Friday, 23 May 2025

रिश्तों में जिक्र नहीं फिक्र की एहमियत : गुड़िया झा

रिश्तों में  जिक्र नहीं फिक्र की एहमियत : 
गुड़िया झा
हम एक साथ कई रिश्तों में बंधे होते हैं। हर किसी का अपना एक अलग स्थान  और महत्व है। प्यार बांटना और पाना दोनों ही हमारे हाथों में है। क्योंकि प्रकृति का एक नियम है कि जो हम देते हैं वही हमें वापस मिलता भी है।
खुद को बार-बार साबित ना करना पड़े, जो सहज हो, सरल हो वास्तविक प्रेम की परिभाषा यही है। इसके लिए अपने मन की मजबूती भी उतनी ही आवश्यक है। प्रेम वह भाव है जो   दिल से जुड़ता है और एक-दूसरे से बांधे रखता है। लेकिन हर समय हमारे मन के अनुकूल हो यह कोई जरूरी तो नहीं। हर रिश्ते में सामंजस्य बना रहे इसके लिए जरूरी है थोड़ी सी सजगता।
1 अपेक्षाओं से दूर रहें।
अक्सर हमें कहने या सुनने में आता है कि उन लोगों से ऐसी उम्मीद नहीं थी। हर रिश्ते में कुछ अपेक्षाओं का होना स्वाभाविक है। लेकिन बहुत ज्यादा उम्मीद बनाये रखना खुद को खुशियों से दूर करना है। बल्कि खुद को दूसरों की उम्मीदों 
पर खड़े बनाये रखना ज्यादा खुशियां देता है। इससे काफी हद तक हम रिश्तों को संभाले रख सकते हैं।
2 खूबियों के साथ खामियों को अपनाना एक कला।
हर किसी में कुछ गुण और दोष दोनों ही होते हैं। हर कोई सर्वगुणसम्पन्न नहीं होता है। जब हाथों की पांचों उंगलियां भी एक जैसी नहीं होती हैं, तो फिर हम मनुष्यों का स्वभाव भी एक जैसे कैसे हो सकता है। 
इसलिए जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर अपना लें तो  रिश्तों के बीच खुद को सहज महसूस करते हैं साथ ही खुद के ऊपर कोई बोझ भी नहीं लगता। 
सामने वाले की अच्छाइयों को भी अपनाकर हम उनसे  बहुत कुछ  सीख भी सकते हैं। 

3 रिश्तों को भी सम्मान की एहमियत।
कोई भी रिश्ता यूं ही मजबूत नहीं होता है, बल्कि उसे कई तरह के पड़ाव से होकर गुजरना पड़ता है। उसके बाद उसमें स्थायित्व आता है।  वैसे कोई भी रिश्ता को  निभाना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक बहुत व्यस्त है तो दूसरे की समझदारी से ही इसे बचाया जा सकता है। 
यहां सिर्फ अपनी खुशी के बारे में सोचना दूसरे को हमसे दूर करने लगता है। किसी से तुलना से भी संबंधों में दरार पैदा करती है। त्याग, समर्पण और भावनाओं को समझना रिश्तों की जड़ों को मज़बूत बनाती है।
किसी को अगर कुछ देना हो तो अपनी तरफ से सम्मान सबसे बड़ा गिफ्ट है। आपसी तालमेल बना रहे साथ ही एक दूसरे की बातों को गहराई से समझना भी जरूरी है। तभी तो इसे बचाया जा सकता है।

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