Tuesday, 30 April 2024

जिंदगी जिंदादिली से जिएं : गुड़िया झा

जिंदगी जिंदादिली से जिएं : गुड़िया झा

एक पुरानी कहावत है कि चैन से जीने के लिए लग्जरी जीवन की आवश्यकता नहीं होती है जबकि बेचैन से जीने के लिए बहुत सी संपत्ति भी कम पड़ जाती है। सामने वाले के घर से ज्यादा बड़ा घर बनाना है, ज्यादा बड़ी गाड़ी लेनी है, ज्यादा संपत्ति अर्जित कर भविष्य के लिए निश्चिंत हो जाना है। यह सोच आज के नए ज़माने के हम भारतीयों की आम बात है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इन भागदौड़ के बीच हम अपने जीवन के सुकून को खोते जा रहे हैं। यह हमारे भीतर ही मौजूद है। जीवन के हर पल का आनंद लेने के लिए सबसे कीमती हमारी सांसें हैं। जिसे ईश्वर ने हमें फ्री में गिफ्ट दिया है। इसकी कीमत हम नहीं समझ पाते हैं और जो बाजारों में बहुत महंगी है उसके पीछे परेशान हैं।  
1 दोषारोपण करने से बचें
दुनिया का सबसे आसान काम है दोषारोपण करना। कई बार हम यह भूल जाते हैं कि जब अपने हाथ की एक अंगुली हम दूसरों की तरफ दिखाते हैं  तो बाकी सभी उंगलियां हमारी तरफ ही होती हैं। दोषारोपण कर हम आराम से बैठ जाते हैं।  यह सोच कर कि इससे हमारी वर्तमान समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। जबकि ऐसा है नहीं। परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं होती हैं। जैसे रात के अंधेरे के बाद हम सुबह का उजाला भी देखते हैं। हमेशा अपने भीतर जोश और जुनून के उत्साह को बरकरार रखें। जब हम उत्साहित रहेंगे तो सामने वाले पर भी इसका अच्छा असर देखने को मिलेगा और हम आने वाले समय में नए भारत के निर्माण में अपना योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

2 मुश्किल वक्त कमांडो सख्त
विपरीत परिस्थितियों में बहुत सारे निर्णय हमें सख्ती से भी लेने पड़ते हैं। ये समय भावनाओं में बहने का नहीं होता है। इस समय में जल्दबाजी में लिया गया कोई भी फैसला सही नहीं होता है। खुद और जनकल्याण के हित में जो सही है  उससे समझौता नहीं करें और ना ही अनावश्यक दबाव में रहें। अपने अंतरात्मा की आवाज अवश्य सुनें। सबकी अपनी सोच अलग होती है। गलत दिशा में भीड़ के पीछे चलने से अच्छा है कि हम सही दिशा में अकेले ही चलें। हमेशा सकारात्मक रहें और संगति भी ऐसे ही लोगों की रखें क्योंकि काफी हद तक हमारे मन और मस्तिष्क पर संगति का भी असर होता है।

3 बेवजह की बातों से दूर रहें
अक्सर हम देखते हैं कि कई बार हमारा ध्यान अनावश्यक बातों में उलझ जाता है। छोटी छोटी बातों को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने से बचें।   हर किसी की परिस्थितियां एक जैसी नहीं होती हैं। हम जितना ज्यादा दूसरों से तुलना करते हैं उतना ही ज्यादा अपनी खुशियों से दूर होते जाते हैं। अनावश्यक तनाव मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

Friday, 12 April 2024

सीसीएल गांधीनगर राँची अस्पताल के ऑडिटोरियम में 15 अप्रैल को मनाया जायेगा लैब टेक्नोलॉजिस्ट डे

 झारखंड मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने 15 अप्रैल 2024 को लैब टेक्नोलॉजिस्ट डे के अवसर पर सीसीएल गांधीनगर राँची अस्पताल के ऑडिटोरियम में
 एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है इस कार्यक्रम में झारखंड के सभी जिलों से लगभाग 500 टेक्नोलॉजिस्ट भाग लेंगे जिसके मुख्य अतिथि डॉक्टर प्रभात कुमार सिविल सर्जन रांची होंगे। 
 कार्यक्रम में वैज्ञानिक संगोष्ठी और नए नए आधुनिक मशीनों के बारे में जानकारी दी जाएगी साथ ही ऑल इंडिया मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के झारखंड इकाई के पदाधिकारियों का चुनाव संपन्न होगा ।


 

Wednesday, 10 April 2024

शिक्षा इंसान का बुनियादी अधिकार : गुड़िया झा


एक पुरानी कहावत है कि शिक्षा को ना तो कोई चुरा सकता है और ना ही बांटने से यह घटता है।  बल्कि दूसरों में बांटने से इसकी वृद्धि ही होती है। संपत्ति से परिपूर्ण इंसान सिर्फ अपने राज्य में पूजे जाते हैं जबकि एक विद्वान हर जगह पूजनीय होते हैं।  आज भी देश के कई हिस्सों में बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसका एक मुख्य कारण गरीबी और जागरूकता की कमी है। शिक्षा सभी के जीवन को बेहतर बनाने का बहुत ही महत्वपूर्ण विकल्प है। यह इंसान के जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करती है। यह एक सभ्य जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करती है। इसे और भी बेहतर बनाने के लिए हमारा एक छोटा सा प्रयास आनें वाले समय में बदलाव की एक नई मंजिल पा सकता है। 
अधिकांश हम बेहतर शिक्षा की कल्पना स्कूलों की ऊंची इमारतों के आधार पर आंकते आए हैं। अपनी सोच में थोड़ा परिवर्तन लाकर इसे बेहतर बनाया जा सकता है। 
यदि संभावनाओं के संसार में जीना हमारा ढंग हो जाता है तो हम कह सकते हैं कि हम एक पूरी  तरह से नया जीवन जी रहे हैं। नई संभावनाओं का सृजन करने के लिए बच्चों में कुछ आदतों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
1 अनावश्यक दिखावे से बचाव।
हम भारतीय विशेष रूप से इसमें आगे रहते हैं। हम खुश होने का ढोंग तो करते हैं लेकिन भीतर से हम दुखी रहते हैं। यह निश्चित रूप से जरूरी है कि हम इस दुख को पहचानें और इससे बाहर निकलें। यदि हम हीन भावना और हमारे पास बहुत अभाव है कि दुनिया से बाहर निकलें और ईमानदारी से नए रास्ते की खोज करें तो हमारी इस नई और सच्ची सोच की खुशी वास्तविक और प्रमाणिक होगी।
2 प्रमाणिक होने के क्षेत्र में बहुत कुछ करना होगा।
आमतौर पर हम भारतीयों की एक सबसे बड़ी कमजोरी यह होती है कि हम कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं। बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन उस दिशा में हमारे कदम नहीं होते हैं।
हमें कथनी और करनी के बीच के अंतर को समझना होगा।
इसके लिए सबसे पहले हमें अपनी क्षमता को पहचानना होगा फिर उसके आधार पर आगे की योजना बनानी होगी।

Tuesday, 9 April 2024

सड़क दुर्घटना में मृत एचईसीकर्मी के परिजनों से मिले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय

रांची। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने एचईसी आवासीय परिसर स्थित सेक्टर तीन में सड़क दुर्घटना में मृत एचईसीकर्मी मोहन महली के परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। 
 विदित हो कि मोहन महली का निधन गत दिनों एक सड़क दुर्घटना में हो गया था। स्व.महली एचईसीकर्मी थे और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले एक मात्र सदस्य थे। 
 श्री सहाय ने दिवंगत की आत्मा की शांति और स्व.महली के परिजनों को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करने की ईश्वर से कामना की। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता धीरेन्द्र सिंह बमबम, संजय झा, पूर्व पार्षद संजय चौधरी सहित अन्य मौजूद थे।

Monday, 1 April 2024

भाजपा ने आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति तो बनाया पर संविधान को रौंद डाला :- आजम अहमद

रांची।  देश की आजादी के बाद भारत में अनुसूचित जनजाति की महिला  द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना देश के लिए गौरव की बात थी मगर भारत में सम्मान देकर अपमान करने का साहस भारतीय जनता पार्टी के सिवा और किसी दल में नहीं। झारखंड आंदोलनकारी झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता आजम अहमद कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय नेता लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति  द्वारा भारत रत्न देने के क्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकङ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारत रत्न दिए जाने के समय आदिवासी महिला राष्ट्रपति को बेइज्जत किया गया इस मौके पर जहां राष्ट्रपति महोदय खड़ी थीं सारे लोग बैठे हुए थे। उपस्थित मान्यवर लोगों ने खड़े होकर संवैधानिक पद की गरिमा को बचाने के  बजाय सभी ने राष्ट्रपति की गरिमा को आघात पहुंचाने का काम किया जो भारत के संविधान का भी अपमान है। हम तमाम झारखंड वासी और भारत के लोग भारतीय जनता पार्टी को कभी माफ नहीं करेंगे