Wednesday, 30 April 2025

सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का साथ : गुड़िया झा

सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का साथ : गुड़िया झा
हम में से अधिकांश लोग किसी न किसी बात का पछतावा लेकर लंबे समय तक परेशान रहते है और अपनी वर्तमान खुशियों से दूर हो जाते हैं। बीते हुए अतीत की बातों को बार -बार याद कर हम परेशान और क्रोधित हो जाते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि हमें अपने आसपास सबकुछ नकारात्मक दिखाई पड़ने लगता है। लोगों से हमारे रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। जिसके कारण हमारा सामाजिक दायरा छोटा होने लगता है।
इस बात को अगर हम मानसिक रूप से मान लें कि जो बीत गई सो बात गई। अब उसपर हमारा कंट्रोल नहीं है और उसके बारे में ज्यादा सोचना मतलब अपने आप को ज्यादा दुखी करना है। उसके बदले अभी और भी ज्यादा अच्छा हम कैसे कर सकते हैं। इस तरफ ध्यान देने से परिणाम भी बेहतर मिलने की संभावना बनी रहती है। 
1 समय की उपयोगिता।
ईश्वर ने  सभी के लिए समान रूप से एक दिन में 24 घण्टे का ही निर्धारण किया
है। अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है उन 24 घंटे का हम उपयोग किस रूप में करते हैं
 अनावश्यक गॉसिप, शिकायत और फिजूल की सोच पाल कर हम अपना अछिकांश समय इधर उधर ही बर्बाद कर देते हैं। 
जबकि इसके अनुकूल हम इस समय का सदुपयोग नई चीजें सीखने जिससे कि स्वयं के साथ दूसरों का भी भला हो।
इंटरनेट की जानकारी, अपनी आय बढ़ाने के स्रोत के बारे में जानकारी हासिल करना और उस दिशा में पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ना आदि ऐसे कई कार्य हैं जिससे हमारे जीवन को सही दिशा मिल सकती है। 
आज तक जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं उन्होंने इन 24 घंटों में ही अपनी सफलता की कहानी लिखी है। 
2 अपनी प्राथमिकताएं तय करना।
जीवन में खुश रहने के लिए हमें अपनी प्राथमिकता भी तय करनी होगी। कई बार ऐसा होता है कि जल्दबाजी और दिखावे के कारण  अपनी प्रथमिकताओं पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। जिसके कारण हमारी फिजूलखर्ची की आदतें बढ़ती जाती हैं। नतीजा धीरे धीरे हम खुद को कमजोर महसूस करते हैं। 
अपनी फिजूलखर्ची की आदतों पर अंकुश लगाकर हम प्रथमिकताओं पर ध्यान दें तो आने वाले समय में हमे परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एक बात तो तय है कि पैसा हमारी बुनियादी जरूरतों को अवश्य ही पूरी करता है। लेकिन हर समय इसके खर्च की अधिकता हमारे बजट को भी बिगाड़ती है। कभी-कभी हम ऐसी चीजों की खरीदारी भी कर लेते हैं जिसकी हमें जरूरत नही होती है। जब हम इन सब बातों पर गौर करेंगे तो खुद को सुधारने का मौका भी मिलेंगा।
3 सकारात्मक सोच।
खुद को खुश रखने का सबसे  अच्छा तरीका यह है कि हमेशा सकारात्मक सोच बनाये रखें। भले ही आसपास का वातावरण दूषित क्यों न हो। आप भला तो जग भला। अगर हमारी सोच सही है तो तय माने कि आसपास का वातावरण कितना भी दूषित क्यों न हो, हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। 
सही समय पर भोजन और भरपूर नींद अवश्य लें। अच्छे लोगों की संगति और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाते हुए  अपनी मंजिल की तरफ बढ़ सकते हैं।

Sunday, 27 April 2025

एक नजर अपनी भीतरी शक्तियों पर भी : गुड़िया झा

एक नजर अपनी भीतरी शक्तियों पर भी : गुड़िया झा

हमारी बाहरी ताकतें जितना मायने रखती हैं, उससे कहीं ज्यादा हमारे भीतर की ताकत महत्वपूर्ण है। जिंदगी बहुत खूबसूरत है। लेकिन इसमें उतार चढाव का होना भी स्वाभाविक है। इसमें हमारी भीतरी ताकत की असली परीक्षा होती है कि हम किस प्रकार से अपने जीवन में उन चुनौतियों का सामना करते हैं। 
समस्याओं पर ज्यादा बात करने से ज्यादा उसके समाधान पर जोर दिया जाए तो रास्ते भी अपने आप ही निकल जाते हैं। यही वह समय होता है जब हम घुटने टेकने के बजाय यदि डटकर मुकाबला करें तो हमारी असली ताकत की पहचान होती है। साथ ही इससे हम बहुत कुछ सीखते भी हैं। इसके लिए हमें खुद पर भरोसा रखना होगा और जिंदादिली के साथ आगे भी बढ़ना होगा।
1 प्रत्येक क्षण का आनंद लें।
हमारा अधिकांश समय इस बात की चिंता में ही बीत जाता है कि भविष्य में क्या होगा? इसी क्षण में हम इतने परेशान भी रहते हैं कि वर्तमान का सही से आनंद भी नहीं ले पाते हैं। जबकि इसके अनुकूल जब हम खुद को शांत रख कर लचीले बनते हैं तो वर्तमान में जीते भी हैं।
जरा सोचें क्या सिर्फ समस्याओं पर सोचने से समाधान संभव है। दुनिया में कई ऐसे लोग भी है जिन्हें हमसे ज्यादा समस्याएं हैं। तो फिर ऐसे लोग कैसे जिंदादिली से जीते भी हैं। इससे हमें हिम्मत मिलती है और मन से डरावने विचार बाहर भी निकलते हैं साथ  ही एक नई ऊर्जा का संचार भी होता है।     
2 स्वीकारने की कला।
हमारा जीवन विभिन्न प्रकार के रंगों से भरा हुआ है। कभी सुख तो कभी दुख। विपरीत परिस्थितियों में जल्दी विचलित होना स्वाभाविक है। कई बार हम सोचते हैं कि ऐसा हमारे साथ कैसे हो सकता है, ये नहीं होना चाहिए। 
जिन परिस्थितियों पर हमारा कंट्रोल नहीं है, उस पर विचलित होने पर परेशानी और भी बढ़ जाती है। इसलिए जब  हम चुनौतियों को पूरी तरह स्वीकारते हैं कि ठीक है अभी हमारे सामने चुनौतियां हैं तो संभव है कि हमें आगे के रास्ते भी मिलते हैं। 
भावनाओं के उतार चढ़ाव से हम खुद को बेहतर समझ सकते हैं। जो कठिनाई लगती है कि कभी खत्म नहीं होंगी उनका भी अंत होता है। सबसे पहले खुद की मदद करने की ताकत हमारे ही भीतर है।
3 जिम्मेदारी लेना।
जब सब कुछ हमारे साथ अच्छा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हम अपने ऊपर ही लेते हैं कि हमने काफी मेहनत की है। लेकिन जब चुनौतियों की बात आती है तो हम पीछे हट जाते हैं।  चुनौतियों का सामना करने से हमे अपनी वास्तविक क्षमता का पता भी चलता है। चुनौतियों की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ही लेकर उसमें सुधार का प्रयास करने से अनुभव के साथ बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

Wednesday, 9 April 2025

कोई काम नहीं है मुश्किल, जब किया इरादा पक्का : गुड़िया झा

कोई काम नहीं है मुश्किल, जब किया इरादा पक्का : गुड़िया झा
ईश्वर ने हम सभी को बुद्धिमान बनाने के साथ भरपूर क्षमताओं से भी नवाजा है। यह बात अलग है कि कई बार हमें अपनी वास्तविक क्षमता का पता नहीं चलता है और हम गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। परिस्थितियां चाहे जो भी रही हों। जब तक हम नहीं चाहेंगे तब तक  किसी भी प्रकार की नकारात्मक बातें हमारे  भीतर प्रवेश नहीं कर सकती हैं। 

1 समुद्री जहाज से एक सीख। एक समुद्री जहाज को ही लें। समुद्र में सफर करते समय अरबो लीटर गैलन पानी उस जहाज को तब तक डुबो नहीं सकता जब तक कि जहाज उस पानी को अपने भीतर आने ना दें। 
लोग क्या सोचेंगे और बोलेंगे इतना टेंशन लेना  हमारा काम नहीं है। हमारा काम है कि हमसे कोई गलती ना हो । सच्चाई, मेहनत और ईमानदारी से काम करते हुए स्वयं और सबके हित का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना। 
जो कि ज्यादा मुश्किल भी नहीं है। इसके लिए हमें खुद ही प्रयत्न करना होगा।
2 मजबूत इच्छा शक्ति।
किसी भी गलत आदत को छोड़ने के लिए मजबूत इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी है। जैसे- छोटी-छोटी बातों को दिल से लगाना, बेवजह गुस्सा करना, अपनी गलती स्वीकार नहीं करना , आलस्य आदि
जिस समस्या का समाधान बहुत ही आसानी से हो सकता है, उस पर आक्रोशित होकर काम करना क्या हमारे लिए फायदेमंद है? 
गुस्सा आना गलत बात नहीं है लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि कहां पर हमें अपना गुस्सा जाहिर करना है और कहां पर नहीं।
अपनी गलत आदतों के जिम्मेदार हम खुद ही होते हैं। इससे किसी दूसरे का नहीं बल्कि हमारा खुद का ही नुकसान होता है। जब हम इसके फायदे पर ध्यान देंगे तो सम्भवतः हमें अपनी आदतों में सुधार के अवसर भी दिखाई देंगे। बेहतर होगा कि इसके बारे में परिजनों और दोस्तों की मदद लें। 
3  छोटी शुरूआत करें।
अपनी जिन आदतों को हम छोड़ना चाहते हैं और जब उन्हीं के अनुकूल माहौल में रहते हैं, तो उन्हें छोड़ना मुश्किल हो जाता है। 
जैसे- अपना वजन कम करने के इच्छुक व्यक्ति यदि घर में तमाम मीठी, तली-भुनी और सेहत के लिए हानिकारक चीजें रखते हैं, तो मन खाने को जरूर करेगा। इसी प्रकार नशा करने वाला व्यक्ति यदि वैसे ही लोगों के बीच उठता-बैठता रहेगा, तो अपनी आदतों से पीछा छुड़ाना थोड़ा मुश्किल है।
 इसलिए आदत डालने वाले माहौल में बदलाव बहुत जरूरी है।
स्वयं के आकलन से हम यह समझ पाते हैं कि गलती कहां हो रही है। इसका सबसे प्रभावशाली तरीका है खुद से कुछ सवाल पूछना। 
जैसे कई बार जब हम तनाव की स्थिति में होते हैं तो बाहर निकल कर हमारा मन खरीदारी का करता है। तो थोड़ा रूक कर पहले सोचें कि अमुक वस्तु की जरूरत हमें है भी या नहीं?
उसके अलावा हम कुछ भी ऐसा काम करें जिससे कि खुशी महसूस हो। जैसे - कहीं टहलने जाना, किसी से बातें करना आदि। इससे हम महसूस करेंगे कि हमारा तनाव भी दूर होता है। 
खुद में विश्वास भी बहुत जरूरी है।