दूषित पानी की समस्या को दूर कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाया जा सकता है : गुड़िया झा
कहते हैं कि आज के बच्चे आने वाले समय में देश का भविष्य हैं।इसी बात का संकल्प लेकर हम उन नन्हें बच्चों को स्कूल बेहतर भविष्य के लिए भेजते हैं।क्या सिर्फ स्कूल भेजने मात्र से हम अपनी जिम्मेदारी पूरी कर पायेंगे? क्या सिर्फ पढ़ाई से उनके बेहतर कल की कामना हम कर सकते हैं?
इन सबसे ऊपर जो है, वह है उनका स्वास्थ्य।उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए हमें स्वच्छ भोजन के साथ स्वच्छ पेयजल की भी व्यवस्था करनी होगी।राजधानी रांची के सरकारी स्कूलों में पीने के पानी को लेकर काफी समस्या है।कहीं, छात्रों को गंदा, मटमैला पानी मिल रहा है तो कहीं भोजन के लिए स्कूल प्रबंधन दूसरों पर आश्रित है।खासकर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में ऐसी समस्याएं अधिक हैं।यह स्थिति तब है, जब विगत कुछ वर्षों में स्कूलों में पानी की समस्या को लेकर सरकार और नगर निगम की ओर से स्कूलों में बोरिंग और चापाकल लगाए गए हैं।
शहर के कई स्कूल ऐसे हैं, जिनमें छोटी- मोटी समस्या के कारण पेयजल की समस्या बनी हुई है।कहीं मोटर खराब है तो कहीं चापाकल की चोरी हो गई है।कहीं बोरिंग है भी तो जलस्तर नीचे चले जाने के कारण पानी टंकी में नहीं पहुंच पाता है।इसकी वजह से बच्चों को पीने और रसोइए को भोजन बनाने में भी परेशानी होती है।कई स्कूल परिसर में तो छात्रों की संख्या अधिक होने से नगर निगम से टैंकर मंगवाकर भोजन के लिए पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है।कई बार बच्चों को आसपास के घरों या फिर दूसरे चापानल पर जाकर पानी पीना पड़ता है।जिन सरकारी स्कूलों में पानी की व्यवस्था है, वहां आयरनयुक्त पानी निकलता है।फिल्टर करने की कोई सुविधा नहीं है।कई स्कूलों में लगी जलमीनार भी खराब हो चुकी है।कुछ बच्चे अपने घर से ही पानी की बोतल लेकर पहुंच रहे हैं।
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