यातना ना दें और यातना से बचें : गुड़िया झा
यातना पीड़ितों के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 26 जून को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवीय अत्याचारों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
क्या होती है यातना। यह वर्तमान परिवेश में किसी को भी बताने की जरूरत नहीं होती है। मामूली रूप से किसी को भी डराया या धमकाया जाना भी घोर अपराध माना जाता है।
सबसे पहले शुरूआत खुद से करें। किसी को भी प्रताड़ित करना गलत तो है ही, लेकिन उससे भी बड़ी गलती है उसे लंबे समय तक सहन कर चुप हो जाना। इससे सामने वाले कि हिम्मत ज्यादा बढ़ती जाती है। ऐसा किसी के भी साथ ना हो इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि जब भी यह एहसास हो कि हमें किसी भी तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है, तो पहले शालीनता से समझाने की कोशिश करें, फिर जब बात ना बने तो सख्ती से पेश आएं। हमारा आत्मसम्मान ही सबसे बड़ी पूंजी है। इसी तरह दूसरे के आत्मसम्मान की रक्षा करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है।
दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को कानून के दायरे में रह कर अपने तरीके से जीवन जीने का अधिकार है। जब तक हम नहीं चाहेंगे, हमें कोई नहीं प्रताड़ित कर सकता है।
यह सोच कर कभी हताश न हों कि हम अकेले हैं, बल्कि यह सोच कर डटें रहें कि हम अकेले ही काफी हैं। अगर आप गलत नहीं हैं तो पीछे हटने की जरूरत नहीं है और ना ही अपने मन में किसी भी तरह की हीन भावना लाने की जरूरत है। अनुभवी लोगों से सलाह अवश्य लें। अपनी सुरक्षा और अपने अधिकारों के लिए हर किसी को जागरूक रहने की जरूरत है।
साथ में ध्यान यह भी रहे कि हमारी तरफ से भी किसी को प्रताड़ना का शिकार नहीं होना पड़े।
एक कहावत है कि किसी को दुख पहुंचाकर चाहे कितनी भी पूजा और हवन किया जाए, तो कोई फायदा नहीं। हमारे कारण किसी के भी चेहरे पर खुशी आये, तो असली पूजा यही है।
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