Friday, 30 May 2025

आरकेडीएफल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर सपने करें साकार 

राची, झारखण्ड  | मई |  30, 2025 ::

मैट्रिक और इंटर के परिणाम घोषित हो चुके हैं, और अब विद्यार्थियों के सामने अगला बड़ा कदम है सही विश्वविद्यालय का चयन. अक्सर देखा जाता है कि झारखंड के छात्र हायर एजुकेशन लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं. लेकिन अब सवाल उठता है क्या वाकई बाहर जाना जरूरी है? या झारखंड में ही बेहतर और आधुनिक शिक्षा के विकल्प उपलब्ध हैं. इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी रांची के रजिस्ट्रार अमित कुमार पांडे ने बताया कि अब झारखंड भी शैक्षणिक रूप से तेजी से आगे बढ़ रहा है और आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी रांची छात्रों के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प बनकर उभरी है. 

पहचान की माेहताज नहीं आरकेडीएफ 
राजधानी रांची में स्थित आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. दिनो दिन यहां स्टूडेंट की संख्या में इजाफा हो रहा है. स्टडी के साथ-साथ यूनिवर्सिटी की ओर से प्लेसमेंट का भी खास ख्याल रखा जाता है. इस विवि से पढकर निकलने वाले छात्र- छात्राएं देश विदेश में सेटल्ड है और बेहतरीन पैकेज में जॉब कर रहे है. इस विवि में सभी स्ट्रीम की पढ़ाई होती है. 
थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल पर विशेष ध्यान
यहां की खासियत है कि थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल में विशेष ध्यान दिया जाता है. सबसे अच्छी बात तो यह है प्रेकटिकल के स्टूडेंट काे को माहौल भी उसी प्रकार दिया जाता है. जैसा उन्हें स्टडी के बाद फेस करना है. लॉ के प्रैक्टिकल के डिपार्टमेंट में ही एक कोर्ट रुम बनाया गया है, जहां सब कुछ प्रैक्टिकल करके स्टूडेंट को बताया और सिखाया जाता है. इसी प्रकार फार्माशिस्ट, बीेटेक, कम्यूटर साइंस आदि के लिए अलग-अलग प्रेक्टिकल रुम है.  

आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी आधुनिक शिक्षा का केंद्र
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए जानी जाती है, बल्कि यह छात्रों को समग्र विकास के अवसर भी प्रदान करती है. विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह तीन प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है 

1. रिसर्च आधारित शिक्षाः
रिसर्च में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए विश्वविद्यालय ने एक रिसर्च-ओरिएंटेड करिकुलम तैयार किया है जो आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया है. 
2. स्किल-बेस्ड प्लेसमेंट कार्यक्रमः
यदि छात्र प्लेसमेंट की तैयारी कर रहे हैं, तो उनके लिए स्किल-बेस्ड एजुकेशन सिस्टम उपलब्ध है, जिसे इंडस्ट्री पार्टनरशिप के साथ मिलकर तैयार किया गया है. 

3. कॉम्पिटिटिव एग्ज़ाम की तैयारीः
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के इच्छुक छात्रों के लिए विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर मार्गदर्शन दिया जाता है। इनमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने स्वयं विभिन्न राष्ट्रीय परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं. 

सभी स्ट्रीम्स के लिए हैं विकल्प
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी में सभी शैक्षणिक पृष्ठभूमियों वाले छात्रों के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रदान करती है. साइंस के छात्र के लिए बी.एससी., इंजीनियरिंग, फार्मेसी, डिप्लोमा इन फार्मेसी उपलब्ध है. तो वहीं कॉमर्स स्टूडेंट यहां से बी.कॉम, एमबीए आदि कर सकते है. इसके अलावा कला के छात्र बीए, बीए-एलएलबी, बीबीए-एलएलबी, एलएलबी का कोर्स कर सकते है. इससे यह स्पष्ट होता है कि चाहे छात्र किसी भी स्ट्रीम से हों, आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी उनके लिए एक बेहतर विकल्प है. 

स्कॉलरशिप की भी है सुविधा 
अक्सर लोग यह मानते हैं कि अच्छे कैंपस और सुविधाओं वाले कॉलेज महंगे होते हैं. लेकिन आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी इससे अलग है. यह एक बजट-फ्रेंडली यूनिवर्सिटी है, जहां कम फीस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है्. खास बात यह है कि विश्वविद्यालय में विभिन्न स्कॉलरशिप स्कीम्स उपलब्ध हैं.

मेरिट-बेस्ड स्कॉलरशिप
राज्य एवं भारत सरकार की स्कॉलरशिप योजनाएं
विशेष चांसलर स्कॉलरशिप
इससे आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन मेधावी छात्रों को शिक्षा के अवसर मिलते हैं. 
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से ले सकते है एडमिशन 
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी में प्रवेश की प्रक्रिया अत्यंत सरल है. छात्र उनके अभिभावक विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. वेबसाइट के जरिए रजिस्ट्रेशन, फॉर्म सबमिशन, और क्वेरी सबमिशन किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय ने एक टोल-फ्री नंबर भी जारी किया है, जहां कॉल कर छात्र अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही यदि आप कैंपस विजिट करना चाहते हैं तो उनके लिए विश्वविद्यालय रांची के कटहल मोड़ के पास स्थित है. यहां बल्कि करियर काउंसलिंग की सुविधा भी कती है. करियर काउंसलर छात्रों को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार सही कोर्स चुनने में सहायता करते हैं. 
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी अब झारखंड के छात्रों के लिए केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक उज्जवल भविष्य की नींव बन चुकी है. यदि आप झारखंड में रहकर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी आपके लिए एक बेहतर इंस्टीट्यूट साबित हो सकता है. यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि आपके सपनों को साकार करने का प्लेटफार्म भी है.

Wednesday, 28 May 2025

खुद भी एक ब्रांड बनें : गुड़िया झा


जिन लोगों ने इतिहास रचा है उनका दिमाग उनके कंट्रोल में था। वे अपने दिमाग के कंट्रोल में नहीं थे। जीवन का सही आनंद लेने के लिए स्वस्थ मानसिकता का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। अगर हम स्वस्थ मानसिकता अपनाते हैं, तो जीवन के हर डिपार्टमेंट में हमारी बल्ले-बल्ले। अपने दिमाग का सही उपयोग करके हम अपने फील्ड के बादशाह बन सकते हैं। 
जिंदगी में सबसे अच्छी और सबसे बुरी बात का सबसे ज्यादा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। 
एक रिसर्च के अनुसार हमारे दिमाग पर सबसे ज्यादा असर रिश्तों का पड़ता है। 
थोड़ी सी सावधानी से हम भी स्वस्थ मानसिकता अपनाकर खुश रह सकते हैं।
1 खुश रहें यह सोचकर कि।
अक्सर  यह सोच कर परेशान रहते हैं कि हमारे पास  ये नहीं है, वो नहीं है। जबकि जो उपलब्ध है   उसकी तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमेशा खुश रहें यह सोच कर कि जो हमारे पास है बहुत लोगों के पास वह भी नहीं है। अत्यधिक सुविधाएं आराम तो बहुत देती हैं। लेकिन जो नहीं हैं इसका मतलब यह नहीं कि उसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। 
2 अपनी सोच के प्रोडक्ट बने।
हमारा सबसे बड़ा एकाउंट दिमाग है। इसमे हम जैसी सोच डालते हैं वैसा ही रिजल्ट भी हमें मिलता है। 
 इसलिए हमेशा अच्छा सोचें। इससे हम ऊर्जावान तो महसूस करते ही हैं साथ ही हमारे जीवन पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अपने आसपास चाहे कितनी भी नकारात्मकता क्यो न हो। अपने ऊपर कभी भी हावीं न होने दें। 
लोगों से खुले दिल से मिलें और बातों में भी दोस्ताना माहौल बनाये रखें। मजाक मस्ती भी करें जिससे हंसने के मौके मिलें। चिंता में बने रहने के हजार कारण हैं। उन्हें ढूंढना नहीं पड़ता है। हम जितने ज्यादा खुश रहेंगे उतने ही ज्यादा स्वस्थ भी रहेंगे। 

3 आध्यात्मिकता भी जरूरी।
आध्यात्मिकता के बिना तो हमारा जीवन अधूरा है। आध्यात्मिक शक्ति हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकती है। इसके माध्यम से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी आसानी से पार हो जाती हैं। अगर  अपने  हर कार्य के लिए हम समय निकाल सकते हैं, तो फिर थोड़ा समय ईश्वर की भक्ति के लिए भी सही।
4 खुद को  व्यस्त रखें।
एक पुरानी कहावत है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। किसी न किसी रचनात्मक कार्यों में खुद को व्यस्त रखें। इससे फालतू की बातें दिमाग में नहीं आएंगी और दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक बन सकते हैं। उच्च विचार वाले लोग समाधान पर ज्यादा चर्चा करते हैं। औसत विचार वाले लोग समस्याओं पर ज्यादा चर्चा करते हैं और निम्न विचार वाले लोग दूसरे लोगों पर चर्चा करते हैं। अब हमें यह निर्णय लेना है कि हमें किस तरह बनना है।

Friday, 23 May 2025

रिश्तों में जिक्र नहीं फिक्र की एहमियत : गुड़िया झा

रिश्तों में  जिक्र नहीं फिक्र की एहमियत : 
गुड़िया झा
हम एक साथ कई रिश्तों में बंधे होते हैं। हर किसी का अपना एक अलग स्थान  और महत्व है। प्यार बांटना और पाना दोनों ही हमारे हाथों में है। क्योंकि प्रकृति का एक नियम है कि जो हम देते हैं वही हमें वापस मिलता भी है।
खुद को बार-बार साबित ना करना पड़े, जो सहज हो, सरल हो वास्तविक प्रेम की परिभाषा यही है। इसके लिए अपने मन की मजबूती भी उतनी ही आवश्यक है। प्रेम वह भाव है जो   दिल से जुड़ता है और एक-दूसरे से बांधे रखता है। लेकिन हर समय हमारे मन के अनुकूल हो यह कोई जरूरी तो नहीं। हर रिश्ते में सामंजस्य बना रहे इसके लिए जरूरी है थोड़ी सी सजगता।
1 अपेक्षाओं से दूर रहें।
अक्सर हमें कहने या सुनने में आता है कि उन लोगों से ऐसी उम्मीद नहीं थी। हर रिश्ते में कुछ अपेक्षाओं का होना स्वाभाविक है। लेकिन बहुत ज्यादा उम्मीद बनाये रखना खुद को खुशियों से दूर करना है। बल्कि खुद को दूसरों की उम्मीदों 
पर खड़े बनाये रखना ज्यादा खुशियां देता है। इससे काफी हद तक हम रिश्तों को संभाले रख सकते हैं।
2 खूबियों के साथ खामियों को अपनाना एक कला।
हर किसी में कुछ गुण और दोष दोनों ही होते हैं। हर कोई सर्वगुणसम्पन्न नहीं होता है। जब हाथों की पांचों उंगलियां भी एक जैसी नहीं होती हैं, तो फिर हम मनुष्यों का स्वभाव भी एक जैसे कैसे हो सकता है। 
इसलिए जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर अपना लें तो  रिश्तों के बीच खुद को सहज महसूस करते हैं साथ ही खुद के ऊपर कोई बोझ भी नहीं लगता। 
सामने वाले की अच्छाइयों को भी अपनाकर हम उनसे  बहुत कुछ  सीख भी सकते हैं। 

3 रिश्तों को भी सम्मान की एहमियत।
कोई भी रिश्ता यूं ही मजबूत नहीं होता है, बल्कि उसे कई तरह के पड़ाव से होकर गुजरना पड़ता है। उसके बाद उसमें स्थायित्व आता है।  वैसे कोई भी रिश्ता को  निभाना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक बहुत व्यस्त है तो दूसरे की समझदारी से ही इसे बचाया जा सकता है। 
यहां सिर्फ अपनी खुशी के बारे में सोचना दूसरे को हमसे दूर करने लगता है। किसी से तुलना से भी संबंधों में दरार पैदा करती है। त्याग, समर्पण और भावनाओं को समझना रिश्तों की जड़ों को मज़बूत बनाती है।
किसी को अगर कुछ देना हो तो अपनी तरफ से सम्मान सबसे बड़ा गिफ्ट है। आपसी तालमेल बना रहे साथ ही एक दूसरे की बातों को गहराई से समझना भी जरूरी है। तभी तो इसे बचाया जा सकता है।

Wednesday, 30 April 2025

सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का साथ : गुड़िया झा

सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का साथ : गुड़िया झा
हम में से अधिकांश लोग किसी न किसी बात का पछतावा लेकर लंबे समय तक परेशान रहते है और अपनी वर्तमान खुशियों से दूर हो जाते हैं। बीते हुए अतीत की बातों को बार -बार याद कर हम परेशान और क्रोधित हो जाते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि हमें अपने आसपास सबकुछ नकारात्मक दिखाई पड़ने लगता है। लोगों से हमारे रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। जिसके कारण हमारा सामाजिक दायरा छोटा होने लगता है।
इस बात को अगर हम मानसिक रूप से मान लें कि जो बीत गई सो बात गई। अब उसपर हमारा कंट्रोल नहीं है और उसके बारे में ज्यादा सोचना मतलब अपने आप को ज्यादा दुखी करना है। उसके बदले अभी और भी ज्यादा अच्छा हम कैसे कर सकते हैं। इस तरफ ध्यान देने से परिणाम भी बेहतर मिलने की संभावना बनी रहती है। 
1 समय की उपयोगिता।
ईश्वर ने  सभी के लिए समान रूप से एक दिन में 24 घण्टे का ही निर्धारण किया
है। अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है उन 24 घंटे का हम उपयोग किस रूप में करते हैं
 अनावश्यक गॉसिप, शिकायत और फिजूल की सोच पाल कर हम अपना अछिकांश समय इधर उधर ही बर्बाद कर देते हैं। 
जबकि इसके अनुकूल हम इस समय का सदुपयोग नई चीजें सीखने जिससे कि स्वयं के साथ दूसरों का भी भला हो।
इंटरनेट की जानकारी, अपनी आय बढ़ाने के स्रोत के बारे में जानकारी हासिल करना और उस दिशा में पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ना आदि ऐसे कई कार्य हैं जिससे हमारे जीवन को सही दिशा मिल सकती है। 
आज तक जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं उन्होंने इन 24 घंटों में ही अपनी सफलता की कहानी लिखी है। 
2 अपनी प्राथमिकताएं तय करना।
जीवन में खुश रहने के लिए हमें अपनी प्राथमिकता भी तय करनी होगी। कई बार ऐसा होता है कि जल्दबाजी और दिखावे के कारण  अपनी प्रथमिकताओं पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। जिसके कारण हमारी फिजूलखर्ची की आदतें बढ़ती जाती हैं। नतीजा धीरे धीरे हम खुद को कमजोर महसूस करते हैं। 
अपनी फिजूलखर्ची की आदतों पर अंकुश लगाकर हम प्रथमिकताओं पर ध्यान दें तो आने वाले समय में हमे परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एक बात तो तय है कि पैसा हमारी बुनियादी जरूरतों को अवश्य ही पूरी करता है। लेकिन हर समय इसके खर्च की अधिकता हमारे बजट को भी बिगाड़ती है। कभी-कभी हम ऐसी चीजों की खरीदारी भी कर लेते हैं जिसकी हमें जरूरत नही होती है। जब हम इन सब बातों पर गौर करेंगे तो खुद को सुधारने का मौका भी मिलेंगा।
3 सकारात्मक सोच।
खुद को खुश रखने का सबसे  अच्छा तरीका यह है कि हमेशा सकारात्मक सोच बनाये रखें। भले ही आसपास का वातावरण दूषित क्यों न हो। आप भला तो जग भला। अगर हमारी सोच सही है तो तय माने कि आसपास का वातावरण कितना भी दूषित क्यों न हो, हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। 
सही समय पर भोजन और भरपूर नींद अवश्य लें। अच्छे लोगों की संगति और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाते हुए  अपनी मंजिल की तरफ बढ़ सकते हैं।

Sunday, 27 April 2025

एक नजर अपनी भीतरी शक्तियों पर भी : गुड़िया झा

एक नजर अपनी भीतरी शक्तियों पर भी : गुड़िया झा

हमारी बाहरी ताकतें जितना मायने रखती हैं, उससे कहीं ज्यादा हमारे भीतर की ताकत महत्वपूर्ण है। जिंदगी बहुत खूबसूरत है। लेकिन इसमें उतार चढाव का होना भी स्वाभाविक है। इसमें हमारी भीतरी ताकत की असली परीक्षा होती है कि हम किस प्रकार से अपने जीवन में उन चुनौतियों का सामना करते हैं। 
समस्याओं पर ज्यादा बात करने से ज्यादा उसके समाधान पर जोर दिया जाए तो रास्ते भी अपने आप ही निकल जाते हैं। यही वह समय होता है जब हम घुटने टेकने के बजाय यदि डटकर मुकाबला करें तो हमारी असली ताकत की पहचान होती है। साथ ही इससे हम बहुत कुछ सीखते भी हैं। इसके लिए हमें खुद पर भरोसा रखना होगा और जिंदादिली के साथ आगे भी बढ़ना होगा।
1 प्रत्येक क्षण का आनंद लें।
हमारा अधिकांश समय इस बात की चिंता में ही बीत जाता है कि भविष्य में क्या होगा? इसी क्षण में हम इतने परेशान भी रहते हैं कि वर्तमान का सही से आनंद भी नहीं ले पाते हैं। जबकि इसके अनुकूल जब हम खुद को शांत रख कर लचीले बनते हैं तो वर्तमान में जीते भी हैं।
जरा सोचें क्या सिर्फ समस्याओं पर सोचने से समाधान संभव है। दुनिया में कई ऐसे लोग भी है जिन्हें हमसे ज्यादा समस्याएं हैं। तो फिर ऐसे लोग कैसे जिंदादिली से जीते भी हैं। इससे हमें हिम्मत मिलती है और मन से डरावने विचार बाहर भी निकलते हैं साथ  ही एक नई ऊर्जा का संचार भी होता है।     
2 स्वीकारने की कला।
हमारा जीवन विभिन्न प्रकार के रंगों से भरा हुआ है। कभी सुख तो कभी दुख। विपरीत परिस्थितियों में जल्दी विचलित होना स्वाभाविक है। कई बार हम सोचते हैं कि ऐसा हमारे साथ कैसे हो सकता है, ये नहीं होना चाहिए। 
जिन परिस्थितियों पर हमारा कंट्रोल नहीं है, उस पर विचलित होने पर परेशानी और भी बढ़ जाती है। इसलिए जब  हम चुनौतियों को पूरी तरह स्वीकारते हैं कि ठीक है अभी हमारे सामने चुनौतियां हैं तो संभव है कि हमें आगे के रास्ते भी मिलते हैं। 
भावनाओं के उतार चढ़ाव से हम खुद को बेहतर समझ सकते हैं। जो कठिनाई लगती है कि कभी खत्म नहीं होंगी उनका भी अंत होता है। सबसे पहले खुद की मदद करने की ताकत हमारे ही भीतर है।
3 जिम्मेदारी लेना।
जब सब कुछ हमारे साथ अच्छा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हम अपने ऊपर ही लेते हैं कि हमने काफी मेहनत की है। लेकिन जब चुनौतियों की बात आती है तो हम पीछे हट जाते हैं।  चुनौतियों का सामना करने से हमे अपनी वास्तविक क्षमता का पता भी चलता है। चुनौतियों की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ही लेकर उसमें सुधार का प्रयास करने से अनुभव के साथ बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

Wednesday, 9 April 2025

कोई काम नहीं है मुश्किल, जब किया इरादा पक्का : गुड़िया झा

कोई काम नहीं है मुश्किल, जब किया इरादा पक्का : गुड़िया झा
ईश्वर ने हम सभी को बुद्धिमान बनाने के साथ भरपूर क्षमताओं से भी नवाजा है। यह बात अलग है कि कई बार हमें अपनी वास्तविक क्षमता का पता नहीं चलता है और हम गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। परिस्थितियां चाहे जो भी रही हों। जब तक हम नहीं चाहेंगे तब तक  किसी भी प्रकार की नकारात्मक बातें हमारे  भीतर प्रवेश नहीं कर सकती हैं। 

1 समुद्री जहाज से एक सीख। एक समुद्री जहाज को ही लें। समुद्र में सफर करते समय अरबो लीटर गैलन पानी उस जहाज को तब तक डुबो नहीं सकता जब तक कि जहाज उस पानी को अपने भीतर आने ना दें। 
लोग क्या सोचेंगे और बोलेंगे इतना टेंशन लेना  हमारा काम नहीं है। हमारा काम है कि हमसे कोई गलती ना हो । सच्चाई, मेहनत और ईमानदारी से काम करते हुए स्वयं और सबके हित का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना। 
जो कि ज्यादा मुश्किल भी नहीं है। इसके लिए हमें खुद ही प्रयत्न करना होगा।
2 मजबूत इच्छा शक्ति।
किसी भी गलत आदत को छोड़ने के लिए मजबूत इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी है। जैसे- छोटी-छोटी बातों को दिल से लगाना, बेवजह गुस्सा करना, अपनी गलती स्वीकार नहीं करना , आलस्य आदि
जिस समस्या का समाधान बहुत ही आसानी से हो सकता है, उस पर आक्रोशित होकर काम करना क्या हमारे लिए फायदेमंद है? 
गुस्सा आना गलत बात नहीं है लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि कहां पर हमें अपना गुस्सा जाहिर करना है और कहां पर नहीं।
अपनी गलत आदतों के जिम्मेदार हम खुद ही होते हैं। इससे किसी दूसरे का नहीं बल्कि हमारा खुद का ही नुकसान होता है। जब हम इसके फायदे पर ध्यान देंगे तो सम्भवतः हमें अपनी आदतों में सुधार के अवसर भी दिखाई देंगे। बेहतर होगा कि इसके बारे में परिजनों और दोस्तों की मदद लें। 
3  छोटी शुरूआत करें।
अपनी जिन आदतों को हम छोड़ना चाहते हैं और जब उन्हीं के अनुकूल माहौल में रहते हैं, तो उन्हें छोड़ना मुश्किल हो जाता है। 
जैसे- अपना वजन कम करने के इच्छुक व्यक्ति यदि घर में तमाम मीठी, तली-भुनी और सेहत के लिए हानिकारक चीजें रखते हैं, तो मन खाने को जरूर करेगा। इसी प्रकार नशा करने वाला व्यक्ति यदि वैसे ही लोगों के बीच उठता-बैठता रहेगा, तो अपनी आदतों से पीछा छुड़ाना थोड़ा मुश्किल है।
 इसलिए आदत डालने वाले माहौल में बदलाव बहुत जरूरी है।
स्वयं के आकलन से हम यह समझ पाते हैं कि गलती कहां हो रही है। इसका सबसे प्रभावशाली तरीका है खुद से कुछ सवाल पूछना। 
जैसे कई बार जब हम तनाव की स्थिति में होते हैं तो बाहर निकल कर हमारा मन खरीदारी का करता है। तो थोड़ा रूक कर पहले सोचें कि अमुक वस्तु की जरूरत हमें है भी या नहीं?
उसके अलावा हम कुछ भी ऐसा काम करें जिससे कि खुशी महसूस हो। जैसे - कहीं टहलने जाना, किसी से बातें करना आदि। इससे हम महसूस करेंगे कि हमारा तनाव भी दूर होता है। 
खुद में विश्वास भी बहुत जरूरी है।

Monday, 31 March 2025

जीवन के चार दोस्त ये भी : गुड़िया झा

जीवन के चार दोस्त ये भी : गुड़िया झा

वैसे तो हम जहां भी रहते हैं, वहां के माहौल में कुछ ही दिनों में घुलमिल भी जाते हैं। फिर उस हिसाब से खुद को ढालते भी हैं। बहुत कुछ हमारे ऊपर भी निर्भर करता है कि हम अपने आसपास के सही चीजों से तालमेल बैठाएं और गलत चीजों से किनारा कर लें। इस मामले में भावनाओं में नहीं बहना है बल्कि हमारे लिए जो सही है उस पर ध्यान देने की जरूरत है।  एक नजर अपने आसपास के इन चार दोस्तों पर।
1 संगति।
बात जब दोस्तों की आती है, तो इस मामले में हमें सतर्क रहने की जरूरत है। अच्छी संगति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अच्छे दोस्तों का साथ जीवन संवार देता है। जो दोस्त आपके द्वारा किये गए गलत कार्यों पर आपको तुरंत रोकटोक करे, वह दोस्त कभी भी आपको गलत रास्तों पर नहीं जाने देगा। भले ही कुछ समय के लिए हमें उसका विरोध अच्छा ना लगे। 
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का जवाब नहीं। एक ने दुख में कुछ मांगा भी नहीं और दूसरे ने बहुत कुछ देकर जताया भी नहीं। 
जब दोस्त दूर दूसरे शहर में भी हों, तो समय-समय पर उनसे हालचाल लेते रहें।
2 किताब।
चाहे हम घर मे अकेले हों या फिर सफर में। अच्छी किताबें हमें कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होने देती हैं। ये हमारे मन और मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव डालती हैं। किताबों के बारे में एक कहावत यह है कि  ये किसी से कुछ कहती तो नहीं हैं लेकिन बिन कहे बहुत कुछ सिखाती भी हैं। यह मेरा अपना भी व्यक्तिगत अनुभव है। जब कभी भी मुझे नींद नहीं आती है, तो मैं किताबें पढ़ती हूं। 
जब कोई पंक्ति बहुत महत्वपूर्ण हो, तो उसे पेंसिल से अंडरलाइन कर लें ताकि जब भी आप उसे भूल जाएं, तो पन्नों को पलट कर देख सकते हैं और इसके बारे में लोगों को बता भी सकते हैं। 
किताबें हमें कभी भी गुमराह नहीं करती हैं।
3 रास्ता।
रास्ते पर तो गाड़ियां भी बहुत तेजी से चलती हैं। लेकिन उनकी दिशा और गति तभी कामयाब होती है जब वे अपने गंतव्य तक सही सलामत पहुंच जाती हैं। 
ठीक यही बात हम इंसान के साथ भी लागू होती है। गलत दिशा में भीड़ के पीछे चलने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि सही दिशा में हम अकेले ही चलें। क्योंकि भीड़ में हम अक्सर अपने अस्तित्व को खो देते हैं। किसी के आसपास खड़े होने से किरदार नहीं बनते। बल्कि खुद अपनी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनानी पड़ती है। हर किसी को अपना दायरा पता होता है। इसलिए अपने दायरे में रह कर आगे बढ़ते जाएं।
4 सोच।
सबसे बड़ा खजाना हमारा दिमाग होता है। हम अपनी सोच के ही प्रोडक्ट हैं। गलत विचारों को अपने दिमाग में आने से पहले ही रोक दें। मेडिटेशन से मन शांत रहता है। 
खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए जब कभी भी फुरसत में हों, तो खुद को व्यस्त रखें। इस क्षण में अपनी पसंद के कार्य करें। जैसे संगीत सुने, अपनी पसंद के मूवी देखे, फोन पर रिश्तेदारों से कुशलता पूछें, पौधों में पानी डालें,अपनी पसंद के डिश बनाएं आदि।