मन उजियारा जब-जब होय, जग उजियारा होय : गुड़िया झा
अगर हमारा दिमाग स्वथ्य है तो जीवन के हर क्षेत्र में हम सक्रिय होते हैं। क्योंकि सारा खेल दिमाग का ही है। अपने दिमाग का सही उपयोग करके हम अपने फील्ड के बादशाह बन सकते हैं। जिन लोगों ने इतिहास रचा है, उनका दिमाग उनके कंट्रोल में था। वे अपने दिमाग के कंट्रोल में नहीं थे। कहते हैं कि लाइट और साउंड की स्पीड सबसे तेज होती है। लेकिन दिमाग की स्पीड ने सबको पीछे छोड़ दिया है। कुछ चीजें आंखों से दूर होने के बाद भी सालों साल तक दिमाग में चलती रहती हैं। जीवन में सभी लड़ाइयां पहले दिमाग में चलती हैं, फिर मैदान में उतरती हैं।
जिंदगी में सबसे अच्छी और सबसे बुरी बात का सबसे पहला असर हमारे दिमाग पर पड़ता है और दिमाग पर असर पड़ने से सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। एक रिसर्च के अनुसार रिश्तों का हमारे दिमाग पर सबसे ज्यादा असर होता है। जिनके पास मजबूत रिश्ते हैं वे ज्यादा खुश रहते हैं।
इसके अलावा कुछ झूठ इतनी शिद्दत से मान लिए जाते हैं कि वह सच लगने लगता है। फिर हमारा शरीर भी उसी तरह से काम करने लगता है।
कुछ बातों का ध्यान रख कर हम अपनी सोच को एक मजबूत दिशा दे सकते हैं।
1 हर हाल में अच्छा सोचें।
हमारा सबसे बड़ा एकाउंट हमारा दिमाग है। इसमें हम जिस तरह की सोच डालते हैं, रिजल्ट भी उसी तरह से मिलता है। हम अपनी सोच के ही प्रोडक्ट हैं। तो क्यों न हम अच्छा ही सोचें। अपने आसपास चाहे लाख नकारात्मकता हो खुद सकारात्मक रहें। सकारात्मक लोग हमेशा ही ऊर्जावान होते हैं। वे हर बात का सशक्त अर्थ देते हैं।
2 अकेलेपन से बचें और हंसने का बहाना ढूंढें।
जहां तक संभव हो सके अपना सामाजिक दायरा बढाते रहें और हमेशा दोस्ताना माहौल बनाना भी जरूरी है। मजाक-मस्ती भी करें जिससे हंसने के मौके भी मिले। कहा जाता है कि प्रसन्नचित्त में ईश्वर का वास होता है। उदास और चिंता में बने रहने के हजार कारण है। उन्हें तलाशने की जरूरत नहीं होती है,जबकि हंसी के लिए माहौल बनाना पड़ता है।
हम जितना ज्यादा खुश रहेंगे परेशानियां भी हमसे उतनी ही दूर रहेंगी। अपने दिमाग को कभी खाली नहीं रहने दें क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
अगर किसी कारणवश अकेले रहना भी पड़े तो किताबों से दोस्ती करें।
3 अध्यात्म भी जरूरी।
अध्यात्म के बिना तो हमारा जीवन अधूरा है। आध्यात्मिक शक्ति हमें गलत रास्तों पर जाने से रोकती है। जीवन में अगर हर कार्य जरूरी है तो थोड़ा सा समय हम ईश्वर के ध्यान में लगा ही सकते हैं। इससे दिमाग को बहुत शांति मिलती है।
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