श्रीमद्भागवत समस्त वेदों का तिलक है : पंडित अमरनाथ चौबे
भागवत पुराण मृत्यु को भी मंगलमय बना देता है
श्रीकृष्ण परिपूर्ण योगी हैं, उनको कोई बंधन में नहीं बांध सकता
हवन से वातावरण और वायुमंडल शुद्ध तो होता है, आत्मिक बल बढ़ता है
लोहरदगा महादेव आश्रम में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ हवन, भंडारे और महाआरती के साथ सम्पन्न
श्रीकृष्णा और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनकर भाव विह्वल हुए श्रद्धालु
लोहरदगा, ।
उपनगरीय क्षेत्र महादेव आश्रम बुढ़वा महादेव मंदिर परिसर और मंजूरमती हाई स्कूल लोहरदगा के प्रेक्षागृह में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ मंगलवार को श्रीकृष्णा और सुदामा के मित्रता की कथा, पूर्णाहुति,भंडारे और महाआरती के साथ संपन्न हो गया।
भागवत ज्ञान कथा की आखिरी दिन सात नवंबर को बड़ी संख्या में भक्तजन उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों से शामिल से शामिल हुए। देर रात तक यह कार्यक्रम चला रहा।
भागवत कथा के अंतिम दिन श्री कृष्ण- सुदामा मिलन पर कथा वाचक पंडित अमरनाथ चौबे ने वाचन किया।
कथा में बताया गया कि कैसे गरीब ब्राह्मण सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर न चाहते हुए भी द्वारिका जाने को तैयार होते हैं। सुदामा को श्रीकृष्ण से मिलने से द्वारपाल रोकता है। सखा श्रीकृष्ण- सुदामा से मिलने के लिए अपने सिंहासन से उतरकर नंगे पांव दौड़ पड़ते हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण सुदामा को गले लगाते हैं। सखा सुदामा से बचपन की बातें करते है। हालचाल पूछते है। अंत मे सुदामा के अपने गांव जाने पूर्व श्री कृष्ण कैसे सुदामा के घर को महल में तब्दील कर धन धान्य से भरपूर कर देते हैं।
किसी भी धार्मिक आयोजन के उपरांत हवन की महत्ता पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हवन से वातावरण और वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। हवन यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं।कथा समापन के मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ कथा प्रेक्षागृह में मौजूद रही।
श्रीमद्भागवत कथा जहां होती है। वहां की धरती पवित्र हो जाती है। इसलिए भागवत कथा का श्रवण पूरे श्रद्धा, विश्वास और भक्तिभाव से करना चाहिए।उक्त बातें वाराणसी से आए कथा व्यास पंडित अमरनाथ चौबे ने कही।
उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा की भागवत समस्त वेदों का तिलक है।यह पुराण मृत्यु को भी मंगलमय बना देता है। भागवत व्यक्ति को शांति देने वाला और समाज को क्रांति देने वाला है। भागवत रस है, मीठा रस है।हम सभी भगवान के इस मीठे रस का पान करते हैं। दुनियां के लोग रस मुंह से पीते हैं, जबकि भगवान का रस कानों से पिया जाता है।अतः भागवत कथा महान है। यह काफी महत्वपूर्ण है। कथा का आनंद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने लिया।
वाराणसी से आए युवा संत पंडित अमरनाथ चौबे ने श्रीमद्भागवत कथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण माया से परे हैं। उन पर माया का कोई प्रभाव नही पड़ता। श्रीकृष्ण परिपूर्ण योगी हैं, उनको कोई बंधन में नहीं बांध सकता। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों और राधारानी का अभिमान नहीं रहने दिया। भगवान तो निर्मल हदय में वास करते है। भगवान का मन निर्मल है। जिसका मन निर्मल है, भगवान का वहां निवास है।
मंगलवार को भी बुढ़वा महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया गया।इस दौरान मदन मोहन पांडेय ने कहा कि जीव का मन निर्मल होगा, तो भगवान पीछे-पीछे दौड़े आएगें।जीव को किसी भी वस्तु का अभिमान नहीं करना चाहिए। जीव को केवल प्रेम ही प्रेम होना चाहिए। प्रेम ही भगवान के मिलने का सही रास्ता है। जीव को दूसरों के गुण देखनी चाहिए, अपितु अवगुणों से परहेज करना होगा।
कथा का संचालन मुख्य यजमान मदन मोहन पांडेय और रीता पांडेय ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मनोज्ञ पांडेय, ऋषभ, अनुपम निधि पांडेय, कृपा शंकर पांडेय, रूपा पांडेय, रामस्वरूप प्रसाद, सुदीप्ता मुखर्जी, अनिल ठाकुर, विवेक कुमार सिद्धार्थ, ममता अग्रवाल, नंदकुमार पांडेय, राजेंद्र प्रसाद खत्री, राजेंद्र प्रताप देव, कृपा प्रसाद सिंह, दीपा कुमारी,शांति कुमारी, सुनीता कुमारी,अनुराधा कुमारी आदि ने योगदान किया।
फोटो- लोहरदगा महादेव आश्रम बुढ़वा महादेव मंदिर परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के समापन पर हवन करते कथावाचक और यजमान।
फोटो- कथा व्यास में विराजमान पंडित अमरनाथ चौबे और यजमान मदन मोहन पांडेय- रीता पांडेय।
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