राची, झारखण्ड | अप्रैल | 05, 2023 ::
बेहतर स्वास्थ्य ही हमारा सबसे बड़ा धन है,यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं।लेकिन इसे बनाये रखने के लिए हमेशा सक्रिय नहीं रहते हैं। समय का अभाव और भागदौड़ भरी जिंदगी में हम बहुत कुछ पाने के लिए लगातार सुबह से शाम तक काफी मेहनत भी करते हैं जिससे कि हम एक बेहतर जीवन जी सकें। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इस दौड़ में हम अपने स्वास्थ्य के प्रति कितने ज्यादा लापरवाह होते जा रहे हैं। बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहतर दिनचर्या का होना भी बहुत जरूरी है। जिसमें रात को सही समय पर सोने से लेकर सुबह जल्दी उठने और बहुत से कार्यों के बीच भी सामंजस्य स्थापित करते हुए सही समय पर नाश्ता और भोजन भी शामिल है। जीवन को हर पल उत्साहपूर्वक जीने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य बेहद जरूरी है।
इसके अलावा शारीरिक स्वास्थ्य को फिट रखने में हमारी स्वच्छ मानसिकता की भूमिका भी अहम है। बहुत छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों को अपने जीवन में लागू कर खुद के साथ दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।
1. सामंजस्य की कला
जब कोई भी बात हमारे मन के अनुकूल नहीं होती है तब हम काफी परेशान हो जाते हैं। धीरे-धीरे यही परेशानी तनाव का रूप लेती है। जिसका नतीजा यह होता है कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य बहुत ही ज्यादा प्रभावित होता है। जब तक हम किसी भी परिस्थिति को स्वीकार नहीं करते हैं तब तक हम परेशान रहते हैं। जैसे ही हम पूरी तरह से स्वीकार करने की स्थिति में होते हैं वैसे ही हमारा दिल और दिमाग दोनों ही शांत होने लगता है। अपने जीवन में सकारात्मक विचारों को बनाये रखना और अक्सर ऐसे ही लोगों की संगति में रहना हमारे स्वास्थ्य को उत्तम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2, शिकायतों से दूरी
शारीरिक स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करने में हमारे मन और मस्तिष्क में दबी हुई लोगों के प्रति जो शिकायत और नाराजगी रहती है, वह धीरे-धीरे हमारे शरीर को खोखला कर देती है। शिकायतों के बारे में कहा जाता है कि यह वो जहर है जिसे पीते हम हैं और सोचते हैं कि इसका असर दूसरों पर हो। लेकिन ऐसा होता नहीं है। इसके शिकार हम खुद ही होते हैं। शिकायतों को पकड़कर रखने, बदले की भावना आदि ऐसी बातें हैं जो अपने आसपास अच्छी चीजों को हमें अपनानें नहीं देती हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि हमारे चेहरे पर मुस्कान तो दूर की बात है, अपने आसपास अच्छे लोगों की संगति से भी हम दूर हो जाते हैं।
जब भी मन में शिकायत की भावना आये, तो उसे एक कागज पर लिख लें। इससे एक ओर तो जहां हमारे मस्तिष्क से गंदगी दूर होगी वहीं दूसरी ओर अच्छी बातों को अपनाने के लिए जगह भी मिलेगी।
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