एक नजर अपनी भीतरी शक्तियों पर भी : गुड़िया झा
हमारी बाहरी ताकतें जितना मायने रखती हैं, उससे कहीं ज्यादा हमारे भीतर की ताकत महत्वपूर्ण है। जिंदगी बहुत खूबसूरत है। लेकिन इसमें उतार चढाव का होना भी स्वाभाविक है। इसमें हमारी भीतरी ताकत की असली परीक्षा होती है कि हम किस प्रकार से अपने जीवन में उन चुनौतियों का सामना करते हैं।
समस्याओं पर ज्यादा बात करने से ज्यादा उसके समाधान पर जोर दिया जाए तो रास्ते भी अपने आप ही निकल जाते हैं। यही वह समय होता है जब हम घुटने टेकने के बजाय यदि डटकर मुकाबला करें तो हमारी असली ताकत की पहचान होती है। साथ ही इससे हम बहुत कुछ सीखते भी हैं। इसके लिए हमें खुद पर भरोसा रखना होगा और जिंदादिली के साथ आगे भी बढ़ना होगा।
1 प्रत्येक क्षण का आनंद लें।
हमारा अधिकांश समय इस बात की चिंता में ही बीत जाता है कि भविष्य में क्या होगा? इसी क्षण में हम इतने परेशान भी रहते हैं कि वर्तमान का सही से आनंद भी नहीं ले पाते हैं। जबकि इसके अनुकूल जब हम खुद को शांत रख कर लचीले बनते हैं तो वर्तमान में जीते भी हैं।
जरा सोचें क्या सिर्फ समस्याओं पर सोचने से समाधान संभव है। दुनिया में कई ऐसे लोग भी है जिन्हें हमसे ज्यादा समस्याएं हैं। तो फिर ऐसे लोग कैसे जिंदादिली से जीते भी हैं। इससे हमें हिम्मत मिलती है और मन से डरावने विचार बाहर भी निकलते हैं साथ ही एक नई ऊर्जा का संचार भी होता है।
2 स्वीकारने की कला।
हमारा जीवन विभिन्न प्रकार के रंगों से भरा हुआ है। कभी सुख तो कभी दुख। विपरीत परिस्थितियों में जल्दी विचलित होना स्वाभाविक है। कई बार हम सोचते हैं कि ऐसा हमारे साथ कैसे हो सकता है, ये नहीं होना चाहिए।
जिन परिस्थितियों पर हमारा कंट्रोल नहीं है, उस पर विचलित होने पर परेशानी और भी बढ़ जाती है। इसलिए जब हम चुनौतियों को पूरी तरह स्वीकारते हैं कि ठीक है अभी हमारे सामने चुनौतियां हैं तो संभव है कि हमें आगे के रास्ते भी मिलते हैं।
भावनाओं के उतार चढ़ाव से हम खुद को बेहतर समझ सकते हैं। जो कठिनाई लगती है कि कभी खत्म नहीं होंगी उनका भी अंत होता है। सबसे पहले खुद की मदद करने की ताकत हमारे ही भीतर है।
3 जिम्मेदारी लेना।
जब सब कुछ हमारे साथ अच्छा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हम अपने ऊपर ही लेते हैं कि हमने काफी मेहनत की है। लेकिन जब चुनौतियों की बात आती है तो हम पीछे हट जाते हैं। चुनौतियों का सामना करने से हमे अपनी वास्तविक क्षमता का पता भी चलता है। चुनौतियों की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ही लेकर उसमें सुधार का प्रयास करने से अनुभव के साथ बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
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