Wednesday, 10 April 2024

शिक्षा इंसान का बुनियादी अधिकार : गुड़िया झा


एक पुरानी कहावत है कि शिक्षा को ना तो कोई चुरा सकता है और ना ही बांटने से यह घटता है।  बल्कि दूसरों में बांटने से इसकी वृद्धि ही होती है। संपत्ति से परिपूर्ण इंसान सिर्फ अपने राज्य में पूजे जाते हैं जबकि एक विद्वान हर जगह पूजनीय होते हैं।  आज भी देश के कई हिस्सों में बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसका एक मुख्य कारण गरीबी और जागरूकता की कमी है। शिक्षा सभी के जीवन को बेहतर बनाने का बहुत ही महत्वपूर्ण विकल्प है। यह इंसान के जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करती है। यह एक सभ्य जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करती है। इसे और भी बेहतर बनाने के लिए हमारा एक छोटा सा प्रयास आनें वाले समय में बदलाव की एक नई मंजिल पा सकता है। 
अधिकांश हम बेहतर शिक्षा की कल्पना स्कूलों की ऊंची इमारतों के आधार पर आंकते आए हैं। अपनी सोच में थोड़ा परिवर्तन लाकर इसे बेहतर बनाया जा सकता है। 
यदि संभावनाओं के संसार में जीना हमारा ढंग हो जाता है तो हम कह सकते हैं कि हम एक पूरी  तरह से नया जीवन जी रहे हैं। नई संभावनाओं का सृजन करने के लिए बच्चों में कुछ आदतों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
1 अनावश्यक दिखावे से बचाव।
हम भारतीय विशेष रूप से इसमें आगे रहते हैं। हम खुश होने का ढोंग तो करते हैं लेकिन भीतर से हम दुखी रहते हैं। यह निश्चित रूप से जरूरी है कि हम इस दुख को पहचानें और इससे बाहर निकलें। यदि हम हीन भावना और हमारे पास बहुत अभाव है कि दुनिया से बाहर निकलें और ईमानदारी से नए रास्ते की खोज करें तो हमारी इस नई और सच्ची सोच की खुशी वास्तविक और प्रमाणिक होगी।
2 प्रमाणिक होने के क्षेत्र में बहुत कुछ करना होगा।
आमतौर पर हम भारतीयों की एक सबसे बड़ी कमजोरी यह होती है कि हम कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं। बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन उस दिशा में हमारे कदम नहीं होते हैं।
हमें कथनी और करनी के बीच के अंतर को समझना होगा।
इसके लिए सबसे पहले हमें अपनी क्षमता को पहचानना होगा फिर उसके आधार पर आगे की योजना बनानी होगी।

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