Friday, 30 May 2025

आरकेडीएफल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर सपने करें साकार 

राची, झारखण्ड  | मई |  30, 2025 ::

मैट्रिक और इंटर के परिणाम घोषित हो चुके हैं, और अब विद्यार्थियों के सामने अगला बड़ा कदम है सही विश्वविद्यालय का चयन. अक्सर देखा जाता है कि झारखंड के छात्र हायर एजुकेशन लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं. लेकिन अब सवाल उठता है क्या वाकई बाहर जाना जरूरी है? या झारखंड में ही बेहतर और आधुनिक शिक्षा के विकल्प उपलब्ध हैं. इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी रांची के रजिस्ट्रार अमित कुमार पांडे ने बताया कि अब झारखंड भी शैक्षणिक रूप से तेजी से आगे बढ़ रहा है और आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी रांची छात्रों के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प बनकर उभरी है. 

पहचान की माेहताज नहीं आरकेडीएफ 
राजधानी रांची में स्थित आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. दिनो दिन यहां स्टूडेंट की संख्या में इजाफा हो रहा है. स्टडी के साथ-साथ यूनिवर्सिटी की ओर से प्लेसमेंट का भी खास ख्याल रखा जाता है. इस विवि से पढकर निकलने वाले छात्र- छात्राएं देश विदेश में सेटल्ड है और बेहतरीन पैकेज में जॉब कर रहे है. इस विवि में सभी स्ट्रीम की पढ़ाई होती है. 
थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल पर विशेष ध्यान
यहां की खासियत है कि थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल में विशेष ध्यान दिया जाता है. सबसे अच्छी बात तो यह है प्रेकटिकल के स्टूडेंट काे को माहौल भी उसी प्रकार दिया जाता है. जैसा उन्हें स्टडी के बाद फेस करना है. लॉ के प्रैक्टिकल के डिपार्टमेंट में ही एक कोर्ट रुम बनाया गया है, जहां सब कुछ प्रैक्टिकल करके स्टूडेंट को बताया और सिखाया जाता है. इसी प्रकार फार्माशिस्ट, बीेटेक, कम्यूटर साइंस आदि के लिए अलग-अलग प्रेक्टिकल रुम है.  

आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी आधुनिक शिक्षा का केंद्र
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए जानी जाती है, बल्कि यह छात्रों को समग्र विकास के अवसर भी प्रदान करती है. विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह तीन प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है 

1. रिसर्च आधारित शिक्षाः
रिसर्च में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए विश्वविद्यालय ने एक रिसर्च-ओरिएंटेड करिकुलम तैयार किया है जो आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया है. 
2. स्किल-बेस्ड प्लेसमेंट कार्यक्रमः
यदि छात्र प्लेसमेंट की तैयारी कर रहे हैं, तो उनके लिए स्किल-बेस्ड एजुकेशन सिस्टम उपलब्ध है, जिसे इंडस्ट्री पार्टनरशिप के साथ मिलकर तैयार किया गया है. 

3. कॉम्पिटिटिव एग्ज़ाम की तैयारीः
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के इच्छुक छात्रों के लिए विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर मार्गदर्शन दिया जाता है। इनमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने स्वयं विभिन्न राष्ट्रीय परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं. 

सभी स्ट्रीम्स के लिए हैं विकल्प
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी में सभी शैक्षणिक पृष्ठभूमियों वाले छात्रों के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रदान करती है. साइंस के छात्र के लिए बी.एससी., इंजीनियरिंग, फार्मेसी, डिप्लोमा इन फार्मेसी उपलब्ध है. तो वहीं कॉमर्स स्टूडेंट यहां से बी.कॉम, एमबीए आदि कर सकते है. इसके अलावा कला के छात्र बीए, बीए-एलएलबी, बीबीए-एलएलबी, एलएलबी का कोर्स कर सकते है. इससे यह स्पष्ट होता है कि चाहे छात्र किसी भी स्ट्रीम से हों, आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी उनके लिए एक बेहतर विकल्प है. 

स्कॉलरशिप की भी है सुविधा 
अक्सर लोग यह मानते हैं कि अच्छे कैंपस और सुविधाओं वाले कॉलेज महंगे होते हैं. लेकिन आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी इससे अलग है. यह एक बजट-फ्रेंडली यूनिवर्सिटी है, जहां कम फीस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है्. खास बात यह है कि विश्वविद्यालय में विभिन्न स्कॉलरशिप स्कीम्स उपलब्ध हैं.

मेरिट-बेस्ड स्कॉलरशिप
राज्य एवं भारत सरकार की स्कॉलरशिप योजनाएं
विशेष चांसलर स्कॉलरशिप
इससे आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन मेधावी छात्रों को शिक्षा के अवसर मिलते हैं. 
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से ले सकते है एडमिशन 
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी में प्रवेश की प्रक्रिया अत्यंत सरल है. छात्र उनके अभिभावक विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. वेबसाइट के जरिए रजिस्ट्रेशन, फॉर्म सबमिशन, और क्वेरी सबमिशन किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय ने एक टोल-फ्री नंबर भी जारी किया है, जहां कॉल कर छात्र अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही यदि आप कैंपस विजिट करना चाहते हैं तो उनके लिए विश्वविद्यालय रांची के कटहल मोड़ के पास स्थित है. यहां बल्कि करियर काउंसलिंग की सुविधा भी कती है. करियर काउंसलर छात्रों को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार सही कोर्स चुनने में सहायता करते हैं. 
आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी अब झारखंड के छात्रों के लिए केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक उज्जवल भविष्य की नींव बन चुकी है. यदि आप झारखंड में रहकर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी आपके लिए एक बेहतर इंस्टीट्यूट साबित हो सकता है. यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि आपके सपनों को साकार करने का प्लेटफार्म भी है.

Wednesday, 28 May 2025

खुद भी एक ब्रांड बनें : गुड़िया झा


जिन लोगों ने इतिहास रचा है उनका दिमाग उनके कंट्रोल में था। वे अपने दिमाग के कंट्रोल में नहीं थे। जीवन का सही आनंद लेने के लिए स्वस्थ मानसिकता का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। अगर हम स्वस्थ मानसिकता अपनाते हैं, तो जीवन के हर डिपार्टमेंट में हमारी बल्ले-बल्ले। अपने दिमाग का सही उपयोग करके हम अपने फील्ड के बादशाह बन सकते हैं। 
जिंदगी में सबसे अच्छी और सबसे बुरी बात का सबसे ज्यादा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। 
एक रिसर्च के अनुसार हमारे दिमाग पर सबसे ज्यादा असर रिश्तों का पड़ता है। 
थोड़ी सी सावधानी से हम भी स्वस्थ मानसिकता अपनाकर खुश रह सकते हैं।
1 खुश रहें यह सोचकर कि।
अक्सर  यह सोच कर परेशान रहते हैं कि हमारे पास  ये नहीं है, वो नहीं है। जबकि जो उपलब्ध है   उसकी तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमेशा खुश रहें यह सोच कर कि जो हमारे पास है बहुत लोगों के पास वह भी नहीं है। अत्यधिक सुविधाएं आराम तो बहुत देती हैं। लेकिन जो नहीं हैं इसका मतलब यह नहीं कि उसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। 
2 अपनी सोच के प्रोडक्ट बने।
हमारा सबसे बड़ा एकाउंट दिमाग है। इसमे हम जैसी सोच डालते हैं वैसा ही रिजल्ट भी हमें मिलता है। 
 इसलिए हमेशा अच्छा सोचें। इससे हम ऊर्जावान तो महसूस करते ही हैं साथ ही हमारे जीवन पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अपने आसपास चाहे कितनी भी नकारात्मकता क्यो न हो। अपने ऊपर कभी भी हावीं न होने दें। 
लोगों से खुले दिल से मिलें और बातों में भी दोस्ताना माहौल बनाये रखें। मजाक मस्ती भी करें जिससे हंसने के मौके मिलें। चिंता में बने रहने के हजार कारण हैं। उन्हें ढूंढना नहीं पड़ता है। हम जितने ज्यादा खुश रहेंगे उतने ही ज्यादा स्वस्थ भी रहेंगे। 

3 आध्यात्मिकता भी जरूरी।
आध्यात्मिकता के बिना तो हमारा जीवन अधूरा है। आध्यात्मिक शक्ति हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकती है। इसके माध्यम से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी आसानी से पार हो जाती हैं। अगर  अपने  हर कार्य के लिए हम समय निकाल सकते हैं, तो फिर थोड़ा समय ईश्वर की भक्ति के लिए भी सही।
4 खुद को  व्यस्त रखें।
एक पुरानी कहावत है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। किसी न किसी रचनात्मक कार्यों में खुद को व्यस्त रखें। इससे फालतू की बातें दिमाग में नहीं आएंगी और दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक बन सकते हैं। उच्च विचार वाले लोग समाधान पर ज्यादा चर्चा करते हैं। औसत विचार वाले लोग समस्याओं पर ज्यादा चर्चा करते हैं और निम्न विचार वाले लोग दूसरे लोगों पर चर्चा करते हैं। अब हमें यह निर्णय लेना है कि हमें किस तरह बनना है।

Friday, 23 May 2025

रिश्तों में जिक्र नहीं फिक्र की एहमियत : गुड़िया झा

रिश्तों में  जिक्र नहीं फिक्र की एहमियत : 
गुड़िया झा
हम एक साथ कई रिश्तों में बंधे होते हैं। हर किसी का अपना एक अलग स्थान  और महत्व है। प्यार बांटना और पाना दोनों ही हमारे हाथों में है। क्योंकि प्रकृति का एक नियम है कि जो हम देते हैं वही हमें वापस मिलता भी है।
खुद को बार-बार साबित ना करना पड़े, जो सहज हो, सरल हो वास्तविक प्रेम की परिभाषा यही है। इसके लिए अपने मन की मजबूती भी उतनी ही आवश्यक है। प्रेम वह भाव है जो   दिल से जुड़ता है और एक-दूसरे से बांधे रखता है। लेकिन हर समय हमारे मन के अनुकूल हो यह कोई जरूरी तो नहीं। हर रिश्ते में सामंजस्य बना रहे इसके लिए जरूरी है थोड़ी सी सजगता।
1 अपेक्षाओं से दूर रहें।
अक्सर हमें कहने या सुनने में आता है कि उन लोगों से ऐसी उम्मीद नहीं थी। हर रिश्ते में कुछ अपेक्षाओं का होना स्वाभाविक है। लेकिन बहुत ज्यादा उम्मीद बनाये रखना खुद को खुशियों से दूर करना है। बल्कि खुद को दूसरों की उम्मीदों 
पर खड़े बनाये रखना ज्यादा खुशियां देता है। इससे काफी हद तक हम रिश्तों को संभाले रख सकते हैं।
2 खूबियों के साथ खामियों को अपनाना एक कला।
हर किसी में कुछ गुण और दोष दोनों ही होते हैं। हर कोई सर्वगुणसम्पन्न नहीं होता है। जब हाथों की पांचों उंगलियां भी एक जैसी नहीं होती हैं, तो फिर हम मनुष्यों का स्वभाव भी एक जैसे कैसे हो सकता है। 
इसलिए जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर अपना लें तो  रिश्तों के बीच खुद को सहज महसूस करते हैं साथ ही खुद के ऊपर कोई बोझ भी नहीं लगता। 
सामने वाले की अच्छाइयों को भी अपनाकर हम उनसे  बहुत कुछ  सीख भी सकते हैं। 

3 रिश्तों को भी सम्मान की एहमियत।
कोई भी रिश्ता यूं ही मजबूत नहीं होता है, बल्कि उसे कई तरह के पड़ाव से होकर गुजरना पड़ता है। उसके बाद उसमें स्थायित्व आता है।  वैसे कोई भी रिश्ता को  निभाना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक बहुत व्यस्त है तो दूसरे की समझदारी से ही इसे बचाया जा सकता है। 
यहां सिर्फ अपनी खुशी के बारे में सोचना दूसरे को हमसे दूर करने लगता है। किसी से तुलना से भी संबंधों में दरार पैदा करती है। त्याग, समर्पण और भावनाओं को समझना रिश्तों की जड़ों को मज़बूत बनाती है।
किसी को अगर कुछ देना हो तो अपनी तरफ से सम्मान सबसे बड़ा गिफ्ट है। आपसी तालमेल बना रहे साथ ही एक दूसरे की बातों को गहराई से समझना भी जरूरी है। तभी तो इसे बचाया जा सकता है।