Sunday, 24 November 2024

जो रहेगा व्यस्त वह स्वस्थ और मस्त भी : गुड़िया झा

जो रहेगा व्यस्त वह स्वस्थ और मस्त भी : गुड़िया झा

कहा जाता है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए व्यस्त रहना भी जरूरी है। खाली बैठने से कई अनावश्यक बातें दिलों-दिमाग में आने लगती हैं। जिससे कई प्रकार की चिंताएं उत्पन्न होती हैं। इसके कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन सबका सबसे ज्यादा असर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्वास्थ्य प्रभावित होने का मतलब है कई प्रकार की बीमारियों को आमंत्रित करना। जब हमारा स्वास्थ्य ही ठीक नहीं रहेगा तो हम अपनी जिंदगी को जिंदादिली से कैसे जी सकते हैं।

1 रूचियों को जगाएं 
जिनको जिस कार्य में रूचि है, उसे वह पूरी तन्मयता के साथ संपन्न करें। इसका परिणाम यह होगा कि हमारे भीतर अपने काम के प्रति समर्पण की भावना उत्पन्न होगी तथा मस्तिष्क अनावश्यक बातों में उलझने के बजाय आवश्यक बातों में व्यस्त रहेगा। बच्चे, युवक, बुजुर्ग सभी को अपनी रूचि और क्षमता के अनुसार अपनी दिनचर्या तय करनी चाहिए।

2 छोटे-मोटे कामों में व्यस्त हों।
बच्चों को छोटे-छोटे कार्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। जैसे- स्कूल बैग को रूटीन के अनुसार व्यवस्थित रूप से रखना, कपड़े फोल्ड कर एक जगह करना आदि।
घर में जो अनावश्यक चीजें हैं, उन्हें एक-एक कर हटा दें। घर के बाहर कहीं छोटी सी जगह में भी क्यारी बनाकर फूलों के पौधे लगाए जा सकते हैं। पेंटिंग बनाना, क्राफ्ट बनाना, लिखना, संगीत सीखना, अपनी पसंद की किताबें पढ़ना आदि कई ऐसे कार्य हैं जिनमें रूचि के साथ रोजगार के भी पर्याप्त साधन हैं।

3 बुजुर्गों के लिए।
रिटायरमेंट के बाद और बच्चों के बाहर रहने के कारण अधिकांश बुजुर्ग खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। अनावश्यक सोचने से भी उन्हें कई तरह की शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। उनके लिए यह बेहतर है कि वे अपने आसपास के पार्क में थोड़ी देर टहलें। इससे वहां उनकी उम्र के भी कई साथी भी मिल सकते हैं। वे चाहें तो किशोरों को पढ़ाई से संबंधित और अपने जीवन के अनुभवों से अवगत कराकर उन्हें भी प्रेरित कर सकते हैं। खाली समय में अपनी डायरी और कुछ किताबें भी लिख सकते हैं। भजन, गजल, और अपनी पसंद की फिल्मों का भी आनंद लिया जा सकता है।

No comments:

Post a Comment