अभी हमारे देश में चारो ओर मां दुर्गा के आगमन को लेकर खुशी का माहौल है। ये खुशियां यूं ही हमेशा बनी रहे। नवरात्र हमें संदेश देता है कि संगठन में बहुत ही शक्ति है। संगठित होने से ही परिवार, समाज और राष्ट्र की समस्याओं का समाधान भी संभव है। जीवन में चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए स्त्री या पुरूष शक्ति नहीं बल्कि संगठित शक्ति की जरूरत है। दुर्गा पूजा की तैयारियों से ही बहुत कुछ सीखने को मिलता है कि किस तरह से पूरे देश में हजारों की संख्या में लोग रातों को जागकर पूजा पंडालों की तैयारी को अंतिम रूप देते हैं । स्वयं मां दुर्गा की संरचना भी ब्रह्मा, विष्णु, महेश और कई देवताओं के संगठित होने से हुई है।
श्री दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक अध्याय में संगठन का सबसे अच्छा उदाहरण मिलता है।
संगठन जीवन के मनोदशा को बदलने वाली एक ऐसी शक्ति है जिसके आगे बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी आसानी से समाप्त किया जा सकता है।
आज जो हमारे देश में समस्याएं हैं उसके लिए भी हमें संगठन में रह कर ही उसे दूर किया जा सकता है। संगठन को मजबूत बनाना बहुत मुश्किल भी नहीं है। इसके लिए थोड़ी सी सहजता हमें रखनी होगी और शुरूआत भी खुद से ही करनी होगी तभी यह एक मजबूत पिलर की तरह कार्य करेगा।
1 जाति और धर्म से ऊपर उठकर कार्य करने की आवश्यकता।
"मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।"
यह किसी भी धार्मिक ग्रंथ में नहीं लिखा है कि धर्म के नाम पर हम सभी आपस में बंट जाएं। मानवता सभी धर्मों से ऊपर है। आज हमारे देश में अधिकांश समस्याएं जाति और धर्म को लेकर ही उत्पन्न होती हैं। जहां शिक्षा के स्तर में काफी सुधार और बदलाव हुए हैं वहीं जाति और धर्म के नाम पर संगठन के विकास में दरारें भी आ रही हैं। इसलिए जहां कहीं भी अपनी आवश्यकता महसूस हो संगठन में सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर आगे बढ़ें।
2 सभी धर्मों का सम्मान हो।
देश में आपसी भाईचारा बना रहे इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि सभी धर्मों का सम्मान हो। आज देश में आतंकवादी गतिविधियां काफी सक्रिय हो गई हैं। देश की सीमा पर रक्षा करने वाले जवान शहीद हो रहे हैं। आज हम रातों को चैन की नींद इसलिए सोते हैं क्योंकि ये जवान रातों को जागकर देश की रक्षा करते हैं। ऐसे कठिन समय में इसे राजनीति का नाम न देकर सभी को मिलकर आतंकवाद से लड़ना होगा और अपने पराए की भावना से ऊपर उठना होगा ताकि हमारा देश सुरक्षित रहे।
No comments:
Post a Comment