एक बदलाव अपने लिए भी जरूरी : गुड़िया झा
जब बदलाव की बात आती है तो हम सबसे पहले इसे दूसरों में देखना चाहते हैं। जबकि बदलाव की प्रक्रिया खुद से कर अपने व्यक्तित्व को निखारने के साथ हम दूसरों के लिए भी एक मिशाल बन सकते हैं। ध्यान रहे कि अभी तो सिर्फ साल बदला है। कैलेंडर की तारीखें बदली हैं। अपने भीतर बहुत कुछ बदलना है। बहुत सी कड़वी यादों को भूलना है। बहुत सी जरूरी सीखें याद करना है। अपनी गलतियों को ठीक कर उससे सबक लेना है। दूसरों की गलतियों को भूलना है। जिसे मदद की जरूरत है उसका हाथ थामना है। दूसरों से पहले खुद से प्रेम करना है। किसी को भी कड़वा बोलकर उसको कष्ट नहीं देना है। दिखावे से दूर वास्तविकता में जीना है। बहुत से प्यारे शौक जो इस भागदौड़ में पीछे छूट गए थे, उसे अब पूरा करना है। पैसों की अंधी दौड़ में भागने के बजाय कुछ देर शांति और संतुष्टि से जीना भी है।
1 माफ करने की कला।
बड़ी सोच वाले लोग छोटी-छोटी बातों को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हैं। वे सिर्फ लोगों की अच्छाइयों पर ध्यान देते हैं और उनकी कमियों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ते हैं।
खुद भी अपनी गलती पर माफी मांगना ऐसे लोगों की सबसे बड़ी विशेषता होती है।
2 भूल जाना।
हम इंसानों की एक अजीब सी फितरत होती है कि किसी के द्वारा किये गए अच्छे कार्यों को भूल जाते हैं और बुरी यादों को अपने दिलो-दिमाग में बिठाए रहते हैं। किसी के द्वारा समय पर किये गए मदद को हमेशा एक सुखद घटना समझ कर उनका धन्यवाद देना एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमारे आपसी संबंधों को और भी मजबूती प्रदान करती है।
अतीत में हुई बुरी यादों को भूल जाना सबसे अच्छी बात है। क्योंकि जब तक हम उन यादों के साथ जीते हैं, सिर्फ तकलीफों के साये में ही रहते हैं और अपने मस्तिष्क में अच्छी बातों को जगह नहीं दे पाते हैं। इससे हमारा वर्तमान भी प्रभावित होता है।
3 विश्वास।
सबसे पहले तो विश्वास अपनी क्षमता, मेहनत और काबिलियत पर करें। मेहनत करते हुए ईश्वर पर विश्वास बनाये रखना हमें अपनी मंजिल के करीब लाती है। हमारे हाथ में सिर्फ सही कर्म है। कई बार हम अपने नकारात्मक विचारों के कारण भी कुछ विश्वासपात्र लोगों पर भी शक करते हैं, इससे हमारे आपसी संबंधों में भी दरार आने की संभावना बनी रहती है। लोगों के दिलों में भी अपने लिए जगह बनाना हमारी सबसे बड़ी सफलता है।
4 वैराग्य।
वैराग्य हमें यही सिखाता है कि जब हमारा जन्म हुआ तो हम खाली हाथ ही आये थे और जाना भी खाली हाथ ही है। आने और जाने के बीच में जो जीवन की प्रक्रिया है, उसका आनंद हमें लेना है।
हम भारतीयों की एक आम धारणा होती है कि सामने वाले के घर से ज्यादा बड़ा घर बनाना है, बड़ी गाड़ी लेनी है। अपना रूतबा दिखाने के लिए दूसरों को नीचा भी दिखाना पड़े तो चलेगा। इन सबके बीच हम यह भूल जाते हैं कि इससे हमारा ही नुकसान होता है।
जो भी हमारे पास मौजूद है, उसमें हम खुश नहीं रह पाते हैं और जो नहीं है उसके लिए बेहद परेशान रहते हैं।
एक पुरानी कहावत है कि इंसान बेशुमार दौलत पाने के लिए खूब भागदौड़ करता है और अपनी सेहत से समझौता कर लेता है। फिर सेहत को पाने के लिए अपनी पूरी दौलत गंवा देता है।
ईश्वर ने जो चीजें हमें फ्री में गिफ्ट दी हैं वो हैं हमारी सांसें।
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