Wednesday, 28 May 2025

खुद भी एक ब्रांड बनें : गुड़िया झा


जिन लोगों ने इतिहास रचा है उनका दिमाग उनके कंट्रोल में था। वे अपने दिमाग के कंट्रोल में नहीं थे। जीवन का सही आनंद लेने के लिए स्वस्थ मानसिकता का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। अगर हम स्वस्थ मानसिकता अपनाते हैं, तो जीवन के हर डिपार्टमेंट में हमारी बल्ले-बल्ले। अपने दिमाग का सही उपयोग करके हम अपने फील्ड के बादशाह बन सकते हैं। 
जिंदगी में सबसे अच्छी और सबसे बुरी बात का सबसे ज्यादा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। 
एक रिसर्च के अनुसार हमारे दिमाग पर सबसे ज्यादा असर रिश्तों का पड़ता है। 
थोड़ी सी सावधानी से हम भी स्वस्थ मानसिकता अपनाकर खुश रह सकते हैं।
1 खुश रहें यह सोचकर कि।
अक्सर  यह सोच कर परेशान रहते हैं कि हमारे पास  ये नहीं है, वो नहीं है। जबकि जो उपलब्ध है   उसकी तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमेशा खुश रहें यह सोच कर कि जो हमारे पास है बहुत लोगों के पास वह भी नहीं है। अत्यधिक सुविधाएं आराम तो बहुत देती हैं। लेकिन जो नहीं हैं इसका मतलब यह नहीं कि उसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। 
2 अपनी सोच के प्रोडक्ट बने।
हमारा सबसे बड़ा एकाउंट दिमाग है। इसमे हम जैसी सोच डालते हैं वैसा ही रिजल्ट भी हमें मिलता है। 
 इसलिए हमेशा अच्छा सोचें। इससे हम ऊर्जावान तो महसूस करते ही हैं साथ ही हमारे जीवन पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अपने आसपास चाहे कितनी भी नकारात्मकता क्यो न हो। अपने ऊपर कभी भी हावीं न होने दें। 
लोगों से खुले दिल से मिलें और बातों में भी दोस्ताना माहौल बनाये रखें। मजाक मस्ती भी करें जिससे हंसने के मौके मिलें। चिंता में बने रहने के हजार कारण हैं। उन्हें ढूंढना नहीं पड़ता है। हम जितने ज्यादा खुश रहेंगे उतने ही ज्यादा स्वस्थ भी रहेंगे। 

3 आध्यात्मिकता भी जरूरी।
आध्यात्मिकता के बिना तो हमारा जीवन अधूरा है। आध्यात्मिक शक्ति हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकती है। इसके माध्यम से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी आसानी से पार हो जाती हैं। अगर  अपने  हर कार्य के लिए हम समय निकाल सकते हैं, तो फिर थोड़ा समय ईश्वर की भक्ति के लिए भी सही।
4 खुद को  व्यस्त रखें।
एक पुरानी कहावत है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। किसी न किसी रचनात्मक कार्यों में खुद को व्यस्त रखें। इससे फालतू की बातें दिमाग में नहीं आएंगी और दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक बन सकते हैं। उच्च विचार वाले लोग समाधान पर ज्यादा चर्चा करते हैं। औसत विचार वाले लोग समस्याओं पर ज्यादा चर्चा करते हैं और निम्न विचार वाले लोग दूसरे लोगों पर चर्चा करते हैं। अब हमें यह निर्णय लेना है कि हमें किस तरह बनना है।

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