Wednesday, 30 October 2024

स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन : गुड़िया झा

स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन : गुड़िया झा
अक्सर हम अपने आसपास शारीरिक स्वास्थ्य के विषय में बातें करते हैं। लेकिन उन चर्चाओं में हम शायद ही अपनी मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातें करते हों। जब हम इस ओर भी थोड़ा ध्यान देंगे,तो खुद के साथ दूसरों के विचारों में भी परिवर्तन ला सकेंगे। हमारी एक छोटी सी शुरूआत एक नये समाज और देश के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

1, उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य।
कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है।इसलिए हमारी पहली प्राथमिकता शारीरिक सेहत को दुरूस्त रखने की होती है। अपने खाने की थाली में हर तरह के फलों और सब्जियों को शामिल करने से शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। सही समय पर नाश्ता, खाना,तेल,मसाले का सीमित उपयोग साथ ही चाय और कॉफी के अत्यधिक सेवन से बचाव भी होना चाहिये।
शारीरिक रूप से भी हमेशा सक्रिय रहना अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है।

2, कार्य की योजना।
मानसिक स्वास्थ्य को फिट रखने में अपने कार्यों की योजना का भी महत्वपूर्ण स्थान है। योजना के अनुसार कार्य करने से एक ओर जहां हम समय का सही सदुपयोग करते हैं, वहीं दूसरी ओर जल्दीबाजी और तनाव से भी बचते हैं।
 हमें अपने कार्यों के बारे में खुद ही आकलन करना होगा कि कौन से कार्य पहले जरूरी हैं और कौन से बाद में। कई बार ऐसा भी होता है कि अनावश्यक कार्यों को भी जल्दी समाप्त करने की चाहत हमें लगातार थकान की ओर ले जाती है। जिसका नतीजा यह होता है कि हम मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं।

3, सोचने का तरीका।
सबकी अपनी अलग सोच होती है । हमारी सोच का भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हमेशा अच्छा सोचना,संतुष्टि का भाव,किसी के भी प्रति शिकायतें नहीं रखना आदि ऐसी बातें हैं जो कहने को तो बहुत छोटी हैं लेकिन हमें खुश रखने में इनका भी अपना एक अलग योगदान है। मनोवैज्ञानिकों का भी कहना है कि जैसा हम सोचते हैं वैसा ही प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।

4, सामाजिक परिवेश और रिश्ते।
 हमारे आसपास का वातावरण और लोगों से हमारे रिश्ते कैसे हैं इसका भी प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। यह कोई जरूरी नहीं कि हमारे विचारों से ही लोगों के विचार मेल खाते हों। इसके बावजूद भी हमें अपनी मन की स्थिति को हर हाल में मजबूत बनाना है। सबकुछ हमारे मन के अनुकूल नहीं हो सकता है। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि जो जिस रूप में है उसे उसी रूप में स्वीकार कर हम आगे बढ़ें। आक्रोश में प्रतिक्रिया देने से अच्छा है कि कुछ देर मौन रह कर  रिश्तों को संभलने का मौका दिया जाये।

Monday, 21 October 2024

इको-फ्रेंडली दिवाली और पर्यावरण का साथ : गुड़िया झा

इको-फ्रेंडली दिवाली और पर्यावरण का साथ : गुड़िया झा

दीपों का त्योहार हमेशा सबके लिए खुशियां लेकर आता है। ये खुशी यूं ही बनी रहे, इसलिए बदलते परिवेश में इको-फ्रेंडली दीवाली मनाने का तात्पर्य हमारा पर्यावरणीय  स्थिरता को प्राथमिकता देना है। वास्तव में पृथ्वी का सम्मान बढ़ाने का यह अनोखा तरीका आनंददायक अवसर सुनिश्चित करता है। जिसमें पेड़-पौधे सबकी दीवाली शामिल है। 
इससे हम भविष्य में पीढ़ियों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश दे सकते हैं। 
इस बार हम सभी पर्यावरण अनुकूलता के साथ दिवाली मनाने की कोशिश करें और स्वस्थ एवं हरित दुनिया में अपना योगदान दें।

1 वन्य जीवों की रक्षा।
बाजारों में बहुत ही तेज आवाज वाले पटाखों का चलन है। इससे वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास में बाधा पहुंचती है। ध्वनि प्रदूषण को कम करके हम प्राकृतिक वातावरण और इसके निवासियों की सुरक्षा कर सकते हैं। 
किसी भी त्योहार को स्वस्थ तरीके से मनाने के पीछे सबके हित की भावना समाहित होती है। 

2 मिट्टी के दीपों का उपयोग।
दिवाली में बिजली और डिस्पोजेबल सामग्री का अत्यधिक मात्रा में उपयोग करने से प्राकृतिक संसाधन खाली होते हैं। 
इसके अनुकूल कम बिजली का प्रयोग करने वाली लाइटिंग का उपयोग करके और बार-बार उपयोग किए जाने वाले या रीसाइकिल योग्य आइटम चुनकर हम संसाधनों को संरक्षित कर सकते हैं। मिट्टी के दीपों का जवाब नहीं। इससे पर्यावरण की रक्षा तो होती ही है साथ ही हमारे आसपास मिट्टी के दीपों को बनाने वाले लोगों को भी रोजगार का एक सुनहरा अवसर मिलता है।

3 हैंडमेड गिफ्ट का चुनाव उपयोगी।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और प्लास्टिक से बने गिफ्ट देने की बजाय कपड़े या जुट जैसे कुदरती सामानों से बना कोई उपयोगी गिफ्ट का चुनाव ज्यादा अच्छा रहता है। साथ ही गिफ्ट को उन चमकदार प्लास्टिक से बंद ना करें क्योंकि प्लास्टिक को रीसाइकिल करना मुश्किल होता है। इसकी जगह अखबारों का चुनाव कर सकते हैं।

4 रंगोली में कुदरती चीजों का उपयोग।
मां लक्ष्मी के आगमन के लिए रंगोली हर घर में बनाई जाती है। क्यों न इस दीवाली रंगोली केमिकल रंगों की जगह कुदरत से दी गई चीजों से बनाएं। 
जैसे- गुलाब, गेंदे, गुलदाउदी सहित कई तरह के फूलों और पत्तियों के साथ बनाएं। इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए हल्दी, कुमकुम और कॉफी पाउडर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। 

5 पटाखे भी इको-फ्रेंडली उपयोगी।
सभी तैयारी के बाद अगर दिवाली के पटाखे भी इको-फ्रेंडली हों तो क्या कहना। बच्चे ज्यादा आवाज वाले पटाखे पसंद करते हैं। उन्हें समझाना भी हमारा ही काम है। इन पटाखों को रीसाइकल पेपर से बनाया जाता है।

6 पुरानी चीजों का सही उपयोग।
घर की सफाई करते समय कुछ ऐसी चीजों को भी हम फेंक देते हैं, जो दूसरों के लिए उपयोगी होती हैं। अगर हम उन चीजों को अपने आसपास के किसी जरूरतमंद को दें, तो वे चीजें फिर से इस्तेमाल होने लगेंगी।
अपनी तरफ से कुछ फल, मिठाइयां और पटाखे देकर भी अपनी खुशी के साथ दूसरों के खुशी को भी हम बढ़ा सकते हैं।

Wednesday, 9 October 2024

नौ गुणों से सम्पूर्ण दुर्गा आप भी : गुड़िया झा

नौ गुणों से सम्पूर्ण दुर्गा आप भी : गुड़िया झा 

माता के आगमन से चारो तरफ श्रद्धा और उल्लास का माहौल है।  हर कोई अपनी तरफ से कुछ भी कमी नहीं छोड़ना चाहता मां के स्वागत में। क्योंकि जगतजननी अपने साथ बहुत सी खुशियां तो लाती ही हैं साथ ही ढ़ेरो आशीर्वाद अपने भक्तों को देकर जाती हैं। 
लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि प्रत्येक नारी मां दुर्गा का ही दूसरा रूप है। मां ने जितनी क्षमताओं से हमें बनाया है,उसका आकलन शायद हम ठीक से कर भी नहीं पाते हैं। इस नवरात्रि मां दुर्गा द्वारा दी गई अपने भीतर छिपी हुई शक्तियों पर एक नजर।
1 शक्ति
नारी होना आसान नहीं है। जरा सोचें कि एक साथ कई रिश्तों को निभाते हैं हम। सबकी कसौटियों पर खड़ा उतरते हुए हमेशा कर्मशील बने रहना, यही तो है वह अंदरूनी शक्ति जो हर समय हमें अपने कर्तव्य का बोध कराती है। अपनी शक्ति पर गर्व करें कि आप बहुत खास हैं। अपनी शक्ति को बनाये रखने के लिए प्रयासरत रहें।
2 अनुशासन
पूरे घर में अनुशासन सभी के कारण होती है। लेकिन इसका अधिकांश श्रेय नारी को ही जाता है। वो खुद भी अनुशासित रहती है और आसपास के माहौल को भी व्यवस्थित कर उनमें एक नई जान डालती है। 
चाहे वह कितनी भी थकी हुई और तनाव में क्यों न हो, अपने चेहरे पर फिर भी सुकून रख कर हर एक चीज पर बहुत ही पैनी नजर रखती है।
3 सकारात्मकता
सकारात्मकता से परिपूर्ण नारी जब किसी भी कार्य को अपने हाथ में लेती है, तो उसे पूरा करके ही दम लेती है। परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल हर परिवेश में खुद को ढ़ालना और चुनौतियों में भी संभावनाएं उत्पन्न करना नारी को सर्वश्रेष्ठ बनाता है।
4 सफलता
सफलता खुद की हो या परिवार की इसका श्रेय भी नारी को ही जाता है। सभी की जिम्मेदारी को अपने ऊपर लेकर निभाना और सबको यह बोलकर निश्चिंत कर देना कि "मैं हूं ना"। तो हम कह सकते हैं कि नारी एक सड़क की तरह कार्य करती है, जो कि परिवार के सदस्यों को अपने मंजिल तक पहुंचाती है।
5 विश्वास
जहां पर अधिकांश लोगों का विश्वास जवाब देता है, वहां से नारी का विश्वास शुरू होता है। विश्वास होता है अपने अच्छे कर्मों, काबिलियत, दूसरों में गुणों को पहचानने की। विश्वास होता है अंधकार में भी रौशनी तलाशने की, विश्वास होता है अपनी दुआओं पर, विश्वास होता है एक साथ सबको जोड़कर रखने की, विश्वास होता है अपने आशियाने पर।
6 एकाग्रता
छोटी से छोटी बातों और कार्यों पर एकाग्रता बनाकर उसे अपने जीवन में लागू कर आगे बढ़ना नारी की महत्ता को दर्शाता है। एक साथ कई कार्यों को अपने हाथ में लेने के बाद भी एकाग्रता बनाते हुए कर्मपथ पर चलना नारी की विशेषता है।
7 दृढ़संकल्प
असंभव को भी संभव बनाना नारी को आता है। कौन सा ऐसा कार्य है जो नारी नहीं कर सकती है। जब वो किसी नये जीवन को नौ माह गर्भ में रख कर खुद की जान जोखिम में डाल कर उसे इस दुनिया में ला सकती है, तो नारी कुछ भी कर सकती है।
8 भक्ति
नारी की भक्ति का जवाब नहीं। दूसरे की बलाओं को अपने ऊपर लेना, सबकी सुख, समृद्धि की कामना करना, साल में होने वाले अधिकांश त्योहारों में व्रत रख कर सबकी देखभाल करना नारी की भक्ति ही तो है जिससे परिवार की खुशियां बनी रहती हैं।
9 निरंतरता
समय और अवसर को देखते हुए लागातार हर उस बात में निरंतरता बनाये रखना, जिसमें जनकल्याण की भावना समाहित हो, नारी का यह विशेष गुण है। 
जिम्मेदारियों का निर्वाहन खुशी-खुशी करना, सामने आने वाली बाधाओं को भी आत्मविश्वास से पार करना, यही तो नारी की पहचान है। वास्तव में नारी तू महान है।