जीवन के चार दोस्त ये भी : गुड़िया झा
वैसे तो हम जहां भी रहते हैं, वहां के माहौल में कुछ ही दिनों में घुलमिल भी जाते हैं। फिर उस हिसाब से खुद को ढालते भी हैं। बहुत कुछ हमारे ऊपर भी निर्भर करता है कि हम अपने आसपास के सही चीजों से तालमेल बैठाएं और गलत चीजों से किनारा कर लें। इस मामले में भावनाओं में नहीं बहना है बल्कि हमारे लिए जो सही है उस पर ध्यान देने की जरूरत है। एक नजर अपने आसपास के इन चार दोस्तों पर।
1 संगति।
बात जब दोस्तों की आती है, तो इस मामले में हमें सतर्क रहने की जरूरत है। अच्छी संगति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अच्छे दोस्तों का साथ जीवन संवार देता है। जो दोस्त आपके द्वारा किये गए गलत कार्यों पर आपको तुरंत रोकटोक करे, वह दोस्त कभी भी आपको गलत रास्तों पर नहीं जाने देगा। भले ही कुछ समय के लिए हमें उसका विरोध अच्छा ना लगे।
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का जवाब नहीं। एक ने दुख में कुछ मांगा भी नहीं और दूसरे ने बहुत कुछ देकर जताया भी नहीं।
जब दोस्त दूर दूसरे शहर में भी हों, तो समय-समय पर उनसे हालचाल लेते रहें।
2 किताब।
चाहे हम घर मे अकेले हों या फिर सफर में। अच्छी किताबें हमें कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होने देती हैं। ये हमारे मन और मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव डालती हैं। किताबों के बारे में एक कहावत यह है कि ये किसी से कुछ कहती तो नहीं हैं लेकिन बिन कहे बहुत कुछ सिखाती भी हैं। यह मेरा अपना भी व्यक्तिगत अनुभव है। जब कभी भी मुझे नींद नहीं आती है, तो मैं किताबें पढ़ती हूं।
जब कोई पंक्ति बहुत महत्वपूर्ण हो, तो उसे पेंसिल से अंडरलाइन कर लें ताकि जब भी आप उसे भूल जाएं, तो पन्नों को पलट कर देख सकते हैं और इसके बारे में लोगों को बता भी सकते हैं।
किताबें हमें कभी भी गुमराह नहीं करती हैं।
3 रास्ता।
रास्ते पर तो गाड़ियां भी बहुत तेजी से चलती हैं। लेकिन उनकी दिशा और गति तभी कामयाब होती है जब वे अपने गंतव्य तक सही सलामत पहुंच जाती हैं।
ठीक यही बात हम इंसान के साथ भी लागू होती है। गलत दिशा में भीड़ के पीछे चलने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि सही दिशा में हम अकेले ही चलें। क्योंकि भीड़ में हम अक्सर अपने अस्तित्व को खो देते हैं। किसी के आसपास खड़े होने से किरदार नहीं बनते। बल्कि खुद अपनी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनानी पड़ती है। हर किसी को अपना दायरा पता होता है। इसलिए अपने दायरे में रह कर आगे बढ़ते जाएं।
4 सोच।
सबसे बड़ा खजाना हमारा दिमाग होता है। हम अपनी सोच के ही प्रोडक्ट हैं। गलत विचारों को अपने दिमाग में आने से पहले ही रोक दें। मेडिटेशन से मन शांत रहता है।
खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए जब कभी भी फुरसत में हों, तो खुद को व्यस्त रखें। इस क्षण में अपनी पसंद के कार्य करें। जैसे संगीत सुने, अपनी पसंद के मूवी देखे, फोन पर रिश्तेदारों से कुशलता पूछें, पौधों में पानी डालें,अपनी पसंद के डिश बनाएं आदि।
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