Monday, 31 March 2025

जीवन के चार दोस्त ये भी : गुड़िया झा

जीवन के चार दोस्त ये भी : गुड़िया झा

वैसे तो हम जहां भी रहते हैं, वहां के माहौल में कुछ ही दिनों में घुलमिल भी जाते हैं। फिर उस हिसाब से खुद को ढालते भी हैं। बहुत कुछ हमारे ऊपर भी निर्भर करता है कि हम अपने आसपास के सही चीजों से तालमेल बैठाएं और गलत चीजों से किनारा कर लें। इस मामले में भावनाओं में नहीं बहना है बल्कि हमारे लिए जो सही है उस पर ध्यान देने की जरूरत है।  एक नजर अपने आसपास के इन चार दोस्तों पर।
1 संगति।
बात जब दोस्तों की आती है, तो इस मामले में हमें सतर्क रहने की जरूरत है। अच्छी संगति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अच्छे दोस्तों का साथ जीवन संवार देता है। जो दोस्त आपके द्वारा किये गए गलत कार्यों पर आपको तुरंत रोकटोक करे, वह दोस्त कभी भी आपको गलत रास्तों पर नहीं जाने देगा। भले ही कुछ समय के लिए हमें उसका विरोध अच्छा ना लगे। 
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का जवाब नहीं। एक ने दुख में कुछ मांगा भी नहीं और दूसरे ने बहुत कुछ देकर जताया भी नहीं। 
जब दोस्त दूर दूसरे शहर में भी हों, तो समय-समय पर उनसे हालचाल लेते रहें।
2 किताब।
चाहे हम घर मे अकेले हों या फिर सफर में। अच्छी किताबें हमें कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होने देती हैं। ये हमारे मन और मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव डालती हैं। किताबों के बारे में एक कहावत यह है कि  ये किसी से कुछ कहती तो नहीं हैं लेकिन बिन कहे बहुत कुछ सिखाती भी हैं। यह मेरा अपना भी व्यक्तिगत अनुभव है। जब कभी भी मुझे नींद नहीं आती है, तो मैं किताबें पढ़ती हूं। 
जब कोई पंक्ति बहुत महत्वपूर्ण हो, तो उसे पेंसिल से अंडरलाइन कर लें ताकि जब भी आप उसे भूल जाएं, तो पन्नों को पलट कर देख सकते हैं और इसके बारे में लोगों को बता भी सकते हैं। 
किताबें हमें कभी भी गुमराह नहीं करती हैं।
3 रास्ता।
रास्ते पर तो गाड़ियां भी बहुत तेजी से चलती हैं। लेकिन उनकी दिशा और गति तभी कामयाब होती है जब वे अपने गंतव्य तक सही सलामत पहुंच जाती हैं। 
ठीक यही बात हम इंसान के साथ भी लागू होती है। गलत दिशा में भीड़ के पीछे चलने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि सही दिशा में हम अकेले ही चलें। क्योंकि भीड़ में हम अक्सर अपने अस्तित्व को खो देते हैं। किसी के आसपास खड़े होने से किरदार नहीं बनते। बल्कि खुद अपनी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनानी पड़ती है। हर किसी को अपना दायरा पता होता है। इसलिए अपने दायरे में रह कर आगे बढ़ते जाएं।
4 सोच।
सबसे बड़ा खजाना हमारा दिमाग होता है। हम अपनी सोच के ही प्रोडक्ट हैं। गलत विचारों को अपने दिमाग में आने से पहले ही रोक दें। मेडिटेशन से मन शांत रहता है। 
खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए जब कभी भी फुरसत में हों, तो खुद को व्यस्त रखें। इस क्षण में अपनी पसंद के कार्य करें। जैसे संगीत सुने, अपनी पसंद के मूवी देखे, फोन पर रिश्तेदारों से कुशलता पूछें, पौधों में पानी डालें,अपनी पसंद के डिश बनाएं आदि।

Friday, 28 March 2025

अकेले हैं तो क्या कम हैं : गुड़िया झा

अकेले हैं तो क्या कम हैं : गुड़िया झा

किसी ने क्या खूब कहा है कि किताब से सीखें तो नींद आती है और अगर जिंदगी सिखाए तो नींद उड़ जाती है। कई बार जीवन में ऐसे दौड़ भी आते हैं, जब हमें अकेले ही चलना होता है। इससे मन विचलित होता है और एक अजीब सी घबराहट का होना भी स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि जो हमारे सबसे नजदीकी हैं उनसे हम परामर्श लें। उस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि हम जहां भी रहें वहां नकारात्मकता ना रहे। यही वह समय होता है जब हमें पूरे धैर्य के साथ सिर्फ अपने काम पर ही फोकस करना होता है। अपने काम से जितना ज्यादा प्यार करेंगे, उतने ही ज्यादा खुश रहेंगे। कभी ये सोच कर निराश ना हों कि अकेले हैं, बल्कि यह सोच कर डटे रहे कि अकेले हैं तो क्या कम हैं।

1 आत्मविश्वास बनाये रखें।
दुनिया में सबसे कीमती गहना हमारा परिश्रम है और सबसे अच्छा साथी अपना आत्मविश्वास। जिस दिन से हमने परिश्रम करना छोड़ दिया उस दिन से कई रास्ते भी बंद हो जाते हैं। जिस भी कार्य में निपुण हैं, उसी क्षेत्र में पूर्ण समर्पण के साथ लगे रहें। इससे धीरे-धीरे हमारे मन में आत्मविश्वास बढ़ता जाता है। फिर देखें चाहे परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हो आप चट्टान की तरह खुद को मज़बूत पाएँगे। 
सुनाने वाले भी आपको बहुत कुछ सुनाएंगे पर ध्यान रहे कि हिम्मत नहीं तो प्रतिष्ठा नहीं और विरोधी नहीं तो प्रगति नहीं। बस, हाथी की चाल  चलते जाएं। 

2 जीतेंगे या फिर सीखेंगे।
जब भी यह विचार आये की हमने तो अपनी तरफ से पूरा परिश्रम किया फिर हमें अपने हिसाब से रिजल्ट क्यों नहीं मिल रहा है। तो यह तय मानें कि अगर हम जीत नहीं पाए, तो उससे बहुत कुछ सिख भी रहे हैं। जिंदगी जो सबक सिखाती है वह हमें किसी भी स्कूल और कॉलेजों में सीखने को नहीं मिलती है। 
अनुभवों से मिली सीख आगे किसी तरह की गलती ना करने की संकेत देती है और निरंतर सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है। इससे हमारे व्यक्तित्व में निखार भी आता है।

3 छोटी-छोटी रिस्क लें।
कई बार कुछ महत्वपूर्ण कार्य हमारे हाथों से इसलिए भी निकल जाते हैं कि हम जैसे हैं वैसे ही बने रहना चाहते हैं। थोड़ा सा भी रिस्क लेने से घबराते हैं। कंफर्ट जोन छोड़ना नहीं चाहते हैं। दिल कुछ कहता है और दिमाग कुछ और। 
पता नहीं क्या होगा? 
लोग क्या कहेंगे? कहीं कोई नाराज ना हो जाए? 
तो ध्यान रहे कि हर छोटे से  रिस्क में भी बड़ी संभावनाएं छिपी होती हैं। जब हम थोड़ा आगे बढ़ते हैं, तो कई कार्यों की संभावनाएं देखने को मिलती है।
जिंदगी भी एक परीक्षा ही है। यहां दूसरों की नकल करने से अच्छा यह है कि हमें यह ध्यान रहे कि इसमें सभी के पेपर अलग-अलग होते हैं।

Friday, 7 March 2025

महिला दिवस पर विशेष ::शान से कहें कि हम नारी हैं : गुड़िया झा

महिला दिवस पर विशेष ::शान से कहें कि हम नारी हैं : गुड़िया झा
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का दिन महिलाओं की उपलब्धियों को सलाम करने का दिन है। हर वर्ष 8 मार्च का दिन पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
वैसे तो महिला प्रत्येक दिन ही सम्मान के लायक है। चाहे घर हो बाहर ऐसा कौन सा दिन है जहां महिलाएं अपना योगदान नहीं देती हैं। बेटी, बहन, पत्नी, मां और कई रिश्तों को निभाते हुए भी जब वो अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखती है। इतना ही नहीं जब वो नौ महीने अपने गर्भ में रख कर बहुत सी शारीरिक समस्याओं से जूझते हुए बच्चे को जन्म देती है, तो वह महिला साधारण कैसे हो सकती है। बात जब महिलाओं की आती है, तो तनाव का सबसे ज्यादा बोझ उनके ऊपर ही आता है। ऐसे में यह जरूरी है कि वे भी खुल कर जिएं। अपने लिए समय निकालें।  अपनी दिनचर्या में छोटी छोटी बातों पर ध्यान देकर भी हम खुशियां पा सकते हैं।
1 सेहत पहली प्राथमिकता।
आमतौर पर कहा जाता है कि ये मेरा अपना है, वह मेरा अपना है।  वास्तव में हमारा सबसे सच्चा साथी हमारी सेहत है। जिस दिन सेहत ने साथ छोड़ा उस दिन से हम हर रिश्ते के लिए बोझ बन जायेंगे। जब हम खुद ही फिट रहेंगे, तभी जीवन का सही आनंद भी ले सकेंगे। जीवन है तो स्वाभाविक है कि जिम्मेदारियां होंगी। घर और बाहर की जिम्मेदारियों का अच्छी तरह से निर्वाहन करने के लिए स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। यह भी  सही है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। 
2 खुद से प्यार करें।
अक्सर हमारी यह धारणा होती है कि हम चाहे कितने भी सभी के प्रति जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएं फिर भी हमें कोई क्रेडिट नहीं देता। तो ध्यान रहे कि क्रेडिट लेने के चक्कर में हम खुद को ही दुखी करते हैं। खुद ही अपने आप को क्रेडिट दीजिए तो यह कि हमने अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।  हम कितने सही हैं  ये सिर्फ अपनी अंतरात्मा और परमात्मा इन दो लोगों को ही ज्यादा पता होता है।
3 अपने शौक भी जरूरी।
कई बार जिम्मेदारियों के कारण हम खुद को जीना भूल जाते हैं। 
कभी ये सोच कर परेशान ना हों कि पहले कुछ नहीं किया तो अब क्या करें। जिंदगी जिंदादिली का नाम है। शौक छोटे ही सही जैसे कोई मैगजीन पढ़ना, अपनी पसंद के स्टाइल में फोटो खिंचवाना, खुद ही गाना, अपनी पसंद से तैयार होना, लिखना, पेंटिंग करना, आसपास घूमना, मूवी देखना आदि। इससे हमारे अंदर आत्मविश्वास आता है। खुद को खुश रखने का यह एक बेहतर तरीका है।
4 बदले की भावना से ऊपर उठें।
कभी कभी बिना गलती के भी हमें दूसरों के क्रोध का सामना करना पड़ता है । ऐसे में तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय वहां से हट जाएं। हमारे हाथ में दूसरे को कन्ट्रोल  करना नहीं है बल्कि खुद को कन्ट्रोल करना है। हम जितना ज्यादा वाद विवाद से दूर रहेंगे उतने ही ज्यादा खुश रहेंगे। ऐसे में आप अपने सुनहरे पलों को याद करें कि इससे पहले आप कब और किन कारणों से खुश थे।