अपने सपनों को भी दें एक ऊंची उड़ान : गुड़िया झा
ये मत कहो खुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं, मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है।
आमतौर पर देखा जाता है कि हम अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं, अपने सपनों को मन में संजोए रखते हैं। कई परिस्थितियों के कारण जब ये पूरे नहीं हो पाते हैं तो हमारे मन में एक अजीब सी निराशा उत्पन्न होती है। क्यों न इस निराशा को आशा में बदल कर फिर से जुट जाएं एक नई शुरूआत के लिए। बस जरूरत है हमें जागरूक होने की जो बहुत मुश्किल भी नहीं है।
1 जब जागो तभी सबेरा।
जब भी अवसर मिले पूरी तत्परता से अपने सपनों को पूरा करने के लिए कदम आगे बढ़ाएं। कभी भी अपने में ये भ्रम ना पालें कि इतने दिनों तक कुछ नहीं किया तो अब करके क्या फायदा।
बस हमारे हौसले बुलंद होने चाहिए। मेहनत से किया गया कोई भी काम छोटा नहीं होता। घर की छत तक पहुंचने के लिए एक एक सीढ़ियों पर ही पहले चढ़ना होता है। ठीक उसी प्रकार बड़ी सफलता हासिल करने के लिए छोटी छोटी बाधाओं को पार करना ही होगा। खट्टे मीठे उतार चढ़ाव का भी अपना एक अलग ही मजा है।
2 अपनी योग्यता और क्षमता को पहचानें।
हर किसी की अपनी विशेष क्षमता होती है। अपने सपनों को नया आयाम देने के लिए सबसे पहले अपनी योग्यता और क्षमता को पहचानें। इससे हमें आगे बढ़ने के लिए रास्ते भी अपने आप ही मिल जायेंगे।
भीड़ के पीछे अनावश्यक दौड़ने से अच्छा है कि अपनी काबिलियत पर भरोसा रखें।
क्योंकि भीड़ में अक्सर हम अपनें वजूद को खो देते हैं। अगर वहां भी कुछ सीखने को मिले तो उससे पीछे नहीं हटें ।
3 आलोचनाओं से घबराना कैसा।
अक्सर आलोचनाओं से हम घबरा जाते हैं। खुश रहें यह सोच कर कि कहीं तो हमारी चर्चा होती है। सबकी बातो को गंभीरता से सुने और अनावश्यक प्रतिक्रिया देने से बचें। इससे मन शांत रहता है। आलोचनाओं से भी अपनी कुछ कमियों को दूर कर नया सीखा जा सकता है।
जो साधन हमारे पास मौजूद नहीं है उसके बारे में ज्यादा सोच कर समय बर्बाद करने से अच्छा है कि वर्तमान में जो हमारे पास है उसके दम पर आगे बढ़ें।