Saturday 7 September 2024

चंद्रदेव की आराधना का पर्व चौठचन्द्र : गुड़िया झा

चंद्रदेव की आराधना का पर्व चौठचन्द्र : गुड़िया झा

हमारा देश भारत अपनी विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां प्रकृति से जुड़ी हर एक चीज की पूजा की जाती है। उन्ही  में से एक है बिहार के मिथिलांचल में मनाया जाने वाला चंद्रदेव की आराधना का पर्व चौठचन्द्र। यह भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
एक नजर इसके विधि-विधान और पौराणिक मान्यता पर।
1 विधि-विधान।
इस दिन स्नान कर पूरे घर आंगन  की सफाई की जाती है और अगर स्थान मिट्टी वाला हो तो गाय के गोबर से लिपाई की जाती है। फिर अरवा चावल को पानी में भिंगोने के बाद उसे पीसकर पेस्ट तैयार कर उस पेस्ट से आंगन में चंद्रदेव की आकृति के साथ मां गौरी और भगवान श्री गणेश की आकृति ( अरिपन ) बनाने के बाद उसपर सिंदूर का टीका भी लगाया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रख कर पूरे दिन पकवान तैयार करती हैं। फिर सभी पकवानों और विभिन्न प्रकार के फलों को बांस से बनी छोटी-छोटी डालियों पर सजाया जाता है। एक दिन पहले ही शुद्ध गाय के दूध से मिट्टी के बर्तनों में दही जमाया जाता है। जितने भी घर के सदस्य होते हैं उतनी ही पकवानों की डालियां और दही के बर्तनों को भी तैयार किया जाता है। 
चंद्रदेव की आकृति के अल्पना ( अरिपन ) के ऊपर केले के पत्ते पर फूल, दीपक, चन्दन, अक्षत आदि अर्पित कर शाम को सूर्यास्त के बाद और चंद्रदेव के निकलने के बाद एक -एक कर सभी पकवानों की डालियों और दही के बर्तनों को हाथ में लेकर पूरे मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
2 पौराणिक मान्यता का विशेष महत्व।
एक दिन भगवान श्री गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश के भ्रमण पर निकले थे। तभी उन्हें चंद्रदेव के हंसने की आवाज सुनाई दी। भगवान गणेश ने चंद्रदेव से उनके हंसने का कारण पूछा। इस पर चंद्रदेव ने कहा कि भगवान गणेश का विचित्र रूप देखकर उन्हें हंसी आ रही है। मजाक उड़ाने की इस  प्रवृत्ति को देख कर गणेश जी को काफी गुस्सा आया। उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दिया और कहा कि जिस रूप का उन्हें इतना अभिमान है वह रूप आज से कुरूप हो जाएगा। कोई भी व्यक्ति जो चंद्रदेव को इस दिन देखेगा, उसे झूठा कलंक लगेगा। यह बात सुनते ही चंद्रदेव भगवान गणेश के सामने क्षमा मांगने लगे। उन्होंने भगवान गणेश को खुश करने के लिए भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की तथा उनके लिए व्रत रखा। तब भगवान गणेश ने चंद्रदेव को माफ कर दिया और कहा कि वे अपनी बात को वापस तो नहीं ले सकते परंतु वह उसका असर कम कर सकते हैं। 
उन्होंने कहा कि यदि चंद्रदेव के झूठे आरोप से किसी व्यक्ति को बचना है तो उसे गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा की पूजा भी करनी होगी।

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