जाहिर सी बात है कि कहीं न कहीं उसके कार्य करने में बाधा उत्पन्न होती है। 
उदाहरण- जिस दिन हम स्वयं ही अपनी क्षमता से अधिक कार्य करते हैं, तो दूसरे दिन हमें काफी थकान महसूस होती है और हमारे शरीर को आराम की जरूरत होती है जिससे कि हमारे भीतर नई ऊर्जा का संचार होता है जो हमें फिर से बेहतर तरीके से अगले दिन कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
ठीक उसी प्रकार से मशीनों और वाहनों की भी यही स्थिति है। कुछ दिनों के अंतराल पर इन्हें सर्विसिंग सेंटर में ले जाकर जांच कराते रहने की जरूरत है। जिससे कि यह पता चल सके कि इनमें कोई आंतरिक खराबी तो नहीं है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि थोड़ी सी खराबी होने पर इसे कम बजट में भी ठीक किया जा सकता है और दूसरा यह कि जब हमें कभी इनकी बहुत ज्यादा जरूरत होगी, तो समय पर ये हमारे बहुत काम आयेंगे। इससे हमें मानसिक तनाव और समय दोनों की ही बचत होगी।

2, उपयोग के समय सावधानी।
जब हम किसी भी वस्तु का उपयोग करते हैं, तो उसके कुछ नियम भी होते हैं। जब हम उसके नियमों के अनुसार उसका इस्तेमाल करते हैं, तो उसके साथ हमारी भी सुरक्षा बनी रहती है।
आये दिन तेज रफ्तार के कारण भी कई दुर्घटनाएं होती हैं। सबसे आगे निकलने की जिद कई समस्याओं को सामने लाकर खड़ी करती है। हम खुद ही समय के पाबंद नहीं होते हैं लेकिन सड़क पर गाड़ी चलाते समय जल्दीबाजी में रहते हैं।
 जब तय सीमा के भीतर गाड़ी की रफ्तार होती है, तो हमारी भी जिंदगी सुरक्षित रहती है साथ ही सीट बेल्ट लगाना भी हमारी सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। आगे और पीछे दोनों  ही सीटों पर सीट बेल्ट लगाकर हम अपने साथ कई लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। 
 दो पहिया  वाहनों पर भी हेल्मेट की अनिवार्यता को नियमित रूप से लागू कर दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में गलत दिशा में गाड़ी चलाना, तेज रफ्तार, सीट बेल्ट नहीं लगाना, हेल्मेट का कम उपयोग, सड़कों पर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़, नशे की हालत में गाड़ी चलाना आदि शामिल है। इन सभी पर नियंत्रण रख कर हम अपने साथ दूसरों के अनमोल जीवन को अवश्य ही बचा सकते हैं। ध्यान रहे सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।

Saturday 7 September 2024

चंद्रदेव की आराधना का पर्व चौठचन्द्र : गुड़िया झा

चंद्रदेव की आराधना का पर्व चौठचन्द्र : गुड़िया झा

हमारा देश भारत अपनी विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां प्रकृति से जुड़ी हर एक चीज की पूजा की जाती है। उन्ही  में से एक है बिहार के मिथिलांचल में मनाया जाने वाला चंद्रदेव की आराधना का पर्व चौठचन्द्र। यह भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
एक नजर इसके विधि-विधान और पौराणिक मान्यता पर।
1 विधि-विधान।
इस दिन स्नान कर पूरे घर आंगन  की सफाई की जाती है और अगर स्थान मिट्टी वाला हो तो गाय के गोबर से लिपाई की जाती है। फिर अरवा चावल को पानी में भिंगोने के बाद उसे पीसकर पेस्ट तैयार कर उस पेस्ट से आंगन में चंद्रदेव की आकृति के साथ मां गौरी और भगवान श्री गणेश की आकृति ( अरिपन ) बनाने के बाद उसपर सिंदूर का टीका भी लगाया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रख कर पूरे दिन पकवान तैयार करती हैं। फिर सभी पकवानों और विभिन्न प्रकार के फलों को बांस से बनी छोटी-छोटी डालियों पर सजाया जाता है। एक दिन पहले ही शुद्ध गाय के दूध से मिट्टी के बर्तनों में दही जमाया जाता है। जितने भी घर के सदस्य होते हैं उतनी ही पकवानों की डालियां और दही के बर्तनों को भी तैयार किया जाता है। 
चंद्रदेव की आकृति के अल्पना ( अरिपन ) के ऊपर केले के पत्ते पर फूल, दीपक, चन्दन, अक्षत आदि अर्पित कर शाम को सूर्यास्त के बाद और चंद्रदेव के निकलने के बाद एक -एक कर सभी पकवानों की डालियों और दही के बर्तनों को हाथ में लेकर पूरे मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
2 पौराणिक मान्यता का विशेष महत्व।
एक दिन भगवान श्री गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश के भ्रमण पर निकले थे। तभी उन्हें चंद्रदेव के हंसने की आवाज सुनाई दी। भगवान गणेश ने चंद्रदेव से उनके हंसने का कारण पूछा। इस पर चंद्रदेव ने कहा कि भगवान गणेश का विचित्र रूप देखकर उन्हें हंसी आ रही है। मजाक उड़ाने की इस  प्रवृत्ति को देख कर गणेश जी को काफी गुस्सा आया। उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दिया और कहा कि जिस रूप का उन्हें इतना अभिमान है वह रूप आज से कुरूप हो जाएगा। कोई भी व्यक्ति जो चंद्रदेव को इस दिन देखेगा, उसे झूठा कलंक लगेगा। यह बात सुनते ही चंद्रदेव भगवान गणेश के सामने क्षमा मांगने लगे। उन्होंने भगवान गणेश को खुश करने के लिए भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की तथा उनके लिए व्रत रखा। तब भगवान गणेश ने चंद्रदेव को माफ कर दिया और कहा कि वे अपनी बात को वापस तो नहीं ले सकते परंतु वह उसका असर कम कर सकते हैं। 
उन्होंने कहा कि यदि चंद्रदेव के झूठे आरोप से किसी व्यक्ति को बचना है तो उसे गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा की पूजा भी करनी होगी।

Tuesday 27 August 2024

मुंबई मे प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा अणुव्रत पुरस्कार से सम्मानित



मुंबई

अणुव्रत विश्व भारती द्वारा दिये जाने वाले प्रतिष्ठित ‘‘अणुव्रत पुरस्कार’’ वर्ष 2023 के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति व समाज सेवी  रतन टाटा को मुम्बई स्थित उनके आवास पर भेंट किया गया। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष अविनाश नाहर के साथ वहां पहुंचे प्रतिनिधि मण्डल ने रतन टाटा को पुरस्कार स्वरूप स्मृति चिन्ह, प्रशिस्त पत्र सहित 1.51 लाख की राशि भेंट की। इस अवसर पर अणुविभा के महामंत्री भीखम सुराणा, मुम्बई कस्टम कमिश्नर अशोक कुमार कोठारी, अणुविभा उपाध्यक्ष  विनोद कुमार व सहमंत्री  मनोज सिंघवी उपस्थित थे।
अणुविभा अध्यक्ष  नाहर ने  रतन टाटा को अणुव्रत पुरस्कार सौंपते हुए मानव जाति को उनके सकारात्मक योगदान की प्रशंसा की एवं दुनिया में मानवीयता का एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए सम्पूर्ण अणुविभा परिवार की ओर से बधाई ज्ञापित की। उन्होंने आगे बताया कि अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने  रतन टाटा के प्रति अपनी मंगल कामनाएं प्रेषित की हैं तथा उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है।  रतन टाटा ने अणुव्रत अनुशास्ता के प्रति अपना हार्दिक आदर व सम्मान व्यक्त किया।
उल्लेखनीय है कि 75 वर्षों से गतिमान अणुव्रत आंदोलन मानवीय एकता,  नैतिकता, अहिंसा व सद्भावना के क्षेत्र में विशद कार्य कर रहा हैं। आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत यह आंदोलन संयुक्त राष्ट्र तक अपनी विशेष पहचान स्थापित कर चुका है। अणुव्रत पुरस्कार की श्रृंखला में अभी तक देश के गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया है, जिनमें -  आत्माराम,  जैनेन्द्र कुमार,  शिवाजी भावे,  शिवराज पाटिल,  नीतिश कुमार, डॉ. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. मनोहन सिंह,  टी.एन. शेषन,  प्रकाश आमटे इत्यादि शामिल है।
इस अवसर पर अणुविभा प्रतिनिधि मण्डल ने  रतन टाटा को अणुव्रत साहित्य, ‘अणुव्रत’ व ‘बच्चों का देश’ पत्रिकाओं के विशेषांक भेंट किये एवं अणुव्रत की प्रवृत्तियों चुनावशुद्धि अभियान, अणुव्रत डिजिटल डिटॉक्स, एलिवेट, पर्यावरण जागरूकता अभियान, नशामुक्ति अभियान, जीवन विज्ञान आदि के बारे में जानकारी प्रदान की।  रतन टाटा ने मनाव समाज की भलाई के लिए अणुव्रत आंदोलन द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।