लोहरदगा में धनतेरस के दिन एक करोड़ रुपए के झाड़ू खरीदते हैं लोग
जिले भर में दो लाख से अधिक झाड़ू की होती है बिक्री
झाड़ू से घर की गंदगी के साथ ही दरिद्रता भी दूर होती है
लोहरदगा,।
सनातन धर्मावलंबियों में दीपावाली के त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है। इसका समापन भाई दूज के दिन होता है।
लोग महीनों पहले से घर की साफ-सफाई और खरीदारी सहित इस त्योहार की तैयारियों में जुट जाते हैं। धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन और झाड़ू खरीदते हैं। धनतेरस पर झाड़ू खरीदने के बाद उसका पूजन भी किया जाता है।
लोहरदगा जिले में लगभग दो लाख से अधिक झाड़ू की बिक्री धनतेरस में होती है। न केवल सनातन धर्मावलंबी बल्कि अन्य मतावलंबियों के द्वारा भी इस दिन झाड़ू खरीदा जाता है। अकेले झाड़ू का कारोबार धनतेरस के दिन एक करोड रुपए से अधिक का होता है।
कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे। तभी से इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा।
इस दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने और सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन और झाड़ू आदि की खरीदारी करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों में 13 गुना वृद्धि होती है। इस साल 10 नवंबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का महत्व
मत्स्य पुराण के अनुसार, झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है। ऐसी मान्यता है, कि झाड़ू से घर की गंदगी के साथ ही दरिद्रता भी दूर होती है। यही वजह है, कि धनतेरस के दिन सभी घरों में नई झाड़ू लाई जाती हैं। उसके बाद इसका पूजन भी किया जाता है।
झाड़ू पर बांधे धागा
धनतेरस के दिन नया झाड़ू खरीदने के बाद उस पर सफेद रंग का धागा भी बांधना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा घर पर बनी रहती है।
खरीदारी का शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी।
11 नवंबर को दोपहर एक बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी।ऐसे में खरीदारी का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से 11 नवंबर को दोपहर एक बजकर 57 मिनट तक रहेगा। आप 10 और 11 नवंबर दोनों दिन खरीदारी कर सकते हैं।
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